Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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मनु
१८६
मनोयोग (प्ररूपणा)
मनु-३ २७२ ब, कुलकर २१३० ब, भावि शलाकापुरुष २१६६, स्पर्शन ४.४८०, काल २१०३, अन्तर ४.२५ अ, विद्या ३५४४ अ, विद्याधर नगरी ३ ५४५ १६, भाव ३.२२० अ, अल्पबहुत्व ११४४ ।
मनुष्यणी सिद्ध-अल्पबहुत्व ११५४ । मनुज-३.२७२ ब ।
मनुष्यद्विक-उदय १३७४ । मनुपुत्रक-विद्याधर वंश १.३३६अ।
मनुष्यलोक-३.२३५, ३.२७४ । मनुष्य-३ २७२ ब, अवधिज्ञान ११६४ ब, आकाश मे मनुष्यव्यवहार-३.२७६ अ, मिथ्यादष्टि ३ ३०४ अ।
अवस्थान १२२४ अ, आयुबन्ध १.२६२ अ, गति- मनुष्यसिद्ध-अल्पबहुत्व ११५४ । अगति (जन्म) २.३१६ अ, जीव २.३३३ ब, पुरुषवेद मनुष्यायु कर्मप्रकृति--आयु (बन्धयोग्य परिणाम) १२५५ ३ ५८६ अ, वैऋषिक शरीर ३.६०३ अ, व्यन्तर
ब, प्ररूपणा-प्रकृति ३.८८,१२५३, स्थिति ४ ४६२, (भूताविष्ट) ३६११ अ, सन्निपातिक भाव ४३१२ अनुभाग १.६५, प्रदेश ३.१३६ । बन्ध ३६७, बन्ध
स्थान ३.१०८, उदय १३७५, उदयस्थान १३८७, मनुष्यक्षेत्र--- आकाश १.२२४ अ ।
उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्व मनुष्यगति-निर्देश ३२७३, अवगाहना ११८०, अवधि
४.२७८, सत्त्वस्थान ४२६४, बिसयोगी भग १.४०१। ज्ञान १.१६४ ब, अवविज्ञान का विषय १.१६६ अ,
सक्रमण ४.८५ अ, अल्पबहुत्व ११६६ । आयु १.२६४, कषाय २३८ अ, जन्म (गति-अगति) मनागुप्ति-अतिचार (गुप्ति) २२५० अ-ब, अहिंसा २.३२२, दु ख २४३५ अ, लेश्या ३.४२८ ब ।
१२१६ अ, गुप्ति (निश्चय व्यवहार) २.२४८ ब, मनुष्यगति (प्ररूपणा)-बन्ध ३१०१, बन्धस्थान ३११३,
२२४६ अ, गुप्ति (भाव) २२४६ अ। उदय १.३७७, उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा १४११ मनोजय-प्राणायाम ३ १५६ अ, सयम ४.१३६ अ, अ, सत्व ४.२८२, उद्वेलना युक्त सत्त्व ४२८२, सत्त्व
स्वाध्याय ४५२५ अ। स्थान ४.२६८, ४३०५, त्रिसयोगी भंग १४०६ ब। मनोज्ञ -आतध्यान १२७३ ब, १.२७४ अ, परिग्रह ३ २६ सत् ४१७७, सख्या ४९६, क्षेत्र २१६६, स्पर्शन ब। ४४८०, काल २१०२, अन्तर १६, भाव ३२२० अ, मनोज्ञ साधु-३२७६ अ । अल्पबहुत्व १.१४४।।
मनोज्ञान-मनोयोग ३.२७७ ब । मनष्यगति नामकर्म प्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, मनोत्पन्न सुख-सुख ४४२६ ब ।
२५८३, स्थिति ४४६३, अनुभाग १.६५, प्रदेश मनोदुष्ट--२.२७६ अ, व्युत्सर्ग दोष ३.६२२ ब । ३१३६ । बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३.११०, उदय मनोद्रव्यवर्गणा-वर्गणा २.५१३ अ । १३७५, उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११ अ, मनोबल-३२७६ अ, ऋद्धि १४४७, १४५५ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान पर्याप्ति ३.४४ अ। ४.३०३, विसयोगी भग १.४०४ । सक्रमण ४.८५ अ, मनोभद्र-३२७६, यक्ष २ ३६६ अ । अल्पबहुत्व ११६६अ।
मनोभव - भावि शलाकापुरुष ४ २६ अ । मनुष्यगति प्रायोग्यानुपूर्वी-नाम कर्म २५८३ ब । मनोमतिज्ञान-श्रुतज्ञान ४.६२ ब । मनुष्यगत्यानपूर्वी नामकर्म प्रकृति--आनुपूर्वी १२४७ अ, मनोयोग-३ २७६ अ, अपर्याप्त (योग) ३३८० अ, कार्य
प्ररूपणा-(दे. मनुष्यगति नामकर्म प्रकृति प्ररूपणा) । कारण (योग) ३ ३७८ ब, काल २६६ ब, कालामनुष्यचतुष्क-उदय १.३७४ ब ।
वधि का अल्पबहुत्व ११६१, भाषा पर्याप्ति (योग) मनुष्यत्रिक--उदय १.३७४ ब।
३.३८० अ, (मनोमतिज्ञान मनोयोग) ३ २७७ ब, मनुष्यणी-निर्देश ३.२७३ । वेद-गुणस्थान ३५८९ ब। वचनोत्पत्ति (योग) ३३८१ अ, योग ३ ३७६ अ,
वेदभाव ३.५८५ ब, स्त्रीवेद ३.५८६ अ । प्ररूपणा ३ ३८० अ-ब, शरीरपर्याप्ति (योग) ३.३८० अ।
-बन्ध ३.१०१ बन्धस्थान ३११३ उदय १३७७, मनोयोग (प्ररूपणा)-बध ३१०४, बधस्थान ३.११३, उदयस्थान १३९२ ब, उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व उदय १.३७६, उदयस्थान १.३९२ ब, सत्त्व ४.२८३, ४२८२, सत्त्वस्थान ४.२६८, ४३०५, त्रिसयोगी सत्त्वस्थान ४.२९६, ४.३०५, त्रिसंयोगी भग १.४०६ भंग १.४०६ ब । सत् ४१८०, सख्या ४.६६, क्षेत्र
ब। सत् ४२१२, संख्या ४१०२, क्षेत्र २.२०२०
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