Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 185
________________ १७६ ५. भासुर भूतकाल भासुर-३.२२७ ब, ग्रह २.२७४ अ। भीमवर्मा-यदुवंश १.३३७ । भास्कर-मीमासादर्शन ३.३११ अ। भीष्म-३.२३४ अ, कुरुवंश १.३३६ अ, राक्षसवश भास्कर (कवि)-३ २२७ ब, इतिहास १.३३३ अ । १.३३८ अ। भास्करन दि-३ २२७ ब, इतिहास १३३२ ब, १.३४५ भुजंगदेव-३.२३४ अ, मध्यलोकवासी व्यन्तर ३.६१३ अ। ब। लवण सागर का रक्षक-आयु १२६४ ब । भास्कर वेदांत-३२२७ ब, वेदान्त ३ ५९७ अ । भुजंगम-तीर्थकर २३६२ । भास्कराभ-राक्षसवश १३३८ अ । भुजंगशाली-महोरग जातीय व्यतर देव ३.२६३ अ। भिक्षा-३२२७ब । भुजग--महोरग जातीय व्यतर देव ३.२६३ अ। भिक्षाकाल-भिक्षा ३२२८ ब । भुजगप्रिया-व्यंतरेद्र गणिका ३.६११ ब । भिक्षाचर्या-भिक्षा ३ २२८ ब । भुजगा- व्यंतरेद्र गणिका ३.६११ ब । भिक्षावृत्ति-आहार १.२८६ अ, भिक्षा २२२८ ब, भुजगार बंध-प्रकृतिबंध ३.८६ अ । श्रावक (कायक्लेश) २४८ अ, सप्त ग्रह (आहार) भुजगार स्थितिबंध-स्थिति ४४५६ ब । १२८७ अ। भुजबलिचरित-इतिहास १३४६ ब । भिक्षाशद्धि-अस्तेयव्रत भावना १२१४ अ, भिक्षा भजवर द्वीप-सागर--नामनिर्देश ३४७० अ, विस्तर ३२२८ ब, ३.२२६ अ। ३.४७८, अकन ३.४४३, जल का रस ३.४७० अ, भिक्षु-श्वेताम्बर ४८० ब । ज्योतिष चक्र २.३४६ ब, अधिपति देव ३.६१४ ब । भिक्षुक-आश्रम १.२८१ अ। भुक्ति-मुक्ति-विचार-इतिहास १३४४ ब । भिक्ष-प्रतिमा-सल्लेखना ४.३६३ अ । भज्यमान आयु---अपवर्तन १.२६१ अ, आयु १.२५३ ब। भित्तिकर्म-कर्म २२६ अ, निक्षेप २५६८ ब । भवनकीति--३.२३४ अ, नन्दिसघ भट्टारक १.३२४ अ, भिन्न-३.२३३ ब । नन्दि सघ बला० (शुभ० आम्नाय) १.३२४ अ । भिन्न कर्ता-कर्म-कर्ता २.२४ अ । भवनकोति गीत-३.२३४ अ, इतिहास १.३४७ अ । भिन्न दशपूर्वी-श्रुतकेवली ४.५५ अ। भूगोल-३४३१ अ, आधुनिक ३ ४३५ ब, चातुर्दीपिक भिन्न परिकर्माष्टक - गणित २२२३ ब । ३४३७ अ । जैनाभिमत ३.४३१ अ, बौद्धाभिमत भिन्नपूवित्व ऋद्धि---ऋद्धि १.४४८। ३.४३४ अ, वैदिकाभिमत ३,४३१ ब, सप्तद्वीपिक भिन्न महर्त-३२३३ ब, अन्तर्महत १३० अ, काल- ३४३१ ब । प्रमाण २२१६ ब। भूत--३२३४ अ, परतत्रवाद ३.१२ अ, श्रुतज्ञान ४६० भिल्लक संघ-इतिहास १३२२ अ, एकात जैनाभासी अ, स्वप्न ४५० अ । १४६५ ब । भत (देव)-निर्देश ३.६१० ब, अवगाहना ११८०, अवधिमो-एकात १४६१ अ । ज्ञान १.१६८ ब, आयु १.२६४, अवस्थान ३.६१२भीति-भय ३.२०६ अ। ६१४, ३.४७१। इन्द्र-निर्देश ३.६११ अ, शक्ति भीम-३ २३३ ब, कुरुवंश १३३६ अ, नारद ४.२१ अ, आदि ३.६१०-६११, वर्ण तथा चैत्यवृक्ष ३.६११ अ, यदुवश १३३७, राक्षस जातीय व्यतर ३३६३ ब, परिवार ३.२०६अ। राक्षसवंश १.३३८ अ. हरिवंश १.३४० अ। भूत (व्यंतर देव)-प्ररूपणा-बन्ध ३१०२, बन्धस्थान भीम (व्यंतरेंद्र)-निर्देश ३.६११ अ, परिवार ३ ६११ ३.११३, उदय १३७८, उदयस्थान १.३६२ ब, ब, सख्या ३६११ अ, आयु १.२६४ ब। उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४.२८२, सत्त्वस्थान भीमप्रभ-राक्षसवश १.३३८ अ। ४२६८, ४.३०५, त्रिसंयोगी भंग १.४०६ ब । सत् भीमरथी-३२३३ ब, मनुष्यलोक ३.२७६ अ। ४१८८, सख्या ४६७ क्षेत्र २१६६, स्पर्शन ४.४८१, भीमसेन-३२३३ ब, काष्ठासंघ १३२७ अ, पुन्नाटसप काल २.१०४, अतर ११०, भाव ३.२२० अ, १.३२७ अ, इतिहास १.३३३ अ। अल्पबहुत्व १.१४५। भीमावलि-२.२३४ अ, तीर्थंकर ऋषभ २.३६१, रुद्र भूतकांता-व्यतरेद्र गणिका ३.६११ ब । ४.२२ अ। भूतकाल-अवधिज्ञान १.१६७ ब, काल प्रमाण २.८अ, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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