Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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प्रयोग
प्रसेनजित् ।
प्रयोग-३.१४६ ब, उदय १.३६५ ब ।
प्रवृद्धावेग---चक्रवर्ती ४१३ अ । प्रयोगकर्म-कर्म २.२६ अ-ब। सत् ४.२६६, सख्या प्रवेणी-३ १४६ अ, मनुष्यलोक ३.२७६ अ। ४११६ ब, क्षेत्र २२०८, भाव ३२२३ ।
प्रवज्या -३ १४६ अ, म्लेच्छ ३३४७ अ । प्रयोग किया-क्रिया २.१७४ ब ।
प्रशंसा-३१५१ अ, अन्य दृष्टिप्रशसा १११२ अ, स्त्री प्रयोगगति-गति २.२३५ अ।
४४५१ अ। प्रयोगज परिणाम-परिणाम ३.३१ ब ।
प्रशम-३१५१ अ, उपेक्षा १४४४ ब, सम्यग्दर्शन प्रयोजन-३१४६ ब, न्यायदर्शन २.६३३ अ-ब ।
४३५१ अ, ४.३५२ अ, ४.३५३ अ, सुख ४४२६ प्रयोज्यता-३१४६ ब ।
ब, ४.४३२ अ। प्ररूपणा-३.१४७ अ, अनुयोगद्वार ११०२ अ, १.१०३ प्रशमाभास-प्रशम ३.१५१ ।।
प्रशस्त- ३.१५१ ब, उपयोग १.४३३ अ, उपशम १४३७ प्ररोहण-कार्मण २.७५ ब ।
अ, धर्मध्यान २४७८ अ, ध्यान २४६६ अ, निदान प्रलंब-३.१४७ अ, ग्रह २.२७४ अ, तालप्रलब न्याय
२६०८ अ, प्राभृत ३१५६ ब, मोह ३.३४० ब, राग
३३६५ अ, वेद्य ३५६२ अ, सत्य ४.२७२ ब । २.३६६ अ। प्रलय-३१४७ अ, वैशेषिक दर्शन ३.६०८ अ।
प्रशस्तपाद-३१५१ ब ।
प्रशस्तपाद भाष्य-वैशेषिक दर्शन ३.६०७ ब । प्रवक-३१४७ ब। प्रवचन--३१४७ब, उपदेश १.४२४ अ, पिशाच जातीय
प्रशस्त विहायोगति नामकर्म प्रकृति--विहायोगति ३५७३
अश व्यन्तर देव ३.५८ ब, श्रुतज्ञान ४.६० अ।
ब। प्ररूपणा-प्रकृति ३.८८, २५८३ अ, स्थिति
४.४६६, अनुभाग १६५ ब, प्रदेश ३.१३६। बन्ध प्रवचन-प्रभावना-प्रभावना ३.१३६ ब । प्रवचन-भक्ति-भक्ति ३ १९८ ब।
३.६७, बन्धस्थान ३.११०, उदय १३७५, उदय
स्थान १.३६०, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान प्रवचन-वात्सल्य-वात्सल्य ३ ५३२ ब।
१.४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४.३०३, त्रिसप्रवचन-सन्निकर्ष-३.१४८ अ, श्रुतज्ञान ४.६० अ।
योगी भग १४०४। सक्रमण ४.८४ ब, अल्पबहुत्व ' प्रवचनसार-३१४८ अ, इतिहास १३४० ब ।
१.१६६ । प्रवचनसार टीका-अमृतचन्द्र ११३३ अ।
प्रशांतता क्रिया-संस्कार ४.१५२ ब । प्रवचनसारोद्धार-३.१४८ अ, इतिहास १.३४२ ब,
प्रशांति-कुरुवंश १.३३५ ब । १.३४३ ब।
प्रशांति क्रिया-सस्कार ४१५१ ब। प्रवचनाद्धा-३.१४८ ब, श्रुतज्ञान ४६० अ।
प्रश्न-३.१५१ ब, स्वभाव ४५०७ अ । प्रवचनार्थ-३ १४८ ब, श्रुतज्ञान ४.६० अ ।
प्रश्नकोति-तीर्थंकर २३७७ । प्रवचमी-३.१४८ ब, श्रुतज्ञान ४६० अ ।
प्रश्नकुशल साधु-३.१५१ ब । प्रवचनीय-३.१४८ ब, श्रुतज्ञान ४.६० अ।
प्रश्नभाषा-भाषा ३.२२७ अ। प्रवरवाद--३ १४८ ब, श्रुतज्ञान ४६० अ।
प्रश्नव्याकरण-३.१५१ ब, श्रुतज्ञान ४६८ अ । प्रवर्तक (साधु)--३.१४८ ब, निर्यापक २६२५ ब । प्रश्नोत्तरमाला-अमोघवर्ष १.१३३ ब। प्रवाद-३१४८ ब ।
प्रश्नोत्तर श्रावकाचार-३१५१ ब, इतिहास १.३४५ ब । प्रवाल-~-३१४८ ब, रत्नप्रभा की चित्रापृथिवी ३.३६१ अ, प्रष्ठक-स्वर्गपटल-निर्देश ४.५१७ ब, विस्तार ४.५१७,
मानुषोत्तर पर्वत का कूट-निर्देश ३ ४७५ अ, विस्तार अकन ४५१६ ब, देव-आयु १.२६७ । ३.४८६, अकन ३.४६४ ।
प्रसंख्यान—एकाग्रचितानिरोध १.४६६ अ। प्रवाह क्रम-क्रम २१७१ ब ।
प्रसंग-३.१५१ ब । प्रवाहण जैवलि-३.१४८ ब, कुरुवश १३१० ब। प्रसंगसमा जाति--३.१५१ ब । प्रविचार--३.१४६ अ, देवगति २.४४६ ब।
प्रसज्य अभाव-अभाव १.१२८ अ-ब । प्रविष्ट-३.१४६ अ, व्युत्सर्ग दोष ३.६२२ ब ।
प्रसाद-दान २४२३ ब । प्रवृत्ति-३.१४९ अ, गुप्ति २.२५० ब, न्याय २६३३ ब, प्रसारितबाहु तप-कायक्लेश २.४७ अ। राग ३.३६८ अ।
प्रसेनजित्-३.१५१ ब, कुलकर ४.२३, यदुवंश १३३७ ।
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