Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 220
________________ लवणसागर २१४ लेपाहार लवणागर--३.४१५ ब, निर्देश ३.४६० ब, नामनिर्देश ब, दक्षिणेद्र ४५११ अ, परिवार ४.५१२-५१३, अव. ३ ४७० अ, पर्वत तथा पाताल ३ ४६२ अ, ३४७४ स्थान ४.५२० ब, चिह्न आदि ४.५११ ब, विमान ब, विस्तार ३४७८, अकन ३.४४३, ३४४४, ३ ४६४ नगर व भवन ४ ५२०-५२१ । के सामने, चित्र ३४६१, जल का रस ३४८०, अधि- लाखू (कवि)-इतिहास १.३३२ अ, १३४५ अ। पति देव ३ ६१४ । जीव-अन्तीपज मनुष्य ३३५८ लाधव-३.४१६ अ, अचेलकत्व १.४० अ, शौच ४.४२ अ, अवगाहना १ १७६, तियं च २.३७० ब। वैदिकाभिमत-निर्देश ३.४३१ब, अकन ३.४३२। लाट-३४१६ अ। लवणादेवी-सिंधु नदी के कूट की देवी ३६१४, आयु लाटी संहिता-३.४१६ अ, इतिहास १.३४७ अ । १२६५ ब । लाड़बागड़ गच्छ-एकात जैनाभास १४६५ अ, काष्ठासंघ लवणोदसिद्ध-अल्पबहुत्व १.१५३ अ। १.३२१ अ,१३२२ अ, १.३२७ ब । लवपुर-३.४१५ ब। लाड़बागड़ संघ-काष्ठा सघ १.३२१ अ, १३२७ ब । लहू-अतराय (आहारातराय) १.२६ अ। लाभ-३.४१६ अ। लांगल--३.४१५ ब । स्वर्ग पटल-निर्देश ४.५१७, लामांतराय-अन्तराय १.२७ ब। प्ररूपणा--प्रकृति विस्तार ४५१७, अकन ४५१५, देव आयु १२६७। ३.८८, १६४ ब, स्थिति ४४६७, अनुभाग १.६४ ब, लांगल खातिका-३४१५ ब, मनुष्यलोक ३.३७६ अ । प्रदेश ३.१३७ । बध ३.६७ बधस्थान ३.११०, उदय लांगल चित्र-करणविक २.६अ। १३७५, उदयस्थान १३८७, उदीरणा १.४११ अ, लांगल रचना करणत्रिक (अध.करण) २.८ब, २.६अ। उदीरणा स्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान लांगलस्वस्तिका-३४१५ ब । ४२९४, त्रिसयोगीभग १.३६६ । संक्रमण ४.८५ अ, लांगलावर्त -३४१५ ब । अल्पबहुत्व ११६९ ब । लांगलावर्ता-विदेहस्थ क्षेत्र-निर्देश ३४६० अ, नाम लालसा-निदान २.६०८ अ। निर्देश ३४७० ब, विस्तार ३.४७६, ३.४८०, लिंग-३४१६ अ, मोक्ष ३.३२७ ब, वेद ३.५८३ ब, ३४८१, अंकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र सल्लेखना ४३६०। ३ ४६० अ। वक्षारगिरि का कृट तथा देवी-निर्देश लिंगज शुतज्ञान-श्रुतज्ञान ४.५६ अ । ३४७२ ब, विस्तार ३.४८२, ३.४८५, ३.४८६, लिंगपाहुड-३.४२० ब, इतिहास १३४० ब। अंकन ३.४४४ । लिंग व्यभिचार-नय २५३७ ब। लांगलिका गति-विग्रह गति ३५४०ब। लिंगशुद्धि-शुद्धि ४४० अ । लांतव (देव)-३४१५ ब । निर्देश ४.५१० ब, अवगाहना लिंगसावरण-वेद ३५८६अ। १.१८१ अ, अवधिज्ञान १.१६८ ब, आयु १.२६७, लिपिबद्ध-आगम १.२२८ ब । आयु बध के योग्य परिणाम १२५८ब। लिपि संख्यान क्रिया-मंत्र ३.२४७ अ, संस्कार ४,१५१ लांतव देव (प्ररूपणा)-बध ३.१०२, बंधस्थान ३.११३, अ। उदय १.३७८, उदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा लिप्त-३.४२० ब, आहार दोष १२६१ ब । १.४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४.२८२, लीख-३.४२० ब, क्षेत्र का प्रमाण २.२१७ अ। सत्त्वस्थान ४.२६८, ४३०५, त्रिसंयोगीभंग १.४०६ लीन-चारित्र २.२८४ अ, मोक्षमार्ग (लय) ३.३३५ब, ब। सत् ४.१६२, सख्या ४.६८, क्षेत्र २.२००, स्पर्शन सामायिक ४.४१५ ब। ४.४८१, काल २ १०४, अन्तर १.१०, भाव ३.२२०, लीलाविस्तार टीका--३ ४२० ब, इतिहास १.३४२ म। अल्पबहुत्व १.१४५। लुका-३.४२० ब, श्वेताबर ४८०ब। लांतव स्वर्ग-निर्देश ४.५१८, पटल ४.५१८, इद्रक व खंका मत-३.४२० ब । श्वेताबर ४.८० ब । श्रेणीबद्ध ४.५१८, ४.५२०, दक्षिण विभाग ४.५२१ लेखक्रिया--क्रिया २.१७४ ब । अ, अवस्थान ४.५१४ ब, विस्तार ४.५१८, अंकन लेखन-आगम १.२२८ब। ४.५१५ । नारायण ४.१८ब। लेप-३४२० ब। लाक्षा वाणिज्य कर्म-सावध ४.४२१बी निर्देश ४.५१० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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