Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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- प्रत्येकबुद्ध
१६१
प्रदेशार्थता
प्रत्येकबुद्ध-बुद्ध ३.१८४ अ. अल्पबहुत्व १.१५४ अ, उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४२८४, सत्त्वस्थान संख्या ४६४ अ।
४.३०२, ४.३०६, त्रिसंयोगी भग १४०८ अ। सत् प्रत्येकबुद्ध वचन-आगम १२३६ अ ।
४.२५८, सख्या ४.१०६, क्षेत्र २.२०६, स्पर्शन प्रत्येकबुद्धि ऋद्धि-ऋद्धि १४४८ ।
४.४६३, काल २.११८, अतर १४ अ, १२०, प्रत्येक भग-भंग ३१६७ अ।
भाव ३२२१ ब, अल्पबहुत्व ११५२। प्रत्येकवनस्पति काय-काय-निर्देश २४४, वनस्पति-निर्देश प्रथ-हरिवश १.३४० अ।
गाहना १.१७६, आयू १.२६४, प्रदक्षिणा-३ १३४ अ, कर्म २२६ अ, वंदना ३.४६५ ब। जीवसमाम २३४३ । प्ररूपणा-बन्ध ३१०४, बन्ध- प्रदुकार दोष-वसतिका ३.५२८ ब । स्थान ३ ११३, उदय १.३७६, उदयस्थान १३६२ प्रदुष्ट--३ १३४ अ, व्युत्सर्ग दोष ३.६२३ अ। ब, उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४ २८२, सत्त्वस्थान प्रदेश-३ १३४ अ-ब, अणु १४२ अ, अस्ति काय १ २११ ४ २६६, ४३०५, त्रिसयोगी भा १.४०६ ब । सत अ, १.२१२ अ, आकाश (अखण्डत्व) १२२१ अ, ४.२०७, संख्या ४१०१, क्षेत्र २ २०१, स्पर्शन आकाश (अवगाह) १२२४ अ, आकाश (लोवाकाश) ४.४८४, काल २१०६, अन्तर ११२, भाव ३२२० १२२२ अ, इद्रिय १३०२ ब, औदारिक शरीर ब, अल्पबहुत्व ११४६ ।
१४७१ ब, काय २४४ अ, २.४६ ब, कालद्रव्य(अस्ति
काय) १.२१२ अ, जीव २३३६ अ-ब, द्रव्य २४५८ प्रत्येकशरीर नामकर्म प्रकृति---प्ररूपणा -- प्रकृति ३.८८.
अ,२. ४६० धर्म-अधर्म द्रव्य २४८७ ब, परमाणु २५८३, ३.५०३ अ, स्थिति ४.४६३, अनुभाग १६५, प्रदेश ३ १३६ । बन्ध ३६७, बन्धस्थान
३१७ अ, ३१८ अ, पर्याय ३४७ अ, पुद्गल ३ ६७
ब, प्रदेशभ्रमण २३३६ ब, रुचक प्रदेश २.३३६ अ, ३ ११०, उदय १३७५, उदयस्पान १३६०, उदीरणा
३४४० ब, शरीर ४६ अ, संकोच-विस्तार (काय) १४११ ब, उदी.णास्थान १.४१२, सत्त्व ४.२७८,
२४६ ब, सत्त्व ४२७६ ब, सप्तभंगी (सापेक्ष धर्म) सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिस योगी भग १४०४, सक्रमण
४३२३ अ, सूक्ष्म बादर ४४४० अ, स्कन्ध ४४४६ ४८५ अ, अल्पबहुत्व ११६७ अ।
अ। प्रत्येकशरीर वर्गणा-~बनस्पति ३५०३ अ, वर्गणा ।
प्रदेश उदय-१ ३६५ ब, १३८६ । ३.५१३ अ, ३.५१४ अ, ३.५१५ ब, ३५१६ अ,
प्रदेशघात- अपकर्षण १११७ ब, क्षपित कर्माशिक ३५१७ ब, ३५१८ अ ।
२१७७ अ। प्रथम-श्रेढो व्यवहार गणित २.२२६ ब, २.२३० ब ।
प्रदेश-छेदना-छेदना २३०६ ब. २.३०७ अ। प्रथमकोट-समवसरण ४३३० ब ।
प्रदेशत्व-३.१३८ अ, द्रव्य २४५८ ब। प्रथम गणहानि----श्रेढी-व्यवहार गणित २.२३१ ब,
प्रदेश-निजरा-अल्पबहत्व ११७४ अ। २२३२ अ।
प्रदेश-परिस्पद-काय २.४६ ब, क्रिया २१७३ ब, योग प्रथम तीर्थ-समवसरण ४३३१ ब ।
३३७५ अ। प्रथम धन-श्रेढी व्यवहार गणित २ २२६ ब ।
प्रदेश-बंध -३१३५ अ, ३ १३६, अनुभाग बन्ध १६०ब, प्रथम मल-गणित (वर्गमूल) २२२३ अ।
अनिवृत्तिकरण २ १३ ब, अल्पबहुत्व १.१७१,११७३, प्रथम सम्यक्त्व-पर्याप्ति ३४४ ब ।
अ, ११७६, शरीरबद्ध प्रदेशो का अल्पबहुत्व ११५७, प्रथम स्थिति-अन्तरकरण १२५ अ-ब, १२६ अ ।
स्थितिबन्ध ४.४५८ अ। प्रथमानयोग-३१३४ अ, अनुयोग १.६६-१०१ अ, आगम प्रदेशत्व/-३ १३८ अ, द्रव्य (आकाश) २४५८ ब ।
१२३६ ब, श्रुतज्ञान ४.६८ब, स्वाध्याय ४५२३ ब। प्रबेशविपरिणमना-विपरिणमना ३.५५५ब। प्रथमोपशम सम्यकत्व - अन्तरकरण १.२५ अ, उपशम प्रवेश-विरच-३.१३८ अ ।
१.४३७ ब, १४३८ अ, तीर्थकर २३७६ ब, परि- प्रदेश-सक्रमण--संक्रमण ४.८५ ब, संक्रमण का अल्पबहत्व हारविशुद्धि ४३७ अ, मरण ३२८३ अ, सम्म
११७४ ब। ४.१२७ अ, सम्यग्दर्शन ४.३६६ ब, सासादन ४.४२५ प्रदेशान-अन्तरकरण १२५ ब । प्रथमोपशम सम्यग्दर्शन-प्ररूपणा - बन्ध ३.१०८, बन्ध- प्रदेशापचय-ओम् १.४७० म।
स्थान ३.११३, उदय १.३८५, उदयस्थान १३६३, प्रदेशार्थता-कर्म २.२६ ब ।
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