Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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लक्ष्मण सेन
२१३
लवणतापि
लक्ष्मणमेन-३४१० अ। प्रथम-काष्ठासघ १.३२७ अ, लता--- अनुभाग १६१ब, १.६३ ब, काल का प्रमाग
इतिहास १.३२६ अ। सेनसघ १३२६ अ, इतिहास २२१६ अ, २२१७ अ। १३३३ अ।
लतागृह - भवनवासी देवो के भवनो मे ३.२१० अ। लक्ष्मणा-तीर्थकर चन्द्रप्रभ २३८० ।
लताभूमि -समवसरण ४.३३० ब । लक्ष्मी-३.४१० अ, आनतेद्र का यान ४५११ ब, लतावक्र-३ ४१० ब, व्युत्सर्ग दोष ३ ६२१ ब । नारायण ४ १८ ब, स्वप्न ४५०४ ब ।
लब्ध–३ ४१० ब। लक्ष्मीकुट-विद्याधर नगरी ३५४५ अ।
लब्धराशि-३४१० ब। लक्ष्मीचद्र-३४१० अ। प्रथम-नदिसघ १.३२३ ब, लब्धाभिमान--हरिवश १३४० अ। १३२४ अ, इतिहास १३३३ अ।
लब्धि-३४१० ब, उपयोग १४२६ अ, १४३० अ-ब, लक्ष्मीचंद्र (कवि)-इतिहास १३३३ अ,१३३४ ब । उपशम १४३८ अ-ब, कारण (योग्यता) २५६ अ, लक्ष्मीदेवी-पडरीक हद की देवी-निर्देश ३ ४५३ ब, छेदोपस्थापना २३०६ अ, विकल्प (निर्विकल्प)
परिवार ३.६१२ अ, अंकन ३ ४४४ के सामने, भवन- ३.५३८ अ, श्रुतज्ञान ४५६ ब, ४६२ ब । वासी देवी-आयु १२६५, परिवार ३६१२ अ, लब्धि-अक्षर-अक्षर १.३२ ब । भवन का विस्तार ३.६०६ । चकवर पर्वत के कूट लब्धिप्राप्त-क्रियिक ३६०३ ब । की देवी--निर्देश ३४७६ अ, अकन ३४६८। लब्धिविधान व्रत-३४१५ अ। शिखरी पर्वत के कूट की देवी-निर्देश ३ ४७२ ब, लब्धिसपन्न ऋषि-सम्यग्दर्शन का निमित्त ४३६४ ब। विस्तार ३४८३, अकन ३ ४४४ के सामने ।
लब्धिसंवेग सपन्नता -सवेग ४१४४ अ-ब। लक्ष्मीमती-३४१० अ, तीर्थकर चद्रप्रभ २३८० ।
लब्धिसार-३.४१५ ब, इतिहास १३४३ अ। लक्ष्मीवती-२चकवर पर्वत के कट की दिक्कूमारी
लब्धिसार टीका-इतिहास १३४८ अ । निर्देश ३.४७६ अ, अकन ३.४६६ ।
लब्धिस्थान--अल्पबहुत्व ११६० अ, छेदोपस्थापना लक्ष्मीसेन- सेनसघ १.३२६ अ।
२३०६ अ, लब्धि ३ ४१४ अ, ३४१५ अ । 'लक्ष्य--३४१० ।
लब्ब्यक्षर-अक्षर १.३२ ब ।। लक्ष्य-लक्षण सबंध-४१२६ अ ।
लब्ध्यक्षर ज्ञान-श्रुतज्ञान ४.६५ ब । लक्ष्य-लक्षण समानाधिकरण-लक्षण ३ ४१० अ। लब्ब्यपर्याप्त आय १.२६४, जीव २.३३३ ब, जीवसमास लगड शय्यासन तप-कायक्लेश २.४७ ब।
२.३४३, पर्याप्ति ३४२ अ, मनुष्य ३.२७३, योगलछिमा ऋद्धि - ऋद्धि १४४.७, १.४५१ अ।
स्थान ३,३८३ अ, वेदभाव ३५८७ अ । लघीयस्त्रय-३४१० ब, अकलंक १३१ अ, इतिहास लय-मोक्षमार्ग ३३३५ ब । १३४१ ब।
लयकर्म-कर्म २.२६ अ, निक्षेप २.५९८ अ। लघीयस्त्रयवृत्ति - अभयचद्र ११२७ अ ।
लयभाजन-निदा (मिथ्या साधु) २.५८६अ। लघु- ३ ४१०, चूणि २.६३८ ।
लरि०-लघुरिक्थ की सहनानी २.२२५। लघुत्व गति-गति २ २३५ अ ।
ललितकीति-३४१५ ब। प्रथम अनतकीर्ति १५६ ब, लघुभाषा--दिव्यध्वनि २ ४३२ अ ।
इतिहास १३३२ अ । द्वितीय -काष्ठा संघ १३२७ लघु मासिक प्रायश्चित्त-प्रायश्चित्त १.४० ब ।
अ, इतिहास १३३४ ब । तृतीय-नदिसंघ भट्टारक । लघुरिक्थ-३ ४१० ब, गणित २ २२५ अ ।
१ ३२३ ब। लघुशंका-व्युत्सर्ग दोष ३ ६२१ अ।
ललितांग देव-३.४१५ ब। लघु शतक चूणि-इतिहास १.३४१ अ।
लल्लक-३.४१५ ब, नरक पटल-निर्देश २.५७६ ब, लधु सर्वज्ञसिद्धि-३४१० ब, अनंतवीर्य १.६० अ, विस्तार २.५७६ ब, अकन ३.४४१। नारकीइतिहास १.३४२ ।।
अवगाहना १.१७८, आयु १२६३ । लघुहन्व- अकलक भट्ट १.३१ अ।
लव-३.४१५ ब, काल का प्रमाण २२१६ अ-ब, गणित लज्जा-विनय ३.५५३ ब ।
२ २२३ ब, प्रतिबुद्धता ३.१६६ ब । लतांग-काल का प्रमाण २.२१६ अ, २२१७ अ।
लवणतापि--३४१५ ब, देवं (आकाशोपपन्न) २.४४५ ब ।
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