Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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मान
२०१
यथाख्यात संयम
मौन--३.३४५ अ, आहार १.२८६ अ, भिक्षा ३.२२६ अ, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व
सत्य ४.२७० ब, सल्लेखना ४.३८६ ब, ४.३६२ ब, ४२८२, सत्त्वस्थान ४२६८, ४.३०५, त्रिसयोगी सामायिक ४४१७ अ।
भंग १.४०६ ब । सत् ४.१८८, सख्या ४६७, क्षेत्र मौनवृत्ति--सल्लेखना ४३६२ ब ।
३१६६, स्पर्शन ४४८१,काल २१०४, अन्तर १.१०, मौनव्रत-३३४५ ब ।
भाव ३ २२० अ, अल्पबहुत्व ११४५ । मौनाध्ययन वृत्ति - सस्कार ४१५२ ब ।
यक्षलिक-३३६६ अ। मौनाध्ययन वृत्ति क्रिया-सस्कार ४.१५१ ब।
यक्षवर (सागर द्वीप)-३ ३६६ अ। अत से चतुर्थमौर्यपुत्र--गणधर २.२१३ अ ।
निर्देश ३.४७० अ, विस्तार ३ ४७८, अकन ३.४४३, मौर्यवश इतिहास १.३१० ब, १३१३ ।
जल का रस ३ ४७० अ, ज्योतिष चक्र २३४८ ब, मौलिक प्रक्रिया-३३४५ ब ।
अधिपतिदेव ३६१४ । म्रक्षित-३ ३४५ ब, वसतिका दोष ३ ५२६ ब । यक्षिणी- तीर्थंकर प्ररूपणा २ ३७६, तीर्थकर नेमिनाथ की म्लेच्छ-निर्देश ३२७३ ब, ३३४५ ब, अंतीपज निर्देश मुख्य आर्यिका २३८८ ।
३.३४६ अ, अतद्वीपजो की आयु १.२६४ अ, चक्रवर्ती यक्षिता-तीर्थकर अर नाथ की मुख्य आर्यिका २३८८ । ४१५ ब, प्रतिनारायण ४२० अ, प्रव्रज्या ३.१५० यक्षेश्वर-३ ३६६ अ, तीथंकर अभिनदननाथ का यक्ष अ, सत् प्ररूपणा ४१८४ ।
२.३७६ । म्लेच्छ-खंड-निर्देश ३४४६ अ, ३.४६२ ब,३४६३ ब, यक्षोत्तम-३३६६अ।
विदेहस्थ ३४६० अ, गणना ३.४४५ अ, अंकन ३ ४४४ यज्ञ-३ ३६६ अ, अग्नि (आत्मा) १.३५ ब, पूजा ३७४ के सामने, ३ ४४७, ३.४६४ के सामने, काल-विभाग
अ। २.६२ अ।
यज्ञोपवीत-३३६६ब, क्षल्लक २१८८ ब, वर्णव्यवस्था
३५२३ ब। यति-३ ३७० अ, अनगार १६२ अ। यतिपूजा - शुभोपयोग १४३४ ब । यतिवर वृषभ-३ ३७० अ । यतिवृषभ-३.३७० अ, मूलसघ १.३२२ ब, १ परि०/
२-१; ३ १,५, १.३२२ ब, आर्यमंक्षु १२७५ ब, उच्चारणाचार्य १३५२ अ। इतिहास १३२८ ब,
१३४० ब । यंत्र-३ ३४७ अ, करणत्रिक (अध.करण) २७-६, (अपूर्व
यति सम्मेलन-१.परि०/२-२,७,८ । करण) २.१२ ब, मंत्र ३.२४५ ब ।
यत्न-कारण (कर्मव्यवस्था) २६८ब। यंत्रपीडन जीविका-४४२१ ब ।
यत्नाचार-अहिसा १२१७ ब । यंत्रशाला-भवनवासी देवों के भवनो मे ३२१०ब।
यत्याचार-३३७० अ । यंत्रेशयंत्र-यत्र ३.३५७।।
यत्रतत्रानुपूर्वी—आनुपूर्वी १ २४७ अ । यक्ष-३३६६ अ, चक्रवर्ती ४.१३ अ, चैत्य-चैत्यालय यथाकाल उदय-उदय १३६८ अ।
२३०२ अ, तीर्थंकर प्ररूपणा २३७९। पिशाच यथाख्यात चारित्र-३३७० ब, लब्धिस्थानों का अल्पजातीय व्यंतर देव ३५८ ब। व्यंतर देव-निर्देश
. बहुत्व १.१६०, सिद्धों का अल्पबहुत्व ११५३ । ३६१०ब,३५८ ब, अवगाहना ११८०, अवधिज्ञान ययाख्यात विहार-३३७० ब। १.१९८ ब, अवस्थान ३६१२-६१४, आयु १२६४। ययाख्यात विहार-शुद्धि सयत-३ ३७० ब । इन्द्र --निर्देश ३६११ अ, शक्ति आदि ३६१०- प्रथाख्यात संयम ३.३७, ब, प्रलपणा-बध ३.१०६, ६११, वर्ण व चैत्यवक्ष ३६११ अ। बौद्धाभिमत बंधस्थान ३.११३, उदय १.३८३, उदयस्थान ३.४३५ अ। प्ररूपणा-बंध ३.१०२, बधस्थान १.३९१ अ, उदीरणा १.४११, उदीरणास्थान १,४१२,
३.१११, उदय १.३७८, उदयस्थान १.११११, सर .९३, सस्वस्थान ४.३०२, पिन Jain Education International For Private & Personal Use Only
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