Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 266
________________ सहनन नामकर्म-प्रकृति २६० सत् सहनन नामकर्म-प्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३६५ ब, सचित्त-त्याग प्रतिमा-आरभ-त्याग प्रतिमा १२७१ अ. २.५८३, स्थिति ४४६३, अन् भाग १६५, प्रदेश सचित्त ४१५७ ब। ३ १३६ । बध ३६७, बंधस्थान ३११०, उदय सचिसद्रव्य शल्य -- शल्य ४२६ ब । १३७५, उदय की विशेषता १ ३७३ ब, उदयस्थान सचित्त-निक्षेप-सवित्त ४१५८ अ, निक्षेप २५६१ ब. १३६०, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान २६०१ अ। १,४१२,सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४.३०३. त्रिसंयोगी सचित्त नोकर्म द्रव्य बधक-बध भंग १४०४ । संक्रमण ४८५ अ, अल्पबहुत्व ११६६ सचित्त-पाहुड-प्राभूत ३१५६ ब । अ। सचित्तपूजा--पूजा ३७४ ब । संहरण सिद्ध-अल्पबहुत्व ११५३ । सचित्त बंधक-बध ३.१७६ अ। सहार-जीव २३३८ ब। सचित्त भाव----भाव ३२१८ ब। स-समयप्रबद्ध की सहनानी २२१६ अ । सचित योनि-योनि ३.३८७ अ। स-समयप्रबद्ध की सहनानी २२१६ अ। सचित्त वर्गणा-वर्गमा ३५१६ ब, ३५१८ अ । सककापिर-४१५६ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ अ । सचित्त सबध आहार-भोगोपभोग ३.२३६ ब, सचित्त सकक्ष-विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ। ४१५८ अ। सकल-परमात्मा ३२० अ। सचित्त स्थान-स्थान ४४५३ अ) सकलकीति--४१५६अ, नदिसघ १३२४ अ, इतिहास सचित्ताचित्त योनि-योनि ३ ३८७ अ। १.३३३ अ, १३४५ ब । सचित्तापिधान-४.१५८ अ। सकलचारित्र--सयम ४.१३७ अ । सचेलता-येद (स्त्री) ३ ५८६ अ । सकल-जिन-जिन २३२८ ब, पूजा ३७७ अ। सज्जन--सगति ४११८ अ । सकल-त्याग-उपयोग १४३१ अ, सयम ४१३७ ब । सज्जनचित्तवल्लभ-४१५८ ब, इतिहास १३३१ ब, सफलदत्ति-दान २.४२२ ब। १३४३ ब । सज्जाति-क्रिया- सस्कार ४.१५२ ब । सकल परमात्मा-परमात्मा ३.२० अ। सकल प्रत्यक्ष-प्रत्यक्ष ३.१२२ ब ३१२३ अ। सतालक ४२७० अ, पिशाच ३.५८ ब। सकलभूषण-नदिसघ भट्टारक १३२४ अ, इतिहास सतीपुत्र -४२७० अ। १३३३ ब । सत् --४१५८ ब, अद्वैतवाद १४७ ब, अनुयोगद्वार ११०२ सकलात्मा-परमात्मा ३२० । अ, अनेकात ११०६ अ, असत् १.२०८ अ, अस्तित्व सकलादेश-४१५६ ब, सप्तभंगी ४.३१५८,४३१६ अ १२१२ अ, उत्पादादि १३५७ ब, १३५८ अ, ब, ४.३१७ अ। १३६१ अ-ब, कार्य (उत्पादादि) १३६२ ब, जैनसकलादेशी-नय २.५१७ अ । दर्शन २३४४ ब, द्रव्य २४५३ ब, २४५४ ब, द्रव्यसकलेंद्रिय-जीवसमास २.३४३, त्रस २ ३६८ । गुण-पर्याय (उत्पादादि) १३६१ब-३६२, सापेक्ष सक्तनिभ-४१५७ ब । धर्म १.१०६ अ, ४ ३२३ अ । सक्ता-४१५७ ब, जीव २ ३३३ ब । सत-प्ररूपणा--प्रकृति ३६७, स्थिति ४.४६०, अनुभाग सक्रिय-योग ३ ३७६ ब। १८६ ब, प्रदेश ३१३६ । बध ३ ९७-१०८, बंधसगर-४.१५७ ब इक्ष्वाकुवश १.३३५ अ, चक्रवर्ती ४१० स्थान ३.१०८, ३.११३, उदय १३७५-३८७, उदयअ, तीर्थंकर अजितनाथ २.३६१ । स्थान १.३६२ ब, १.४.६, उदीरणा १४११ अ, सचित्त- ४.१५७ ब, निक्षेप २६०१ अ, पूजा ३८० अ, उदीरणा स्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८-२८४, सत्त्व भक्ष्याभक्ष्य ३.२०४ अ-ब, भोगोपभोग ३.२३६ अ, स्थान ४२८७, ४२६८, ४.३०५, त्रिसंयोगी भंग योनि ३.३८७ अ। १३६६, १४००, ६.४०६ ब, करणदशक-स्वामित्व सचित्त काल-काल २८१ ब । २.६, जीव सामान्य ४१६१-२६८, परिषह-स्वामित्व सचित्त गुणयोग-योग ३.३७६ अ। ३३४, प्रत्यय-स्वामित्व ३१२७-१२६, भाव-स्वामित्व सचित्त व्यतिरिक्त नोआगम द्रव्य-अतर १३ ब । ३.२१६-३.२२२, योग-स्वामित्व ३.३७६, शरीर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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