Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 169
________________ - प्रेमदै प्रयुताग रणा १४११ अ, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४.२८८, प्रमाण-प्रमेयकलिका-इतिहास १३४८ अ। ४३०४, विसयोगी भग १४०६ अ । सत् ४१६२, प्रमाणमीमांसा–३ १४५ ब, इतिहास १३४१ ब, १३४३ सख्या ४.६४, क्षेत्र २.१९७, स्पर्शन ४४७७, काल २६६, अतर १७, भाव ३२२० ब, अल्पबहुत्व प्रमाण-योजन-२१४५ ब, क्षेत्र प्रमाण २.२१५ ब । १.१४३ । प्रमाण-राशि-३.१४५ ब । प्रमद-भावि शलाकापुरुष ४२६ अ। प्रमाण-विस्तार-३१४५ ब । प्रमदा-वेद ३.५८६ अ, स्त्री ४.४५० अ । प्रमाणसंग्रह-३.१४५ ब, अकलक १३१ अ, इतिहास प्रमाकरण-प्रमाण ३१४४ अ। १.३४१ ब। प्रमाण-३ १४० अ, अनुभव प्रधान १८२ अ, अनुमान प्रमाणसंग्रहालकार-इतिहास १.३४२ ब । ११०० ब, अनेकान्त १.१०६, अवग्रह १.१८२ ब, प्रमाणागुल का प्रमाणांगुल-३ १४५ ब, उपमा प्रभाण २२१८ अ, क्षेत्र आगम (दे आगे), ईहा १.३५१ अ, ११८२ ब, प्रमाण २.३१५ अ । उपचार १.४२२ अ, ज्ञान २२५८ ब, नय २५१६ प्रमाणातिरेक दोष-वसतिका ३ ५२६ ब । अ-ब, २५२६, निक्षेप २ ५६२ अ, नैगम नय २.५३२ प्रमाणाभास-प्रमाण ३.१४१ ब, ११४२ अ। ब, न्याय २६३३ अ, मिथ्यादृष्टि ३३०५ अ, श्रुतज्ञान प्रमाता-३.१४५ ब, प्रमाण ३.१४३ अ। ४.६७ ब, सकलादेशी (नय) २५१७ अ, ४१५६ प्रमाद-३ १४५ ब, अतिचार १.४४ अ, अशुभोपयोग ब, सप्तभंगी ४३१५ ब, स्यात् ४.३१७ अ। १.४३३ ब, दोष प्रस्तार २.२२६ ब, समिति ४.३४२' ___ अ। हिंसा---निर्देश १.२१६ अ, १२१७ अ, ४.५३२ प्रमाण (अनुयोग)-१.१०२ ब, आहार तथा आहारकाल ब, रहितता ४५३३ ब। १.२८५ ब, १२८६ अ, उपक्रम १.४१६ ब, श्रुतज्ञान प्रमादचरित-अनर्थदण्ड १.६३ ब । ४.६७ ब, समवसरण ४.३३१ ब । प्रमादप्रत्यय-३१२६ अ, अविरति ३१२६ ब, उदय प्रमाण (आगम)-१.२३४ ब, अर्थ व शब्द सबंध १२३३ ३१२७-१३०, कषाय २१२६ अ । अ, आचार्य-वचन १२३७ अ, आप्तवचन १२३५ ब, प्रमादयोग-हिंसा ४.५३२ अ-ब । छद्मस्थ ज्ञान १.२३७ ब, जिनवचन १.२३८ अ, प्रमा-प्रमेय-इतिहास १३४४ ब । तर्कसगत १२३६ अ, परम्परा से आगत १२३५ ब, प्रमार्जन-विहार ३५७४ ब, समिति ४.३३६ ब। पूर्वापर अविरुद्ध १२३६ अ, पौरुषेय १२३८ अ, प्रमाजित-३.१६६ ब । प्रत्यक्ष ज्ञानी १,२३५ ब, वचन-वक्ता संबध १२३४ प्रमिति-३.१४६ ब । ब, वाच्य-वाचक सबध १२३३ अ, वीतराग वचन प्रमशा-३ १४६ ब, मनुष्यलोक (नदी) ३२७५ ब । १.२३५ अ, शब्द-अर्थ सबंध १२३४ अ, सूत्र वचन प्रमेय-३१४६ ब, ज्ञान २.२५८ ब, न्याय २.६३३ अ, १.२३२ ब, सूत्र-अविरुद्ध वचन १.२३८ अ, सूत्रसम प्रमाण ३१४३ ब। वचन १.२३५ ब। प्रमेय उपक्रम-उपक्रम १४१६ ब । प्रमाण (ज्ञान)-नयसापेक्ष २५२६ अ, प्रमाण ३१४१ ब, प्रमेयकमलमार्तड-३ १४६ ब, इतिहास १३४३ अ। प्रमेयत्व २२५८ ब, स्वपर-प्रकाशक २.२५८ ब । प्रमेयत्व--३.१४६ ब । प्रमाणक देव-व्यन्तरजातीय देव-आयु १२६४ ब। प्रमेयरत्नकोश-३१४६ ब, इतिहास १३४४ अ। प्रमाणदोष-आहार का दोष १.२६२ अ। प्रमेयरत्नाकर-११४६ ब, आशाधर १,२८१ अ, इतिहास प्रमाणद्वय सिद्धि-अर्चट १.१३४ ब । १:३४४ अ. प्रमाणनय-तत्त्वालकार-३.१४५ ब, इतिहास १.३४४ अ। प्रमेयरत्नालकार-इतिहास १.३४७ अ। प्रमाणनिर्णय-इतिहास १.३४३ अ। प्रमेयाकार-प्रमाण २.१५३ ब । प्रमाणनिर्माण-निर्माण २.६२५ अ । प्रमोद-३१४६ ब, राक्षसवंश १.३३८ । प्रमाणपद-पद ३.४ ब, ३.५ अ, श्रुतज्ञान ४.६५ अ । प्रयत-हिंसा ४.५३५ ब । प्रमाणपद-उपक्रम-उपक्रम १.४१६ ब । प्रयुत-कालप्रमाण २२१६ । प्रमाण-परीक्षा-३.१४५ ब, इतिहास १.३४१ब। प्रयतांग-कालप्रमाण २.२१६अ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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