Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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मान
माया
मान-३२६४ ब, ग्रह २.२७४ अ, सुमेरु के वन में देव मानस-जप-व्युत्सर्ग ३.६२० ब।
भवन-निर्देश ३४५० अ, अंकन ३.४५१ । प्रमाण मानस-जाप-व्युत्सर्ग ३ ६२० ब। ३ १४५ अ।
मानस दुख-दुख २.४३४ ब । मान (कषाय)-३ २६४ ब, कषाय २.३५ ब, कालावधि मानसरोवर-३.२६५ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । का अल्पबहुत्व ११६०, १.१६१, द्वेष कषाय २३६
मानस-विनय-विनय ३.५४८ ब । अ, मार्दव ४१३६ ब । प्ररूपणा-बंध ३१०५, मानस-व्युत्सर्ग-व्युत्सर्ग ३ ६२० अ । बधस्थान ३११३, उदय १३८२, उदयस्थान १३६३ मानसाहार-आहार १२८५ अ, आहारक १२६५ अ. अ, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४२८३, सत्त्वस्थान
देव गति २४४६ अ। ४३००, ४.३०५, त्रिसयोगी भग १.४०७ अ । सत मानसिक आस्रव - आस्रव १२८२ ब । ४२३२, सख्या ४१०५, ४११७, क्षेत्र २ २०४, मानसिक आहार-आहार १२८५ अ, आहारक १२६५ स्पर्शन ४.४८८, काल २११२, अन्तर १.१५, भाव अ, देवगति २ ४४६ अ । ३.२२१ अ, ३२२३, अल्पबहुत्व ११४६, भागाभाग मानसिक कायोत्सर्ग - व्युत्सर्ग ३६२० अ। ४११७।
मानसिक जप-व्युत्सर्ग ३ ६२० म। मानकांडक-काडक २ ४१ अ।
मानसिक जाप-व्युत्सर्ग ३ ६२० ब । मानतुग-३२६५ अ, स्तोत्र ४४४६ ब, इतिहास १३२६ मानसिक दुख - दुख २ ४३४ ब ।
मानसिक विनय-विनय ३ ५४८ ब, ३ ५४६ ब। अ, १.३४१ब । मानदंड-सुमेरु ४.४३६ ब ।
मानसिक व्युत्सर्ग-व्युत्सर्ग ३ ६२० अ । मानपद-सूक्ष्म ४५३७ ब।
मानसी - ३.२६५ अ, तीर्थंकर शीतलनाथ की यक्षिणी भान (कर्म) प्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, ३ ३४१,
२३७६, विद्या ३५४४ अ । स्थिति ४.४६१, अनुभाग १६४ अ-ब, प्रदेश ३.१३६ ।
मानस्तम्भ- ३ २६५ ब, इन्द्रभूति १२६९ ब, चैत्य-चंत्याबध २६७, बधस्थान ३ १०६, उदय १.३७५, उदय
___ लय २३.२ ब, सौधर्म स्वर्ग ४४४५ व। स्थान १३८६, उदीरणा १.४११, उदीरणास्थान मानस्तम्भ-भूमि-समवसरण ४ ३३० ब, ४ १.४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४.२६५, त्रिसं- मानी-जीव २ ३३३ ब । योगीभग १४०१ब । सक्रमण ४८५ अ, अल्पबहत्व मानी दोष-आहार १२६१ अ। १.१६८।
मानुष-२.२६५ ब, मनुष्य ३ २७३ ब, मानुषोत्तर पर्वत मानव-३ २९५ अ, चक्रवर्ती ४.१४ ब, जीव २.३३३ ब, के कूट का देव-निर्देश ३.४७५ अ, अकन ३.४६४, विद्या ३.५४४ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ ब।
यक्ष ३३६६अ। मानवक-ग्रह २.२७४ अ।
मानुषोत्तर-३२६५ ब, भद्रशाल वन का भाग ३ ४५० मानवपुत्रक-विद्याधर १.३३६ अ।
__अ, चैत्य-चैत्यालय २.३०३ अ । मानवयोजन-३.२६५ अ, क्षेत्र का प्रमाण २ २१५ ब । मानुषोत्तर पर्वत--३ २६५ ब, जनाभिमत-निर्देश मानवतिक-३२६५ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ अ ।
३ ४६३ ब । कूटो के नाम ३ ४७५ अ, विस्तार मानवी-३ २६५ अ।
३ ४८६, अकन ३४६४ वे सामने, चित्र ३.४६४, मानशक्ति-कषाय २.३८ अ ।
वर्ण ३४७८। वैदिकाभिमत-दिश ३४३१ ब, मानस-३.२६५ अ, मानुषोत्तर पर्वत के कूट देव- चित्र ३४३२ । चैत्यचैत्यालय २ ३०३ अ।
निर्देश ३४७५ अ, अकन ३.४७४, विद्याधर नगरी मान्धाता-इक्ष्वाकुवंश १३३५ ब । ३.५४५ अ।
मान्यखेट-३ २६६ अ, अकालवर्ण १३१ अ, इतिहास मानस-आस्रव--आस्रव १२८२ ब।
१३१५ अ। मानस-आहार-आहार १२८५ अ, आहारक १.२६५ अ, मान्याहता अधिकार-ब्राह्मण ३ १६६ ब । देव २.४४६ अ।
माप-३२२६ अ। मानस-कायोत्सर्ग-व्युत्सर्ग ३.६२० अ।
मापिकी-३२९६ अ। मानसचेष्टित-नारायण ४.१८ अ।
माया-३.२६६ अ, वेदात ३५६६ ब ।
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