Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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सुगधिनी
२७८
सुपर्णकुमार देव (प्ररूपणा)
अंकन ३ ४४४ ।
पूज्य २.३८७, बलदेव ४१६ ब, ४१७ब । श्रुतकेवली सुगंधिनी - ४४३५ अ, विद्याधर नगरी ३५४६ अ।
(मूलसंघ) १३१६ । सुगत--४४३५ अ।
सुधर्ममित्र-चक्रवर्ती ४.१० ब । सुगर्भ-यदुवश १३३७ ।
सुधर्मसेन--४४३५ ब, पुन्नाटसंघ १.३२७ अ । सुगात्र-४४३५ अ।
सुधर्माचार्य-~-मृ नसघ (श्रुतकेवली) १३१६, इतिहास सुग्रीव-४.४३५ अ, अगद १.१ अ, तीर्थंकर सुविधिनाथ १३२८ ।
२३८०, तीर्थंकर सुबाहु २.३६२, राक्षसवश १३३८ सुधर्मा सभा-४४३५ ब, चैत्य-चैत्यालयो मे २.३०३ अ, अ, वानर वश १३३८ ब ।
वैमानिक देवों के भवनो मे ४.५२१ अ, व्यंतरदेवों के सुघोषा-व्यन्तरेद्र की गणिका ३६११ ब ।
नगरो मे ३६१२ ब, सौधर्म स्वर्ग में ४४४५ अ। सुचंद्रशलाकापुरुष ४ २५ ब ।
सुनंद-तीर्थकर २ ३७७, तीर्थकर मुनिसुव्रत, नेमि तथा सुचक्ष--४४३५ अ, मानुषोत्तर व पुष्करार्ध का देव वर्द्धमान २.३७८, तीर्थकर शीतलनाथ २.३८०, प्रति३६१४।
नारायण ४२० अ सुवरित मिश्र -४.४३५ अ, मीमासादर्शन ३.३११ अ।
सुनदा-कुलकर ४.२३ । सुचार-कुरुवश १३३६ ब ।
सुनंदिषेण - ४४३५ ब । पुन्नाटसघ-प्रथम १ ३२७ अ, सुचारित्र मिश्र-मीमासादर्शन ३.३११ अ ।
द्वितीय १.३२७ अ। सुवार-कुरुवश १.३३५ ब, यदुवंश १.३३७ ।
सुनक्षत्र---४.४३५ ब । अनुत्तरोपपादक दशागी १.७० ब । सुतारा-४.४३५ अ।
सुनपथ-४४३५ ब । सुतेजस-कुरुवश १३३५ ब ।
सुनय-सकलादेश ४१५७ अ । सुत्तपाहुड-इतिहास १.३४० ब ।
सुनेत्रा-नारायण ४.१८ ब । सुदंसणचरिउ-इतिहास १.३४३ ब ।
सुनेमि-यदुवंश १.३३७ । सुदर्शन-४४३५ अ, अंतकृत केवली १२ ब, कुरुवश
सुपत्नीत्व-स्त्री ४.४५२ अ। १३३५ ब, १३३६ अ, तीर्थकर अरनाथ २३८०,
सुपा-४.४३५ ब । कुरुवंश १३३५ ब, १.३३६ अ। तीर्थंकर धर्मनाथ २ ३६१, बलदेव ४.१६ अ, विद्याधर नगरी ३ ५४६ अ।
सुपना-विदेहस्थ क्षेत्र-निर्देश ३ ४६० अ, नामनिर्देश सुदर्शन (पर्वत व कूट) - बौद्धाभिमत पर्वत ३.४३४ अ,
३.४७० ब । विस्तार ३.४७६, ३.४८०, ३.४८१, मानुषोत्तर पर्वत का कूट-निर्देश ३.४७५ ब, विस्तार
अकन ३४४४, ३.४६४ के सामने (चित्र सं० ३७), ३.४८६, अंकन ३.४६४ । रुचकवर पर्वत का कूट
चित्र ३.४६० अ। वक्षारगिरि का कूट तथा देवीनिर्देश ४.४७६ अ, विस्तार ३४८७, अकन ३४६८,
निर्देश ३.४७२ ब,विस्तार ३.४८२, ३.४८५, ३४८६ ३ ४६६ । सुमेरु पर्वत ४४३७ अ।
अंकन ३.४४४। सुदर्शन (स्वर्ग)- स्वर्गपटल-निर्देश ४.५१८, विस्तार सुपर्ण-४.४३१ ब ।
४५१८, अंकन ४.५१५ । देव आयु १.२६८। सुपर्णकुमार-४.४३५ ब, भवनवासी देव-निर्देश ३.२१० सुदर्शन चक्र-चक्रवर्ती ४.१३ अ, ४.१५ अ, नारायण
ब, नामनिर्देश ३.२०८ अ, अवगाहना ११८०, अवधि४.१६ ब।
ज्ञान १.१९८ आयु १.२६५ । इन्द्र-निर्देश ३.२०८ सुदर्शनचरित्र-४.४३५ अ । इतिहास-प्रथम १.३४३ ब,
अ, शक्ति आदि ३.२०८ब, अवस्थान ३.२०६ब, द्वितीय १.३४६ अ।।
३.४७१, ३.६१२-६१४।। सुदर्शना-नन्दीश्वर द्वीप की वापी-निर्देश ३.४६३ अ, सुपर्णकुमार देव (प्ररूपणा)-बंध ३.१०२, बंधस्थान
नामनिर्देश ३४७५ ब, विस्तार ३४६१, अंकन ३.११३, उदय १३७८, उदयस्थान १.३६२ ब, ३४६५। बलदेव की माता ४.१७ ब, व्यंतरेंद्र उदीरणा १४११ अ, उदीरणा स्थान १.४१२, सत्त्व 'वल्लभिका ३६११ ब।
४.२८२ सत्त्वस्थान ४.२९८, ४.३०५, त्रिसंयोगीभंग सुवास-४.४३५ अ।
१.४०६ ब । सत् ४.२८८, संख्या ४६७, क्षेत्र सुबई-४४३५ अ, गुणधर २.२१३ अ, तीर्थकर वासु- २.१६६, स्पर्शन ४.४८१, काल.२.१०४, अंतर १.१०,
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