Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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वेदिकाबद्ध
२३७
वैडूर्य (कूट).
३.४८४, अंकन ३४५४, वर्ण ३.४७७ । पुष्करिणी प्रदेश ३१३६ । बध ३६७, बंधस्थान ३.११०, उदय ----अकन ३.४५२, रेवाण्यक व भूतारण्य वन-निर्देश १.३७५, उदय की विशेषता १.३७३ ब, उदयस्थान ३.४४४, ३ ४५७ ब, विस्तार ३.४८४, अकन ३ ४४४, १३६०, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान ३.४४७, ३.४६४ के सामने, वर्ण ३४७७ । पर्वत- १४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४३०३, सत्रमण निर्देश ३ ४४४ ब, विस्तार ३.४८४, अकन ३.४४७, ४.८४ ब, अल्पबहुत्व १.१६६ । ३.४४६, ३४५२, वर्ण ३ ४७७ । भद्रशाल वन- क्रियिक शरीर बंध-वक्रियिक-वैक्रियिक, वैक्रियिक-तंजस. निर्देश ३.४५८ अ, विस्तार ३.४८४, अकन ३४४४,
वैऋियिक-कार्मण, वैक्रियिक-तैजस-कार्मण ३.१७० वर्ण ३.४७७। बेदिकाबद्ध-३.६०१ ब, व्युत्सर्ग दोष ३.६२२ ब । वैक्रियिक षट्क-उदय १.३७४ ब । वेदिम-३६०१ ब।
वैक्रियिक समुदघात-बैंक्रियिक ३७०४ अ। समुदधात बेदी-३.६०१ब, विशेष प्ररूपणा दे० ऊपर वेदिका।
-निर्देश ४.३४३, क्षेत्र २.१६७-२०७, स्पर्शन वेधिम-निक्षेप २.६०२ अ।
४.४७७-४६४। वेलधर देव नगरी-लवणसागर मे ३४६२ अ, अकन वैखरी--भाषा ३.२२७ ब।
वैखानस मनि-वैष्णवदर्शन ३६०६अ। वेलंब-३६०१ ब, मानुषोत्तर पर्वत का कूट तथा देव- वैज्ञानिक भूगोल-निर्देश ३४३५ ब।
निर्देश ३ ४७५ अ, विस्तार ३४८६, अकन ३ ४६४। वैचित्र्य-कारण (कर्मोदय) २७१ ब । वायकमार इद्र-निर्देश ३२०८ अ, परिवार ३.२०६ वैजयंत-३६०४ ब. ग्रह २२७४ अ. विटा अ, अवस्थान ३.२०६ब, आयु १.२६५ ।
३.५४५ अ । जम्बूद्वीप की जगतो का द्वार-निर्देश वेश्या-३६०१ब, ब्रह्मचर्य ३.१६२ अ, स्त्री ४.४५० ब । ३.४४४ ब, विस्तार ३.४८४, अकन ३.४४४ वेश्यागमन-ब्रह्मचर्य ३ १९१ब ।
३.४४७, इसका रक्षकदेब ३६१३ । रुचकवर पर्वत वैकालिक वशक -३६०१ब, श्रुबज्ञान ४.६७ ब ।
का कूट-निर्देश ३.४७६, विस्तार ३.४८७, अकन वैक्रियिक --३६०१ ब। वैक्रियिक काययोग-३.६०३ ब, प्ररूपणा--बध ३.१०४, बैजयंत (स्वर्ग)-अनुत्तर विमान-निर्देश ४११
बंधस्थान ३११३, उदय १३८०, उदयस्थान १.३६२ विस्तार ४५१८, अकन ४.३१५, ४५१७ । देवब, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, निर्देश ४.५१० अ, आयु १.२६६, आयु बध के योग्य सत्त्व ४३८३, सत्त्वस्थान ४२१६, ४३०५, त्रिस- परिणाम १२५८ ब । चक्रवर्ती ४१५ अ-ब । योगीभग १.४०७ अ । सत ४२६६, सख्या ४१०३, वैजयंता-विदेहनगरी-निर्देश ३४७० ब, नामनिर्देश क्षेत्र २२०२, स्पर्शन ४४९५, काल २६६ ब, ३.४७० ब, विस्तार ३.४७६.४८१, अंकन ३.४४४. २१०८, अतर ११३, भाव ३.२२० ब, अल्पबहुत्व ३.४६२, चित्र ३.४६० अ। ११४८ ।
वैजयंती-३६०४ ब, बलदेव ४१७ ब, विद्याधर नगरी वैक्रियिक चतुष्क ~ उदय १३८४ ब ।
३.५४५ अ। नंदीश्वर द्वीप की वापी-निर्देश वैक्रियिक द्विक--उदय १३७४ ब।
३.४६३ अ, नामनिर्देश ३ ४७५ अ, विस्तार ३.४६१, वक्रियिक वर्गणा- वर्गणा ३.५१४ ब ।
अकन ३४६५ । रुचकवर पर्वत की दिक्कुमारीवैक्रियिक विमान-विमान ३५६३ अ।
निर्देश ३४७६ अ-ब, अकन ३.४६८, ३.४६६ । वैक्रियिक शरीर-आहारक शरीर १.४५७ अ, कल्याणक विदेह नगरी-निर्देश ३४६० अ, नामनिर्देश
२३२ ब, नरक २५७३ ब, प्रदेश अल्पबहुत्व ११५७ । ३.४७० ब, विस्तार ३.४७६, ३.४८०, ३४८१, वैक्रियिक शरीर अंगोपांग-~१.१ ब ।
अकन ३४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र ३.४६० अ । वैक्रियिक शरीर अंगोपांग नामकर्मप्रकृति-प्ररूपणा--दे० र्य-३.६०४ ब, मनुष्यलोक, ३.२७५ ब, रत्नप्रभा नीचे वक्रियिक परीर नामकर्मप्रकृति ।
३.३८६ ब। बैंक्रियिक शरीर नामकर्म प्रकृति-प्ररूपणा--प्रकृति वैडूर्य (कूट)-महाहिमवान् पर्वत का-निर्देश ३.४७२
३.८८, २५८३, स्थिति ४.४६३, अनुभाग १.६५, अ, विस्तार ३४८३, अंकन ३.४४४ । मानुषोत्तर
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