Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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२५१
श्रीधर
श्रद्धा-प्रत्यय ३ १२५ ब, मोहनीय ३ ३४२ ब, सम्यग्दर्शन धावकाचार-४.५२ ब, इतिहास- (धर्मरत्नाकर)
४.३५० ब, ४३५६ अ, ४.३५६ ब सम्यग्दष्टि १ ३४३ अ, आगम परम्परा १३४३ ब। ४.३७८ ब।
श्रावकाचार सारोद्धार-इतिहास १३४५ ब । श्रद्धान-४४३ ब, अदर्शन परिषह १४६ ब, अनुभव श्रावणद्वादशी व्रत-४५२ ब ।
१८२ ब, आगमार्थ १२३२ ब, उपदेश १.४२६ ब श्रावस्ती - तीर्थंकर सभवनाथ २३७६, नारायण ४१८ प्रायश्चित्त ३१५८ ब, ३ १६२ अ, मिथ्यादष्टि ३३०२ ब, प्रतिनारायण ४२० ब। ब, ३.३०५ अ, सम्यग्दर्शन ४३४६ अ-ब, ४.३५२ श्राविका-उपकार १४१६ अ, तीर्थंकर सघ २.३८७। ब, ४३५४ अ, ४३५६ अ-ब, ४३५६ अ, साधु थिति - ४५२ ब, सल्लेखना ४.३६० ब । ४४०६ ब ।
श्री-४५३ अ । पपद्रह की देवी-निर्देश ३.४५३ ब, श्रद्धान प्रायश्चित्त-प्रायश्चित ३१५८ ब ।
परिवार ३.६१२ अ, अवस्थान ३६१४ अ, अंकन श्रद्धानवाद -एकात १४६५ ब ।
३.४०३, भवन विस्तार ३६१५ रुचकवर पर्वत की श्रद्धानांश-मिश्र गुमस्यान ३ ३१० अ ।
दिक्कुमारी-निर्देश ३४७६ अ, अंकन ३४६८, श्रद्धानाश्रद्धान-मिश्र गुणस्थान ३३१० अ।
३.४६६ । हिमवान पर्वत का कट तथा देवी-निर्देश श्रद्धावती-नाभिगिरि-निर्देश ३४५२ ब, नामनिर्देश
३ ४७२ अ, विस्तार ३.४५३, ३४८५, ३.४८६, ३४७१ अ, विस्तार ३४८३. ३४८५, ३४८६,
अंकन ३४४४ के सामने । अकन ३४४४,३४६४ के सामने, चित्र ३४५२ ब। श्रीकंठ-४५३ अ, भावि शलाकापरुष ४२६ अ. वानरश्रद्धावान् -४४६ ब, सम्यग्दृष्टि ४.३७८ ब।
वश १.३३८ ब। श्रद्धावान् (कूट)-वक्षारगिरि का कूट तथा देव-निर्देश श्रीकटन - ४.५३ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ ब । ३४७२ ब, विस्तार ३.४८२, ३४८५, ३४८६,
श्रीकल्प-४.५३ अ। काल का प्रमाण २२१६ ब, २.२७
अ। अकन ३४४४ ।
श्रीकांत-भावि शलाकापुरुष ४२५ । श्रद्धावान् (पर्वत)-४.४६ ब। नाभिगिरि-निर्देश
श्रीकांता-४.५३ अ, तीथंकर कुंथुनाथ २ ३८०, सुमेरु । ३ ४५२ ब, नाम निर्देश ३.४७१ अ, विस्तार ३.४८३
वनो की पुष्करिणी-निर्देश ३.४५३ ब, नामनिर्देश ३.४८५, ३४८६, अंकन ३४४४,३४६४ के सामने,
३४७३ ब, विस्तार ३.४६०,३४६१, अकन ३.४५१, वर्ण ३.४७७ । वक्षारगिरि-निर्देश ३४६० अ, नाम
चित्र ३४५१। निर्देश ३ ४७१ अ, विस्तार ३४८२, ३.४८५, ३.४८६,
०१. श्रीकट-विद्याधर नगरी ३.५४५ अ । अकन ३४४४, ३ ४६४ के सामने, वर्ण ३ ४७७।
श्रीचंद्र-४५३ अ, कुरुवंश १.३३५ ब, १३३६ अ, चक्रश्रमण-४४६ ब, अनगार १.६२ अ, अनुभव १.८६ अ, वर्ती ४.१६ अ, भावि शलाकापुरुष ४.२५ ब ।
साध ४.४०६ अ. ४.४०७ ब, ४४१० अविशेष श्रीचद्र-४.५३ अ, नन्दिसंघ भट्रारक १३२३ ब, १३२४ दे० साधु।
अ। इतिहास १.३३१ अ, १३३३ अ, १३४३ ब, श्रमणशय्या-व्युत्सर्ग ३.६२१ अ।
१.३४६ ब। श्रवण-आहारान्तराय १२६ अ, ग्रह २२७४ अ, तीर्थ- श्रीचद्रा-सुमेरु के वनों की पुष्करिणी -निर्देश ३४५०
कर श्रेयास तथा मुनिसुव्रतनाथ २.३८०, नक्षत्र अ, नामनिर्देश ३.४७३ ब, विस्तार ३४६०, ३.४६१, २.५०४ ब।
अकन ३४५१, चित्र ३४५१ । श्रामण्य-परिग्रह ३.२५ ब ।
श्रीवत्त-४.५३ अ, तीर्थकर २.३७७ । श्रावक-४४६ ब, अनुभव १.८४-८६ अ, आहारांत- श्रीवत्त-४.५३ अ, मलसंघ १३१७, परि०/२.६. इति
राय १२८ अ, उपकार १.४१६ अ, कायक्लेश २.४८ हास-प्रथम १.३२८ ब, द्वितीय १.३२६अ,ब। अ, क्रिया २१७४ अ-ब, २.१७५ अ, तीर्थंकर संघ श्रीधर--४५३ अ, तीर्थकर २३७७, पुष्कर सागर का २.३८८, पूजा ३७५ अ, बौद्ध दर्शन ३१८६ ब ।
देव ३.६१४, विद्याधर नगरी ३.५४५ अ, वैशेषिक श्रावकसंघ-कल्की २.३१ब।
६०७ ब। भावकसूत्र-यज्ञोपवीत ३.३६६ब।
श्रीधर-४५३ अ, नन्दिसंष देशीय गण १३२४ ब।
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