Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 174
________________ बधापसरण बलिदोष बंधापसरण-अपकर्षण १.११५ अ, १.११७ अ, काण्डक बप्रिला-तीर्थंकर नमिनाथ २.३८० । २.४२ अ, क्षय २.१७६ ब,२१८० अ। बयालीस-बादाल की सहनानी २.२१८ब। बंधाभाव गति-गति २२३५ अ। बरड़-गन्धमादन २.२११ अ। बंधावली-आवली १.२७६ अ, उपशम १.४४१ ब । बल-३ १८१ अ, इक्ष्वाकुवश १.३३५ अ, कालकृत हानिबंधुमति-यदुवंश १३३७ । वृद्धि २६३, गणधर २२१३ अ, तीर्थकर. सुपार्श्वबंधुवर्मा-इतिहास १.३३२ अ। नाथ २.३८७, बलदेव ४१६, भावि शलाकापुरुष बधुसेन-यदुवंश १३३७ ब । ४२६ अ, रुद्र ४.२२ अ, रघुवश १३३८ अ। बंधुसेना-तीर्थकर मल्लिनाथ २.३८८ । बलऋद्धि-ऋद्धि १.४४७, १४५४ ब । बंधोत्सरण-उत्कर्षण १३५३ ब । बलचंद्र-३.१८१ अ। बंध्यबधक भाव-कारक २५० अ। बलदत्त-तीर्थकर सुपार्श्वनाथ २३८७ । बकरा-स्वप्न ४.५०५ अ । बलदेव-३ १८१ अ, गति-अगति (जन्म) २३२१ ब, यदुबकुल-तीर्थकर नेमिनाथ २३८३ । वश १३३७, शलाकापुरुष ४.१६ अ। बकुश-३.१७६ ब, श्रुतकेवली ४५५ ब । बलदेव (आचार्य)-सूरि ३१८१ अ, इतिहास-१३२८ बगुला-श्रोता ४७४ ब । अ । पुन्नाट सघ १.३२७ अ, इतिहास १.३२६ ब । बघेरवाल -आशाधर १२८० ब । बलभद्र-३१८१ अ, चक्रवर्ती ४.१० अ, प्रतिनारायण बड़-भक्ष्याभक्ष्य ३२०३ ब । ४.२० ब । सुमेरु पर्वत का कूट व देव-निर्देश बड़वामुख-लवणसागर का पाताल-निर्देश ३.४७४ ब, ३४५० अ, विस्तार ३ ४८३, अकन ३ ४५१ । स्वर्ग पटल-निर्देश ४.५१७, विस्तार ४५१७, अकन विस्तार ३.४७८, अकुन ३.४६१, चित्र ३.४६२ अ । बड़ानगर--३१८० अ। ४.५१५, देव-आयु १२६७ । बलमद-मद ३ २५६ ब ! बदला---उपकार १४१५ अ। बलमित्र-३१८१ अ। बद्ध-३.१८० अ, कारण २.५६ ब । बद्धायुष्क-अकालमृत्यु (मरण) ३२८४ अ, आयुबन्ध । बलवत्ता-कारण (कर्म) २.७१ अ-ब । बलवान-कारण २.७१ब। १.२६२ अ, गुणस्थान आयु १.२६२ ब। जन्म बलहद्दचरिउ -- इतिहास १ ३४५ ब । २.३१३-३१४, बन्ध-उदय सत्त्व (उदय) १.४०० अ, बला (देवी)-गजदत कूट की-निर्देश ३.४७३ अ, । मरण ३.२८४ अ, सम्यग्दर्शन (आय) १.२६२ ब । ३.६१४, आयु १.२६५ ब, पद्मह्रद की-निर्देश । बध्यमान आयु-अपवर्तन १.२६१ अ, आयु १.२५३ ब । ३.४५५ अ, ३.६१४। वैमानिक इंद्रों की ४.५१३ , बध-३१८० अ। बघपरिषह-३.१८० अ। बलाकपिच्छ-३.१८१ अ, मूलसंघ १.३२२ ब, देशीयगण बध्य-घातक विरोध-३.१८०, कर्म-जीव २६७ ब, विरोध १.३२४ ब, इतिहास १.३२८ ब। ३५६४ ब, सम्बन्ध ४.१२६ अ। बलाकामरण-मरण ३२८१ ब । बध्य-बन्धक भाव-नय २.५५० ब । बलात्कार गण-३ १८१ अ, मूलसंघ १३२३ अ, १.३२४ बध्यमान कर्म-३.१८० ब । । नन्दिसघ १. परि०/२.३, १. परि०/४.२, १३१८ बनवारीलाल-३१८० बा बनारस-तीर्थंकर पार्श्वनाथ २.३७६, नारायण ४.१८ अ, बलाधानहेतु-कारण २.७१ ब, निमित्त २.६११ ब । प्रतिनारायण ४.२०, बलदेव ४१७ अ । बलाधायक हेतु-निमित्त २.६१२ अ। बनारसीदास-~-३.१८०ब, इतिहास १.३३४ अ, १.३४७ बलि-३१८१ अ, अकम्पनाचार्य १.३०ब, तीर्थकर मल्लि नाथ २३६१, सुपार्श्वनाथ २.३८७, पूजा ३.७८ ब, बनारसौविलास-३१८० ब, इतिहास १.३४७ ब । प्रतिनारायण ४.२० अ, यदुवंश १.३३७ । बंदर-तीर्थकर अभिनंदननाथ २ ३७६ । बलिदत्त तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ २.३८७ । बप्पदेव-३१८०ब, इतिहास १.३२८ ब, १.३४० अ।। बलिदोष-आहार १.२६० ब, उद्दिष्ट १.४१३ अ, बप्पनदि-देशीय गण १.३२५ । वसतिका ३.५२८ ब । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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