Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 307
________________ 301 परिशिष्ट शब्द पुनरुक्त निग्रह स्थान-४.४ ब, दे पुनरुक्त। शरीर मद-४.८ ब, दे मद। शरीर मिश्रकाल-४.८ ब, दे काल/११ शामिला यव मध्य-४२७ ब, दे. यव। शास्त्राभ्यास-४२८ ब, दे स्वाध्याय। शिखाचारण ऋद्धि-४ 28 ब, दे. ऋद्धि/४ / शीतगुह-४३० अ, भरतक्षेत्र में मलयगिरि के निकट का एक पर्वत। शीतभोगतप-४.३० अ, दे कायक्लेश। शीलांक-४३१ अ, नवागवृत्ति के कर्ता श्वेताम्बराचार्य। श्यामवर-४.४३ ब, मध्यलोक का तेरहवॉ द्वीप व सागर। श्रृंखलित-४४३ ब, कायोत्सर्ग का एक अतिचार। श्रुतमूढ-४७१ अ, दे मूढ। श्रुतिकल्याणव्रत-४७१ ब, दे कल्याणकव्रत। श्वना धारणा-४.७६ अ, दे वायु। पंड-४.८१ अ, दे नपुसक। षट्काल-४.८१ अ, दे काल/४ / संकलन धन-४.८२ अ, दे गणित/II/१/३ / संकलन वार-४.८२ ब, दे. गणित/II/१। संघातज्ञान-४.१२४ अ, दे. श्रुतज्ञान/II / संथारा-४.१२५ ब, दे सस्तर। संदिग्धानेकान्तिक हेत्वाभास-४.१२५ ब, दे व्यभिचार। संपृच्छिनी दोष-४.१२५ ब, दे. भाषा। संमत सत्य-४.१२६ ब, दे सत्य/१। संयमी-दे सयत। संशयानेकान्तिक हेत्वाभास-४१४६ अ, दे. व्यभिचार / संशयासिद्ध हेत्वाभास-४.१४६ अ. दे. असिद्ध / सकलचन्द्र-४.१५६ ब, दे इतिहास/७/५।। सकल विधि विधान-४ 156 ब, दे. पूजापाठ / सचित्त संमिश्र-४.१५८ ब, दे. सचित्त/३। सत्कर्मिक-४.२७० अ, दे सत्त्व। सत्वाद-४ 270 अ, कपिलादिका मत है कि कारण व्यापार से पूर्व भी कार्य सत् ही है। सत्संगति-४२७० अ, दे. सगति। सत्योपचार-४.२७४ अ, दे. उपचार/१। सत्त्वकाल-४३११ अ, दे काल/१/६ / सप्त व्यसन-४.३२६ ब, दे व्यसन। समवायिनी क्रिया-४.३३५ ब, दे. क्रिया/३। समुत्पत्तिक बन्धस्थान-४३४२ ब, दे. अनुभाग/१। सम्मेदाचल माहात्म्य-४३४४ अ, प. मनरगलाल कृत छन्दबद्ध रचना। सम्यक्त्व प्रकृति-४३४४ अ, दे मोहनीय/२॥ सम्यक्त्व लब्धि-४.३४४ अ, दे. लब्धि/१/३। सम्यक् मिथ्यात्व गुणस्थान-४.३४४ अ, दे., मिश्र। सम्यग्दर्शन क्रिया-४.३७३ ब, दे क्रिया/३। सरःशोष कर्म-४.३७६ अ, दे. सावद्य/५। सरस्वती पूजा-४.३७६ अ, दे. पूजा। सर्वघाती प्रकृति-४.३७६ ब, दे अनुभाव/४। सर्वघाती स्पर्धक-४.३७६ ब, दे स्पर्धक। सर्वतोभद्रपूजा-४ 376 ब, दे पूजा/१। सहज विपर्यय-४.३६८ अ, दे. विपर्यय। सहवृत्ति-४ 368 अ, दे तादात्म्य सम्बन्ध / सांपराय-४४०० अ, दे सपराय। सांशयिक मिथ्यात्व-४४०० अ, दे. संशय। साधनमन्त्र-४४०१ अ, दे. मन्त्र/१/६। साधन विकल-४४०१ अ, दे दृष्टान्त/१/८ / साध्य विकल्प-४४११ अ, दे. दृष्टान्त/८। साध्य विरुद्ध-४४११ अ, दे. विरुद्ध। सान्निपातिक भाव-४.४११ अ, दे सन्निपातिक भाव। सिद्धार्था-४.४२८ ब, एक विद्या। सुखमा काल-४.४३४ ब, दे. काल/४ | सुप्त-४.४३५ अ, दे. निद्रा। सुरलोक-४ 437 अ, दे. स्वर्ग/५ / सुषिर प्रायोगिक शब्द-४.४३८ अ, दे शब्द/१। सूक्ष्मा वाणी-४.४४२ अ, दे भाषा। स्थितिबंधोत्सरण-४.४७० ब, दे. उत्कर्षण/५। स्थितिसत्त्वापसरण-४.४७० ब, दे. अपकर्षण/३। स्वतन्त्रता-४.५०३ ब, द्रव्य, गुण, पर्याय स्वतन्त्र है। स्वात्मनि क्रिया विरोध-४.५२२ अ, दे. विरोध / हड्डी-४.५२६ ब, दे. अस्थि। हत्या-४.५२६ ब, आत्महत्या, मरण। हित संभाषण-४.५३७ अ, दे. सत्य/२। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 305 306 307