Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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सम् ब्रह्मन दि
१७३
भगलि
ब्रह्मनदि-नन्दिसघ भट्टारक १३२३ ब ।
इन्द्रक श्रेणीबद्ध ४५१८-५२०, उत्तर विभाग ४५२१ ब्रह्मभूति–नारायण (पिता) ४ १८ अ।
अ, अवस्थान ४.५१४ ब, अकन ४.५१५ ब । ब्रह्ममीमांसा---मीमासादर्शन ३ ३११ अ ।
बात-कुरुवरा १३३५ ब । ब्रह्मरथ-इक्ष्वाकुवश १३३५ ब, चक्रवर्ती ४.११ ब । ब्राह्मण--३.१६५ अ, यज्ञोपवीत ३ ३७० अ, वर्ण-व्यव था ब्रह्मराक्षस-३१६४ ब, राक्षरा ३३६३ ब ।
३५२३ ब, ३ ५२४ अ। ब्रह्मरुचि-रुद्र ४ २२ अ ।
ब्राह्मी-३१६६ ब, तीर्थकर ऋषभदेव २३८५, तीर्थंकर ब्रह्मर्षि--ऋषि १.४५७ ब ।
पार्श्वनाथ २३८०। ब्रह्मलोक-लौकान्तिक देव ३४६४ अ। ब्रह्मवाद--अद्वैतवाद १४६५ व । ब्रह्मविद्या --३ १६४ ब, इतिहास १.३४४ अ । ब्रह्मविलास-इतिहास १३४७ ब । ब्रह्म संप्रदाय - वैष्णव दर्शन ३.६०६ अ। ब्रह्मसाधारण-इतिहास १३३३ अ। ब्रह्मसिद्धि --वेदान्त ३५६५ ब । ब्रह्मसूत्र-वेदान्त ३ ५६५ ब ।
। भग-३१६६ ब, अभर १३३ अ, आयुकर्म के त्रिसयोगी ब्रह्मसेन-३.१६४ ब, काष्ठा संघ १३२७ अ, लाडबागड भग १२६२, गणित २२२८ अ, पर्याय ३.४५ ब, सघ १३२७ ब, सेनसघ १३२६ अ।
प्रत्यय ३१२६ ब, प्रत्ययस्थान ३ १२६ ब, बन्ध-उदय ब्रह्महृद-३१६४ ब।
सत्व के त्रिसयोगी भग १४०१, मनुष्यलाक ३.२७५ ब्रह्महृदय--स्वर्गपटल निर्देश ४.५१८, विस्तार ४.५१८, ब। अंकन ४ ५१५, देव-आयु १२६७ ।
भंगविचय--अनुयोगद्वार ११०३ अ। ब्रह्मा-चक्रवर्ती ४११ ब, नक्षत्र २५०४ व, निन्दा २ ५८८ ।। भंगविधि-भग ३१६६ ब, श्रुतज्ञान ४६० अ। ब।
भंडारदशमी व्रत-३१६७ अ । ब्रह्माद्वैत-अद्वैतवाद १४७ ब । नय २४५८ अ, वेदान्त भक्त-३ १६७ अ। ३५६६ अ।
भक्तकथा-कथा २३ ब। ब्रह्मेश्वर -३१९४ ब, शीतलनाथ का यक्ष २ ३७६ । भक्तपान संयोजना-अधिकरण १.४६ अ। ब्रह्मोत्तर (देव)-३१६४ ब । अवगाहना ११८० ब, भक्तप्रत्याख्यान-सल्लेखना ४३८५-३८७ ब।
अवधिज्ञान १११८, आयु १२६७, आयुबन्ध के योग्य भक्तामर कथा-३ १९७ अ, इतिहास १३४७ ब, १३४८ परिणाम १२५८ ब । इन्द्र-निर्देश ४५१० ब, अ। उत्तरेन्द्र ४५११ अ. चिह्न आदि ४५११ ब, भक्तामर स्तोत्र--३ १६७ अ, इतिहास १.३४१ ब । स्तोत्र परिवार ४५१२-५१३, अवस्थान ४५२० ब, विमान ४४४९ व । व नगर ४.५२०-५२१ ।
भक्ति-३ १९७ अ, पूजा ३७५ अ, ३७६ अब, ब्रह्मोत्तर (देव)-प्ररूपणा-बध ३ १०२, बधस्थान (प्रतिमा) ३७७ ब, सम्यग्दर्शन ४.३५१ अ ।
३११३, उदय १.३७८, उदयस्थान १३६२ ब, भक्ति (नवधा)-आहार १२८६ ब । उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४.४८२, सत्त्वस्थान भक्षण-पूजा (पूजा किये बिना भोजन करना) ३७५ ब । ४२६८,४३०५, त्रिसयोगी भग १४०६ ब। सत् भक्ष्य नैवेद्य,-पूजा ३.८० अ। ४१६२, सख्या ४.६८, क्षेत्र २.२००, स्पर्शन ४४८१, भक्ष्याभक्ष्य--३.२००ब। काल २.१०४, अन्तर १.१०, भाव ३२२० ब, अल्प- भग-परमात्मा ३.२० ब, नक्षत्र २.५०४ ब । बहुत्व ११४५।
भगवत - गणधर २२१३ अ । ब्रह्मोत्तर (पटल)-स्वर्गपटल-निर्देश ४.५१८, विस्तार भगदेव- गणधर २२१३ अ । ४.५१८, अंकन ४५१५, देव-आयु १२६७ ।
भगफल्ग-गणधर २.२१३ अ । ब्रह्मोत्तर (स्वर्ग)-निर्देश ४.५१४ ब, पटल ४.५१८, भगलि-तीर्थकर २ ३७७ ।
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