Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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Pr
2161
संयप
२५८
संरक्षणानंद
उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८, सस्त्रस्थान ४ २८८, ४२६६, ४.३०४, त्रिमयोगी भंग १,४०६ अ। सन ४.१६२, सख्या ४६५, क्षेत्र २.१६७, स्पर्शन ४.४७७, काल २६६,
अतर १७, भाव ३ २२२ ब, अल्पबहुत्व १.१४३ । संयम-४.१४० ब, तीर्थकर २.३७७, शलाकापुरुष
४.२५ अ। संयम (सयत)-४ १.५ ब, अनगार (सयत) १६२ अ,
अवधिज्ञान ११९५ अ, अग्युका अपवर्तन १२६१ ब, आर्तध्यान १२७४ अ, आहारक समुद्धात १२६८ ब, उपयोग १ ४३१ अ, १.४३२ अ, १.४३३ अ, १.४३४ अ, ऋद्धि (चारण) १४५१ ब, कषाय २.३४ अ, केवली २१६५ अ, क्षयोपशम २.१८५ ब, २.१८६ अ, क्षायोपश्चमिक भाव २१८२ ब, चारित्र २२८२ ब, २.२८७ ब, २.२८८ अ, २.२८६ अ, २.२६१ ब, १.२६३ अब, जन्म (गनि-अगति) २३२२ ब, तप २.३५६ ब, २.३६१ अ, तिर्थच २.३६६ ब, निर्जरा का अल्पबहुत्व १.१४१ ब, प्रत्याख्यानावरण ३.१३३ ब, बद्ध'युष्क १.२६२ ब, मोक्ष ३.३२६ ब, मोक्षमार्ग ३ ३३६ अ-त्र, लब्ध ३.४१४ अ, शुक्लध्यान २.३४ ब, षट्कालिक हानिवृद्धि २.६३, सन्निरातिक भाव
४.३१२ ब, साधु ४.४०७ अ, सामाधिक ४४१८ ब। सयम (प्ररूपणा)-बध ३.१०६, बधस्थान ३.११३, उदय
१३८३, उदरस्थान १.३६३ अ, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४.२८३, सत्त्वस्थान ४३०१, ४३०६, त्रिसयोगी भग १,४०७ ब । सत ४२३६, सख्या ४.१०६, क्षेत्र २.२०५, स्पर्शन ४४८६, काल २.११४, अंतर १.१६, भाव ३.२२१, अल्पबहुत्व १.१५०, भागाभाग ४.११३ । पंचशरीरस्वामित्व-निर्देश ४.७, अल्पबहुत्व १.१५६ ब।
अनुभाग का अल्पबहुत्व १.१६८ । संयम (अपहृत)-अपवादमार्ग १.१२० ब । सयम (उपेक्षा)-उत्सर्गमार्ग १.१२१ अ । संयम (उपकरण-उकरण १.४१४ ब, समिति ४.३४१
सयमस्वरूप-प्रतिमा-चैत्य-चैत्यालय २.३०० ब । संयमाचरण-चारित्र २२८५ अ । सयमासंयम-४१३३ ब, अप्रत्याख्यानावरण १.१२६ अ.
आरोहण अवरोहण २.२४७, आर्तध्यान १२७४ अ, करण दगक २.६ अ, कषाय २४० ब, काय २.४५ ब, क्षयोपशम २.१८५ अ, २१८६ अ, क्षायोपशमिक भाव २,१८२ ब, २१८३ अ, क्षापिक सभ्यग्दष्टि २.३६८ ब, चारित्र २.२८७ ब, तिर्यच २.३६८ ब, तिर्यच अपर्याप्त २३६६ अ, तीर्थंकर २.३७३ ब, परिषह ३ ३४, प्रदेश निर्जरा का अल्पबहुत्व १.१७४, बद्धायुष्क १२६२ ब, लब्धि ३४१४ अ, मख्या ४६२ ब, समर्छन ४.१२७ अ, सन्निपातिक भाव ४३१२ ब, समुद्घात ४.३४३ अ, सम्यग्दर्शन
(क्षायिक) ४.३७३ ब। सयमासंयम (प्ररूपणा) बंध ३.१०६, बधस्थान ३११३,
उदय १३८३ उदयस्थान १.३६३ अ, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२ सत्त्व ४ २८५, सत्त्वस्थान ४.३०१, ४.३०६, त्रिसयोगी भग १.४०७ । सत् ४.२३९, सख्या ४.१०६, क्षेत्र २-२०५, स्पर्शन ४,४८६, काल २.११४, अंतर १.१७, भाव
३.२२१ अ, अल्पबहुत्व १.१५१ । संयमोपकरण --उधकरण १४१४ ब, समिति ४.३४१ अ। संयोग-विभाव ३.५६१ अ । सयोगकेवली-दे० सयोगकेवली । सयोगगति - गति २.२३५ अ । समोगद्रव्य-द्रव्य २ ४५४ ब । सयोगपद-उपक्रम-उपक्रम १.४१६ ब । संयोगवाद -४१४१ अ, एकात १४६४ ब १.४६५
अब। संयोग सबंध - ४१४१ अ, नय २४६० अ, २.५४६ ब । संयोगाक्षर - अक्षर १३३ अ। सयोगाधिकरण-अधिकरण १४६ अ । संयोगी स्थान प्ररूपणा-उदय १३६९-४०८ । संयोगी भंग-उदय १३९६-४०८, गणित २.२२८ अ। सयोगी भाव-विभव ३५६१ अ, सन्निपातिक भाव
४.३१२ ब। संयोजन-४१४१ अ। संयोजना दोष-आहार १२६० अ। संयोजना सत्य-सत्य ४.२७१ ब । संरंभ-४१४१ अ। संरक्षणानंद-रौद्ध्यान ३.४०७ ब, ३४०८ अ ।
संयमचरण-चारित्र-चारित्र २,२६३ अ। संयमभाव-चारित्र २२८६अ। संयमरक्षा-आहार १.२६२ ब । संयमलब्धि -३.४१४ अ। सयमलब्धि-स्थान-अल्पबहुत्व १.१६६, स्थान ४.४५२ ब। सयमविशुद्धि स्थान- अल्पबहुत्व १.१६० अ।
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