Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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शुद्धात्माभिमुख परिणाम .२४६
शूकर शुद्धात्माभिमुख परिणाम-पद्धति ३ ८ ब ।
चतुर्थ-नदिसंघ भट्टारक १३२३ ब, इतिहास १३३२ शुद्धाद्वैत-वेदात ३६०१ अ ।
अ। पंचम -- इतिहास १३३२ अ। षष्ठ-इतिहास शुद्धाभ देव---४३८ ब, तीर्थकर २३७७ ।
१३३२ ब। सप्तम -१३३३ ब, १३४६ ब, शद्धाशन-अपवाद ११२१ अ, अनशन १६६ अ, तप १३४७ अ। २३६० अ.
शुभ-तैजस-शरीर-तेजस २३६४ ब । शद्धाशद्धोपयोग-उपयोग १४३० ब ।
शुभ-तेजस-समुद्घात--तैजस २ ३६६ अ। शुद्धि-४१८ ब, आहार १.२८५ अ-ब, १२८९ अ, शुभध्यान-धर्मध्यान २४७८ अ, २४८२ अ ।
आगम १२२८ अ, उपयोग १.४३० ब, उभय शृद्धि शुभनदि-४.४१ ब, इतिहास १३२८ ब । १४४४ ब, द्रव्य क्षेत्रादि की शुद्धि (आगम) १२२८ शुभ नामकर्म प्रकृति--पुण्य ३६०ब । प्ररूपणा -प्रकृति अ, भावशुद्धि (आहार) १२८६ अ, विष्कुम्भ
३८८, २.५८३, स्थिति ४४६६, अनुभाग १६५, (उपयोग) १४३४ अ, सम्यग्ज्ञान (उभय शुद्धि)
प्रदेश ३१३६ । बंध ३६७, बधस्थान ३ ११०, उदय १४४४ ब ।
१३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११ अ, शुद्धोदन-४४१ अ।
सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४ ३०३, त्रिसयोगी भग
१.४०४। सक्रमण ४८५ अ, अल्पब हुत्व १.१६७ अ । शद्धोपयोग--१.४३० ब-४३१ ब, (गुणस्थान) १४३४ अ,
शुभ परिणाम-उपयोग १.४३१ ब, पुण्य ३.६० अ, ३६३ चारित्र २२८६ अ-ब, धर्म २४६६ अ, धर्मध्यान २.४८३ अ, पद्धति ३८ ब, मोक्षमार्ग ३३३६ अ,
शुभ भाव -अनुप्रेक्षा १७८ ब, (चारित्र) १७८ ब, पुण्य संवर ४१४३ ब, हिंसा (अशुद्धोपयोग) ४ ५३२ अ ।
३६३ अ। शुद्धोपयोगी-धर्म २४६६ब, साधु ४.४०३ अ, ४४०७
शुभ भावना-धर्मध्यान २४८२ ब ।
शभ योग-योग ३३७५ ब, सवर ४१४२ ब । शुभंकर-कृरुवश १३३५ ब, १.३३६ अ।
शभ लेश्या- लेश्या ३४२२ ब । शुभ-४४१ अ, अनुभव १८६ अ, उपयोग १.४३०
__ शुभ वचनयोग-वचन ३.४६८ ब । १४३५, उपशम १.४३७ अ, धर्म २४७२ ब,
शभ विचार-सामायिक ४.४१७ ब । परिणाम ३३१ अ, प्रणिवान ३११५ अ, मनोयोग
शुभ स्वप्न-स्वप्न ४५०४ अ। ३ २७७ ब, मोह ३ ३४० ब, योग ३ ३७७ अ, सयत
शुभा-विदेह नगरी-निर्देश ३४६० अ, नामनिर्देश ४१३२ ब ।
३४७० ब, विस्तार ३.४७६, ३४८०, ३४८१, शुभ आस्रव-आस्रव १२८२ ब, सवर ४१४३ अ ।
अंकन ३ ४४४.३ ४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ । शुभ उपयोग-अपवादमार्ग ११२० ब। उपयोग--
शुभानुबधी निर्जरा -अनुप्रेक्षा १.७५ ब, निर्जरा २६२२ १.४३०-१४३५, गुगस्थान १४३४ अ, धर्म १.४३३४३४, विष्कुम्भ १४३४ अ। चारित्र २.२६० अ-ब,
। चारित्र २.२६० अ-4, शभास्रव -आस्रव १.२८२ ब, संवर ४.१४३ अ । धर्म २४६६ ब, सवर ४१४३ ब ।
शुभपयोग-अपवाद माग ११२० ब । उपयोग-१.४३०शुभ उपशम-उपशम १४३७ अ ।
४३५, (अशुद्धोपयोग) १४३३ ब, (गुणस्थान) शुभकरण चिह्न अवधिज्ञान ११६२ अ।
१.४३४ अ, (धर्म) १.४३४, (विषकुम) १.४३४ अ । शुभकर्म-राग ३ ३६६ अ ।
चारित्र २ २६० अ-ब, धर्म २.४६६ ब, सवर ४.१४३ शुभ काययोग-काय २ ४६ अ। शुभकीति -- ४४१ ब, नदिसध भट्टारक १३२३ ब । शुभोपयोगी-चारित्र २.२६३ ब, साधु ४.४०४ अ,
काष्ठासघ १३२७ अ, इतिहास १.३३३ अ, १३४६ ४४०७ ब । अ।
शुभ्र-४.४२ अ। शुभचंद्र -४.४१ ब, शलाकापुरुष ४.२५ ब, प्रथम--नदि शुभ्रपूर -मनुष्यलोक ३.२७६ अ ।
सघ १.३२४ अ, इतिहास १ ३३१ अ, १ ३४३ अ। शुम्भा --४.३१ अ। द्वितीय-नदिसघ देशीयगण १.३२४ ब, १.३२५, शुष्क-४.४२ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । इतिहास १.३३१ ब । तृतीय-इतिहास १ ३३१ ब। शूकर-तीर्थंकर विमलनाथ २ ३७६ ।
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