Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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वरसेना
२२१
वर्तमान महावीर
ब।
वरसेना-तीर्थकर वासुपूज्य २३८८ ।
वर्गशलाका राशि-गगित २२२६अ। सहनानी २.२१६ वरांगकुमार-३.५११ अ ।
ब। वरांगचरिउ -- इतिहास १३४६ अ।
वर्ग-समीकरण-३५१६ अ। वरांगचरित्र-इतिहास १३४५ ब ।
वगित-गणित २ २२५ अ। वराटक-३.५११ ब, पूजा ३.७६ अ, निक्षेप २.५९८ब। गित सर्वागत-३.५१६ अ, अनन्त १.५६ अ, गणित वराटक कर्म-कर्म २२६ अ, निक्षेप २५६८ ब ।
२२२३ ब । वराह-३ ५११ अ, तीर्थंकर श्रेयासनाथ (गेंडा) २३७६, वर्चगत-रत्नप्रभा (चित्रा पृथिवी) ३.३६१ अ । विद्याधर नगरी ३.५४५ ब ।
वर्चस्क-३५१६ अ। नरकपटल-निर्देश २५८० अ,
विस्तार २५८० अ, अकन १४४१। नारकीवराहमिहिर-३ ५११ अ, श्वेताबर ४७८ ब ।
अवगाहना १.१७८, आयु १.२६३ । वरुण ३५११ ब, गणधर २२१३ अ, तीर्थंकर मल्लि
वर्ण-३.५१६ अ, ईर्यापथ कर्म १,३४१ अ, निक्षेप २.६०२ नाथ का यक्ष २.३७६, नक्षत्र २५०४ ब, मनुष्यलोक
ब, प्रव्रज्या ३.१४६ ब । ३२७५ ब । वारुणीवर द्वीप का रक्षक देव ३६१४ ।
वर्णचतुष्क १.३७४ व । वरुणकायिक--३.५११ ब, देव (आकाशोपपन्न) २.४४५
वर्णमातका-पदस्थ ध्यान ३६ब ।
वर्णलाभ क्रिया-संस्कार ४१५१ ब, ४.१५२ ब । वरणपर्वत-मनुष्यलोक ३२७५ ब ।
वर्णविभाग- वर्णव्यवस्था ३ ५२२ ब । वरुणपुर-जल २.३२४ ब ।
वर्णव्यवस्था -३५१९ ब, गोत्रकर्म निर्देश ३.५२०ब, वरुणप्रभ.-३.५११ ब, वारुणीवर द्वीप का रक्षक देव
वणव्यवस्था निर्देश ३ ५२३ अ, उच्च-नीच कुल ३.६१४।
३ ५३४, शूद्र ३ ५२५ ब। वरुण लोकपाल-वैमानिक देवों के निर्देश ३ ४६२ अ, बोनस अधिकार-माटा
शक्ति आदि ४५१३ अ, मध्यलोक में अवस्थान वयंसमा जाति-३५२५ ब । ३.६१३ ब,३६१४, सुमेरु पर्वत पर भवन ३.४५० वर्तना-३५२६ अ. काल २.८२ ब, २८३ अ, २.८५ अ-ब, स्वर्गलोक मे अवस्था ४५१३ अ, आयु १.२६६ ।
अ-ब। वरुना-तीर्थंकर चद्रप्रभ २३८८ ।
वर्तमान काल-३.५२६ अ, अल्पबहुत्व ११४२ ब, काल वर्ग-३५११ ब, उदय १.३६६ ब, गणित २.२२३ अ, (प्रमाण) २.८८ अ, नय २.५३६ अ । २२२४ अ, त्रिवर्ग २.४०० ब ।
वर्तमान ज्ञायक शरीर-अन्तर १.३ ब, निक्षेप २६०३ ब। वर्गण संवर्गण - गणित २.२२३ ब ।
वर्तमान प्राही नय-नय ३.५२२ अ। वर्गणा-३५११ब, उदय १३६६ ब, कर्म २.२७ अ-ब, वर्तमान नेगम-जय-जय २५३० अ-ब ।
कृष्टि (अनुभाग) २१४० ब, निर्वगेणा २.६२६ अ, बर्दल-३.५२६ अ, नरकपटल-निर्देश २.५८० अ, प्रदेश (समयप्रबद्ध) ३.१३५ ब, सख्या ४.६३ अ।
विस्तार २५८० अ, अकन ३४४१ 1 नारकी-अववर्गणा (प्ररूपणा)-सत् ३५१२ अ, सख्या ४११६ ब, गाहना १.१७८, आयु १२६३ ।
क्षेत्र २२०८, सर्शन ४४६४, भाव (वर्गणा के वर्द्धमान-३.५२६ अ, रुचकवर पर्वत का कूट -निर्देश स्वामियो का) ३२२३ । अल्पबहुत्व-वर्गणाबद्ध ३.४७६ ब, विस्तार ३.४८७, अंकन ३.४६६ । प्रदेशो का ११४२ अ,११५५, १.१७६, शरीरबद्ध वर्षमानकोति-नन्दिसंघ १.३२३ ब। वर्गणाओ का १.१५७, वर्गणा की अवगाहना का वढमानचरित्र-इतिहास १.३४५ ब, १.३४६ अ। ११५७, वर्गणा पचक के द्रव्य प्रमाण आदि का पर्वमानचारित्र-३.५२६ अ, असग १२०७ ब, इतिहास
, एकश्रेणी व नाना श्रेणी वर्गणाओ का १.३३० ब. १.३४३ अ। ११५५।
वर्धमान भट्टारक-इतिहास-प्रथम १.३३२ ब, १.३४५ वर्गणा शलाका-३५१८ ब ।
ब। द्वितीय १.३३३ ब। वर्गधारा-गणित २.२२६ अ ।
पर्वमान महावीर-अग्निमित्र १.३६ ब, इंद्रभूति १.२९६ वर्गमल-३.५१८ ब, गणित २.२२३ अ, २.२२४ अ।
ब, गणधर २ २१३ अ, तीयंकर प्ररूपणा २.३७६वर्ग::साका-३५१६ अ, गणित २ २२५ अ ।
३६१, मगधदेश इतिहास १.३१०, महावीर ३.२६१
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