Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 168
________________ प्रदेशीपना प्रवेशीपना परमाणु ३१५ अ । प्रदोष ३१३८ अ, अतिचार १४४ अ । प्रद्युम्न - ३१२५ अ वंश १.३३७ । प्रद्युम्नचरित्र - ३१३८ व इतिहास - प्रथम १३४२ व द्वितीय १३४६ अ । प्रद्योत - इतिहास ( मगध देश ) १३१० ब, १३१२ । प्रद्योत वंश इतिहास (मगध देश) १.३१२ । -- -- - प्रधान कारण २७३ ब । प्रधानवाद - एकात (दर्शन) १४६५ व । प्रबंधन काल-काल २.८१ अ । प्रवोध कारण (लब्धि ) २५६ अ । प्रभंकर – ३१३८ व स्वर्गपटल निर्देश ४५१७, विस्तार ४५१७, अंकन ४.५१६ ब, देव-आयु १२६७ । प्रभंकरा - चन्द्र-सूर्य की पट्टदेवी २३४६ अ । नन्दीश्वर द्वीप की वापीनिर्देश ३४६३ अ नामनिर्देश ३.४७५ व विस्तार ३.४९१, अकन ३४६५। विदेह नगरी - निर्देश ३४६० अ, नामनिर्देश ३४७० ब विस्तार ३४७६, ३४८०, ३४८१, अन ३४४४ के सामने, ३ ४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ प्रभजन - २.१३८ व वायुकुमारेन्द्र निर्देश ३२०८ व परिवार ३२०६ अ, अवस्थान ३.२०१६ आयु १.२६५ । विद्याधर वश १३३६ अ । प्रभंजन ( कूट ) - मानुषोत्तर पर्वत का निर्देश ३ ४७५ अ, विस्तार ३.४०६ अंकन ३.४६४ ॥ प्रभ - ३.१३८ व स्वर्गपटल — निर्देश ४.५१७, विस्तार ४.५१७, अकन ४५१६ ब, देव-आयु १२६७ । प्रभवा -- नारायण ( पटरानी) ४१८ । ब, - - प्रभाकर मत-मीमांसादर्शन ३३११ अ ! प्रभाकर मिश्र - मीमासा दर्शन ३३११ अ । प्रभाकरी - चक्रवर्ती ४११ ब | विदेह नगरी - निर्देश ३. ४६० अ नामनिर्देश ३.४७० व विस्तार २.४७१, ३.४८०, ३.४८१, अकन ३.४४४ के सामने, ३.४६४ के सामने, चित्र ३४६० । प्रभाचंद्र - ३.१३८ व प्रथम नन्दिसंघ १.३२३ अ १३२४ अ, देशीयगण १३२५, इतिहास १३२९ अ द्वितीय इतिहास १.३२९ अ तृतीय इतिहास - - १.३२९ व १.३४२ अ चतुर्थ इतिहास १३२० ब पंचम देशीयगण इतिहास १.३३० १३४२ । 1 Jain Education International - १६२ प्रमत्तसयत , अ-ब । षष्ठ- इतिहास १३३१ ब ब. १.३४३ १३३२ अ सप्तम नन्दिसघ १३२३ व इतिहास १३३२ अ । अष्टम - नन्दिसघ १३२३ ब, इतिहास १३३२ व नवम इतिहास १.३३२ व दशमइतिहास १३३३ अ एकादश दश इतिहास । १.३३३ ब द्वादश - इतिहास १३३३ ब । प्रभादेव तीर्थंकर २३७७ । - प्रभामंडल चैत्य चैत्यालय २३०२ प्रातिहार्य १.१३७ ――― प्रभु ३१४० अ प्रभुत्वं शक्ति - ३.१४० अ । प्रभा -- ३.१३८ व तेजस शरीर ३.३६४ व । प्रभाकर भट्ट – ३.१३८ ब, एकान्ती १४६५ ब, मीमासा प्रभोदय - तीर्थंकर २३७७ । प्रभूत तेज इक्ष्वाकुवंश १.३३५ अ । दर्शन ३.३११ अ । ब । प्रभाव - ३.१३६ अ । प्रभावती - ३१३९ अ कुलकर ४२३, तीर्थंकर मल्लिनाथ " - २३८०, बलदेव ४१८ व यदुवश १३३७, वैमानिक इन्द्र की ज्योष्ठा देवी ४५१४ अ । प्रभावना- -३ १३६ अ । प्रभावना अग - सम्यग्दर्शन ४३५६ अ । प्रभास (स्वर्ग) ३१४० अ, अनुदिश स्वर्ग का श्रेणीबद्ध-निर्देश ४५१९ व अकन ४.५१५, ४.५१७, देव-आयु १ २६९ । - , प्रभासदेव – ३. १४० अ धातकीखण्ड का देव ३६१४, नाभिगिरि का देव ३.४७१ अ, ३.६१३ ब, नारायण ४.२० व गणधर २.२१३ अ चक्रवर्ती ४.१५ ब । प्रभासद्वीप लवणोद व कालोद सागर मे निर्देश ३४५५ ब, २.४६२ ब विस्तार ३४६२ व ३४७८, अकन ३ ४४४ के सामने, ३.४६१, ३४६४ के सामने । सिन्धु नदी का प्रवेशतीर्थ ३.४५५ ब, सीतोदा नदी मे स्थित ३४६० ब । - For Private & Personal Use Only व १.३३५ अ । प्रमत्त अहिंसा १२१६ अ धर्मध्यान २.४६२ अ प्रमत्तयोग - हिंसा ४ ५३५ ब । प्रमत्तसंयत - आरोहण-अवरोहण २.२४७, आर्तध्यान १२७४ अ आहारक काययोग १२९७ब करण दशक २६ अ, कषाय २४० ब, काय २४५ बें, गुणस्थान २२४६ व गुणस्थान परिवर्तन (प्रमत्तअप्रमत्त) ४.३७० अ, निगोद वनस्पति ३.५०६ अ, परिषद् ३.३४, प्रदेश निर्जरा का अल्पबहुत्व ११७४ अ, प्रदेशनिर्जरा की कालावधि का अल्पबहुत्व ११७४ ब सयत ४ १२६ व ४१३१ अ समुदघात ४३४३ । प्रमत्तसंयत- प्ररूपणा - बंध ३६७, बधस्थान ३१०८, ३१०९, उदय १३७५, उदयस्थान १३१२ अ, उदी www.jainelibrary.org

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