Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 216
________________ २१० रुक्मि (कूटो रुदिल रुक्मि (कट)-३४०४ ब, पुंडरीक या महापुंडरीक रुचकवर पर्वत--चैत्यचैत्यालय २.३० ३ अ, रुचकवर द्वीप हद का कूट -निर्देश ३.४७४ अ, विस्तार ३४८३, का कुडलाकार पर्वत-निर्देश ३४६६ ब, विस्तार ३.४८५, ३४८६ । रुक्मि पर्वत का कूट---निर्देश ३४८७, चित्र ३४६८, ३४६६, वर्ण ३४७८,. ३४७२ ब, विस्तार ३४८३, ३४८५, ३४८६, कूट तथा देव ३४७६, कुटो का विस्तार ३४८७।। अकन ३.४४४ के सामने ।। रुचकवर सागर-निर्देश ३४७० अ, विस्तार ३४७८, रुक्मि (पर्वत)-३४०४ ब, वर्षधर पर्वत-निर्देश ३४४६ अकन ३ ४४३, जल का रस ३ ४७० अ, ज्योतिष ब, विस्तार ३४८२, ३४८५, ३४८६, अकन ३ ४४४ चक्र २३४८ ब, अधिपति देव ३६१४। के सामने, ३४६४ के सामने, वर्ण ३ ४७७ । रुचका--३४०४ ब, रुचकवर पर्वत की देवी--निर्देश रुक्मिणी-३४०४ ब, नारायण ४१८ ब । ३४७६ ब, अकन ३४६८, ३४६६ । रुक्मिणी व्रत-३४०४ अ । रुचकांता- रुचकवर पर्वत के कूट की देवी-निर्देश ३ ४७६ रुचक-३४०४ ब। कुंडलवर पर्वत का कूट-निर्देश ब, अकन ३.४६६। ३४७५ ब, विस्तार ३४८७, अकन ३४६७ । निषध रुचकाभा-३.४०४ ब, रुचकवर पर्वत के कट की देवीपर्वत का कट-निर्देश ३.४७२ अ, विस्तार ३४८३, निर्देश ३४७६ ब, अकन ३४६६। अंकन ३४४४ । पद्म आदि हृदो के कट-निर्दश रुचकी--३४०४ ब । ३४७४ अ, विस्तार ३४८३, अंकन ३४५४ । मानु- रुचकोत्तम-रुचकवर पर्वत का कूट-निर्देश ३४७६ ब, षोत्तर पर्वत का कूट-निर्देश ३ ४७५ अ, विस्तार विस्तार ३४८७, अकन ३४६६ । ३४८६, अकन ३४६४ । रुचक पर्वत का कूट-निर्देश रुचकोत्तमा रुचकवर पर्वत के कूट की देवी-निर्देश ३४७६ अ, विस्तार ३४८७, अकन ३४६८, ३.४७६ ब, अकन ३४६६। ३४६६ । सुमेरु के वन का कूट-निर्देश ३४७३, ब, रुचकोत्तर--रुचकवर पर्वत का कूट-निर्देश ३४७६ अ, विस्तार ३४८३, अकन ३४५१।। विस्तार ३४८७ अकन ३.४६६ । रुचक (स्वर्ग)--३४०४ ब । सौधर्म स्वर्ग का पटल- रुचि-३४०४ ब, उपदेश १४२५ अ, १.४२६ ब, मोह निर्देश ४५१६, विस्तार ४५१६, अंकन ४५१६ब, नीय ३३४२ ब, राग ३ ३६५ ब. श्रद्धान ४.४४ अ, देव आयु १२६६ । सम्यग्दर्शन ४३४८ ब, ४३५० ब, ४३५७ अ, सुख रुचककांता-३४०४ ब। रुचक पर्वत के कूट की देवी- ४४३० ब । निर्देश ३४७६ ब, अकन ३ ४६८ । हचिर-४४०४ ब। रुचकवर पर्वत का कट-निर्देश रुचकाम-कुडलवर पर्वत का कूट-निर्देश ३ ४७५ ब, ३४७६ अ, विस्तार ३४८७, अंकन ३ ४६६ । स्वर्ग विस्तार ३४८७, अंकन ३.४६७। पटल-निर्देश ४.५१६, विस्तार ४.५१६, अकन रुचककीति-३४०४ ब, रुचकवर पर्वत के कट की देवी ४.५१६ ब, देव आयु १२६६ । -निर्देश ३ ४७६ ब, अंकन ३४६८। । इजा-३४०५ अ । रुचकगिरि-३४०४ ब । विशेष दे. रुचकवर पर्वत । हद्र-३४०५ अ, जन्म (गति-अगति) २.३२१ ब, ग्रह रुचकप्रदेश--जीव के आठ मध्यप्रदेश २३३६अ।लोकाकाश २.२७४ अ, नक्षत्र २५०४ ब, नारद ४२१ अ, ___ के आठ मध्यप्रदेश ३.४४० ब । ४.२२ अ। रुचकप्रभ - कुडलवर पर्वत का कूट-निर्देश ३४७५, ब रुद्रदत्त-३.४०५ अ, अन्ध्रकवृष्णि १.३० अ । विस्तार ३४८७, अकन ३४६७ । रुद्ररुद्र-तीर्थकर पुष्पदंत २ ३६१ । रुषकप्रभा-३४०४ ब, रुचकवर पर्वत के कूट की देवी- रुद्रवती-व्यतरेंद्र की गणिका ३ ६११ ब । निर्देश ३ ४७६ ब, अकन ३ ४६८ । रुद्रवसंत व्रत-३४०५ अ। रुचकवर-३४०४ ब । रुद्रसंप्रवाय-वैष्णव दर्शन ३६०६अ। रुचकवर द्वीप-निर्देश ३ ४६६ ब, नामनिर्देश ३४७० रुद्रसेन-काष्ठा संघ १.३२७ अ । अ, विस्तार ३.४७८, अकन ३.४४३ । चित्र ३.४६८ रुद्रा-व्यंतरेद्र की गणिका ३.६११ ब । ब, ३.४६६, ज्योतिष चक्र २.३४८ ब, अधिपति देव हद्राश्व-३.४०५ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ ब। ३.६१४। . रुद्रिल-साख्य दर्शन ४.३९८ ब । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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