Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 194
________________ मल्लिषण १८८ महातम.प्रभा (प्ररूपणा) मल्लिषेण --३२८६ अ, इतिहास-प्रथम १३३१ अ-ब, अ, परिवार ३.६११ ब, आयु १२६४ ब । १३४३ अ-ब, द्वितीय १३४४ अ, तृतीय १.३३२ ब, महाकाल-३२८६ ब, ग्रह २२७४ अ, चक्रवर्ती १.१४ १३४५ अ । ब, नारद ४२१ अ, पिशाच जातीय देव ३५८ ब। मल्लिषण-प्रशस्ति-३२८९ । व्यतरेद्र--निर्देश ३६११ अ, सख्या ३६११ अ, मशकसम स्रोता-उपदेश १४२५ ब । परिवार ३६११ ब, आयु १.२६४ ब । मसिकर्यि--आर्य १२७५ अ। महाकाली-३२८६ ब, तीर्थंकर श्रेयासनाथ की यक्षिणी मस्करी-एकान्त अज्ञानवादी १.४६५ ब, परवाद ३.२३ २३७६, विद्या ३ ५४४ अ। महाकीति -नदिसघ १३२३ ब । मस्करी गोशाल-३२८६ अ, पूरनकश्यप ३.८२ ब । महाकुमुद-काल का प्रमाण २.२१६ अ। महाकुमुदांग-काल का प्रमाण २.२१६ अ। मस्करी पूरनपूरनकश्यप ३८२ ब । महाकूट-३२८६ ब, विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ । मस्तक-३२८६ब, मनुष्यलोक ३ २७५ अ । स्वर्ग पटल - महाकौशल-३२८६ ब । निर्देश ४ ५१७, विस्तार ४.५१७, अकन ४५१६ ब, महाक्षेत्र-भरत आदि क्षेत्र-निर्देश ३.४४६ अ, ३.४६२ देवआयु १२६७ । ब, ३.४६३ ब, विस्तार ३४७६, ३.४८०, ३४८१, मस्तककमल-पदस्थध्यान ३६ ब । अंकन ३.४४४ के सामने, ३४६४ के सामने । मस्तिष्क -३.२८६ ब, औदारिक शरीर १.४७२ अ। महाखर-३.२८६ ब । मह-३२८६ ब, पूजा ३.७४ अ । महागंध-३२८६ ब। महत्तर -३.२८६ ब । महागंध (देव)-क्षौद्रवर द्वीप सागर का रक्षक ३.६१४, महत्तरदेवी-भवनवासी-परिवार ३ २०६ अ, वैमानिक नन्दीश्वर द्वीप सागर का रक्षक ३.६१४, आयु ---नामनिर्देश ४५१३ ब, सख्या ४.५१२, आयु १२६५। १२७० । व्यंतर-आयु १.२६४ ब । महागिरि-हरिवंश १ ३३६ ब, १.३४० अ। महत्ता-३.२८६ ब। महागौरी-३२८९ब, विद्या ३.५४४ अ। महनंदि-इतिहास १३३३ अ, १३४६ ब। महाग्रह-ग्रह ३ २७४ अ । महा अडड - काल का प्रमाण २.२१६ अ । महाघोष-स्तनित कुमारेद्र -निर्देश ३ २०८ ब, अवस्थान महा अडडांग-काल का प्रमाण २२१६ अ। ३ २०६ब, परिवार ३ २०६ अ, आयु १.२६५ अ । महाधिक तणफल-तौल का प्रमाण २.२१५ अ। महाचंद्र -३२८४ ब, भावि शलाकापुरुष ४२५ ब । महा-ऊह-काल का प्रमाण २२१६ अ। महाज्वाल-३२८६ ब, विद्याधर नगरी ३.५४५ ब, महा-महाग- काल का प्रमाण २ २१६ अ । ३५४६ अ। महा ऋद्धि-ऋद्धि १४४७, १४५४ ब । महातन-३२८६ ब, महोरग जातीय व्यन्तर देव ३.२६३ महाकक्ष-३२८६ ब, विद्याधर नगरी ३.५४५ अi अ। महाकच्छ-३२८६ ब, गणधर २२१३ अ । महातमः प्रभा--३ २६० अ। नरक पृथिवी-निर्देश महाकच्छा--३ २८६ ब, विदेहस्थ क्षेत्र निर्देश ३.४६० २५७६, पटल २.५७६, इन्द्रक श्रेणीबद्ध २.५७८, अ, नामनिर्देश ३.४७० ब, विस्तार ३.४७६, ३.४८०, २५८०, विस्तार २ ५७६, २.५७८, अकन ३.४४१ । ३.४८१, अकन ३.४४४ के सामने, ३.४६४ के सामने, नारकी अवगाहना १.१७८, अवधिज्ञान १.१६८, चित्र ३४६० अ। आयु १२६३ । महाकथानक-संख्या का प्रमाण २.२१४ ब । महातमःप्रभा (प्ररूपणा)-बध ३ १००, बधस्थान ३.११३, महाकमल-काल का प्रमाण २.२१६ अ। उदय १३७६, उदयस्थान १.३९२ ब, उदीरणा महाकमलांग-काल का प्रमाण २.२१६ अ। १.४११ अ, सत्त्व ४.२८१, सत्त्वस्थान ४.२६८, महाकल्प-३.२८६ ब, श्रुतज्ञान ४.६६ ब। ४.३०५, त्रिसंयोगी भंग १.४०६ ब । सत् ४.१७० महाकल्प्य-श्रुतज्ञान ४.६६ ब । सख्या ४.६५, क्षेत्र २१९७, स्पर्शन ४४७६, काल महाकल्याण-चक्रतर्ती ४.१५ ब । २.१०१, अंतर १८, भाव ३.२२० अ, अल्पबहुत्व महाकाय - व्यंतरेंद्र-निर्देश ३६११ अ, सख्या ३.६११ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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