Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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श्रुतकेवली
श्रेयोविधा
भद्रारक १३२३ ब, १३२४ अ। इतिहास १३३१ श्रुतभक्ति (दशभक्ति -- इतिहास १३४० ब । अ-व, १३३२ ब, १३४६ ब ।
ध्रुतभावना-भावना ३ २२४ ब । श्रुतकेवली-४ ५४ प, अनुसर १८६ अ, आगम १ २३८ श्रतमनि --- इतिहास १३३२ ब, १३४५ अ-ब ।
ब, ध्याता २४६२ अ-ब, युतवली ४५७ अ । मून- श्रुतवाद --४.७१ अ, श्रतज्ञान ४६० अ।
सघ १.३१६, १ परि०/२२, अपराजित १११६ अ। श्रुतवीर -सनसब १ ३२६ अ। श्रुतगरु - गुरु २२५२ अ. नमस्कार २५०५ ब।
श्रुतसागर-४७१ अ, नदिसंघ १३२४ अ, इतिहास श्रुतज्ञान-४५७ अ, अतिचार १२२८ अ, अनुभव १८३, १३३३ अ, १३४६ अ।
अनुमान १६७ब, अर्थापनि ११३६ अ, अवधिज्ञान तसागरी-इतिहास १३२६ । ११८६ अ, आगम १२२७-२३६, उपमान १४२८
श्रुतस्कध - स्वाध्याय ४५२५ अ, । अ, कालावधि का अल्पबहत्व ११६० ब, केवलज्ञान श्रतस्कध पूजा-इतिहास १३३४ अ,१३४६ ब। (अनुभव) १.८३, तत्त्व २३५३ अ, पद ३५ ब, श्रुतस्कध व्रत-४७१ अ। परोक्ष ३ ३६ अ, १८३ ब, मन ४६० ब, मन पर्यय
थुताज्ञान -श्रुतज्ञान ४५६ ब । ३२६८ ब, श्रुतकेवली ४५६ अ, सज्ञी ४१२३ अ,
श्रुतावतार--४७१ अ. इद्रनदि १२६६ ब, इतिहास स्वाध्याय ४५२५ अ, स्वामित्व (जीवसमास)
१३१६, १३३० ब, १३३२ ब । १२६१।
श्रुति-सूर्य की अग्रदेवी २ ३४६ अ । श्रुतज्ञान (प्ररूपणा)--बध ३१०५, बधस्थान ३११३,
श्रुतिकोति-बलदेव ४ १७ ब । उदय १३८३, उदयस्थान १३६३, उदीरणा १४११
श्रुतिगम्य-४.७१ अ। अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२८३, सत्त्वस्थान
श्रेढो-४.७१ ब, गणित २.२२८ ब। ४३००, ४३०५, त्रिसयोगीभग १४०७। सत्
श्रेढी व्यवहार गणित गणित २.२२८ ब। ४२३५, सख्या ४१०६, क्षेत्र २ २०४, स्पर्शन
श्रेणिक--४.७१ ब, तीर्थकर महापद्म २.३७७, तीर्थकर ४४८८, काल २ ११३, अतर ११५, भाव ३ २२१
वर्द्धमान २.३६१, मगधदेश इतिहास १.३१० ब, अ, अल्पबहुत्व ११५० ।
१.३१२। श्रुतज्ञान उपक्रम-१४१६ ब ।
श्रेणी-४७१ ब, अनुयोगद्वार ११०२ अ, आरोहण अवश्रुतज्ञान व्रत-४७० ब।
रोहण काल की अवधि तथा अल्पबहुत्व ११६१, गुण श्रुतज्ञानसिद्ध-अल्पबहुत्व ११५४ अ ।
स्थान २२४७ अ, युगपत् प्रवेश करने वालो का अतज्ञानावरण-ज्ञानावरण-निर्देश२२७१ अ, आबाधा
प्रमाण ४६४, विग्रहगति ३५४१ ब, विद्याधर लोक १.२४६ अ, मोहनीय ३ ३४२ अ, वर्गणा ३ ५१७ अ।
३५४१ ब, ३४६४ अ, विद्याधर लोक मे कालप्ररूपणा-प्रकृति ३८८, २.२७१ अ, स्थिति ४४६०,
विभाग २६३, सेना को अठारह श्रेणी ४७२ अ। अनुभाग १६४ ब, प्र.श ३ १३६ । बत्र ३६७, बध
श्रेणीचारण ऋद्धि-ऋद्धि १४४७, १.४५१ ब । स्थान ३१०६, उदय १३७५, उदयस्थान १३८७,
श्रेणीबद्ध-४७२ ब । नरक बिल-निर्देश २ ५७१ ब, उदीरणा १.४११ अ, उदोरणास्थान १४१२, सत्त्व
२५७६ अ, विस्तार २५७८ ब, अकन ३.४४१, ४२७८, सत्त्वस्थान ४२६४,त्रिसयोगी भग १.३६६ । सक्रमण ४८४ ब, अल्पबहुत्व ११६८।
सख्या २५७८-५८०। स्वर्गविमान निर्देश ३५६३ श्रुतज्ञानी-अनुभव (केवलीसम) १८३ ब ।
अ, ४.५१६ अ, नामनिर्देश ४५१६ अ, विस्तार भुत थकृति-ग्रथ २२७३ ब ।
४५१६-५१८, अकन ४.५१७, सख्या ४.५१६श्रुततीर्थ-इतिहास-उत्पत्ति १३१७ ब, १. परि०/२१, ५२०। ह्रास १.३१८ अ, १. परि०/३१ ।
श्रेणीबद्ध कल्पना-४७४ अ। श्रुतदर्शन-दर्शन २.४१५ ब।
श्रेयस्कर-४७४ अ, लौकातिक देव ३.४६३ बा। धतदेवता-समवसरण ४३३० ।
श्रेयांस- ४७४ अ, कुरुवशी राजा १.३३५ ब, तीर्थंकर धुतधर आम्नाय-इतिहास, १.परि०/२१-२-३, ३.१ । २.३७६-३६१, नारायण ४१८ ब, स्वप्न ४.५०५ अ। श्रतपंचमी क्रिया-कृतिकर्म २.१३६ अ।
श्रेयांससेन---काष्टासघ १.३२७ अ। श्रुतपंचमी व्रत--४७१ अ।
श्रेयोविधा-अभयनंदि १०१२७ अ।
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