Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 261
________________ षडरस २५५ संख्या तुल्यघात षडरस-रस-परित्याग तप ३३६३ अ । सकल्प-४.८२ ब, आहारांतराय १.२६ अ, विकल्प षडरसी व्रत-४८२ अ । ३५३७ ब। षधि आहार-आहार १.२८५ अ। संकल्पी हिंसा-हिंसा ४५३५ अ । षविशति (कर्म प्रकृति)-सक्रमण ४८७ ब, सत्त्व संकुट-४८२ ब, जीव २ ३३३ ब । ४२७६ अ। संकेत-४८२ ब। बग्णवति प्रकरण - ४.८२ अ, इतिहास १३४२ ब । संकेत क्रम-४८२ ब । षष्ठ अणुव्रत-रात्रिभोजन ३४०३ अ । संकोच-४८२ ब । षष्ठ बेला-४८२ अ। संकोच-विकोच-काय ८४६ ब, मनोयोग ३२७६ ब, पष्ठ भक्त-४ ८२ अ, अनसन १६५ ब, कायक्लेश २ ४७ योग ३३७६ । अ, प्रोषधोपवास ३१६४ ब । संकोच-विस्तार-जीव २३३८ ब, २३३६ ब, मोक्ष षष्ठितत्र-साख्यदर्शन ४.३६८ ब। ३३२६ अ, योग ३ ३७६ अ। षष्ठीवत-४.५२ अ। संकोच-विस्तार धर्म - जीव २३३८ ब, २३३६ ब । षाष्ठिक पद्धति -४८२ अ । संक्रमण-४८२ ब, अतरकरण १२५ ब, १.२६ अ-ब, षोडश-सहनानी अनत = '१६', अनतानत= १६, अष्टकर्म अल्पबहुत्व ११७५, आयुकर्म १२६० असख्यात (परीत)=१६, जीवराशि=१६ । काल ब-२६१, करणदशक २६, कालावधि का अल्पबहत्व समय राशि-१६ ख ख, आकाशप्रदेश राशि-१६ १.१६०, कृष्टि २१४२ अ, क्षपणा २१८० अ, गलितावशेष २२३८ ब, गुमास्यान (करण दशक) ख ख ख । २२१६ अ । २६ अ, प्रदेशो का अल्पबहुस्त्र १.१७४ ब। षोडश-आहार के उत्पादन व उद्गम दोष १२८६-२६१, संक्रांति-४६१ अ, शुल्कध्यान ४.३७ अ। कुलकर ४.२३ अ, पृथिवी (रत्नप्रभा) ३ ३८६ ब, संक्लिष्ट हस्तकर्म-हस्तकर्म ४.५३० ब। भावना ३.२२५ अ, स्वप्न ४५०४ अ। संक्लेश- उपयोग १४३१ ब. १.४३३ ब, विशुद्धि ३५६८ षोडशकारणधर्म चक्रोद्धारयंत्र-यत्र ३ ३६३ । अ-ब, स्थितिबंध ४४५८ ब, ४.४६०-४६७, स्थान षोडशकारणभावना-भावना ३ २२५ । ४४५२ ब, स्थानो का अल्पबहुत्व १.१६० अ । षोडशकारणभावना व्रत ४८२ अ । संक्षेप दर्शनार्य-आर्य १.२७५ अ । षोडशपदिक अल्पबहुत्व --अल्पबहुत्व १ १४२ ब । सक्षेप रुचि -उपदेश १.४२५ अ, सम्यग्दर्शन ४३४८ब । बोरश स्वप्न - ४.५०४ अ, ब, ४.५०५ अ। संक्षेप शारीरिक-वेदात ३.५६५ ब । संक्षेप सम्यक्त्वार्य---आर्य १.२७५ अ । संक्षेप सम्यग्दर्शन-सम्यग्दर्शन ४३४८ ब । संख्या - ४.६१ अ, अनुयोगद्वार १.१०२ अ-ब, अवधिज्ञान १.१६६ अ, करणत्रिक (परिणाम) २७-१४, गणित २.२१४ ब, २२२६ अ-ब, जीवप्ररूपणा ४.६४-१०६, द्रव्य २.४५६ ब, मोक्ष (मुक्तजीव) ३ ३२८ अ । संख्यात ---असख्यात १.५८ ब, गणित २२१४ ब, २.२१८ अ, सख्या ४६२ अ। सं-संज्ञी की सहनानी २.२१६ अ, सामाधिक ४,४१५ अ। संख्यात गणवद्धि अध्यवसाय १.५३ अ, धुतज्ञान संकटहरण व्रत-४.८२ अ। ४६६ अ, षड्गुण हानि-वृद्धि ४.८१ ब। सकर दोष-४.८२ अ, कर्ता-धर्म २.२२ ब । संख्यात भागवृद्धि-अध्यवसाय १.५३ ब, श्रुतज्ञान ४.६६ संकलन-४.८२ अ, गणित २२२२ ब, २.२२४ अ । अ, षड्गुण ४.८१ ब । संकलन-व्यवहार-गणित २.२२६ ब । संख्याताणवर्गणा- वर्गणा ३.५१३ अ, ३.५१५ ब, संकलन-श्रेणी व्यवहार-गणित २.२२८ ब, २.२२६ ब । ३.५१६ । संकलित धन-४.८२ ब। संख्या तुल्यधात- ४.११ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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