Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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नदिवर्द्धन
नंदिवर्द्धन - २.५०३ व मगधदेश १.३१० व १३१२,
१ ३१३ ।
ब,
नंदिवर्द्धना -२५०३ रुचकबर पर्वत की दिक्कुमारी - नकुल- २.५०४ अ, कुरुवा १३३६ अ । निर्देश ३.४७६ अ. अकन ३.४६६ ।
नखा -- २.५०४ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
नंदिवृक्ष -- नन्दि सघ १. परि० / २.६, १ परि० / ४.१ । नंदिषेण - २५०३ ब, अच्युत १४१ अ, तीर्थंकर चन्द्रप्रभु
तथा सुपार्श्वनाथ २.३७८ पुग्नाटसपी आवार्य १ ३२७ अ, बलदेव ४.१६ अ, शलाकापुरुष ४.२६
अ ।
नंदिषेणा रुचक पर्वत की दिवकुमारी निर्देश ३४७६
१२३
अ अकन ३४६८ ।
नदिसंघ - २.५०३ व इतिहास १.३१६ व मूलसंघ १३२२ब १, १२०/२२ मापनन्दि १. परि० / २.२, विशेष परिचय १३१०१ परि० / २१,३,५,७, १. परि० / ४.१२ । देशीय गण १३२४ व १३२५,
बलात्कार गण १.३२३ अ, ब ।
नंदि - गणधर २.२१३ अ, भावि शलाकापुरुष ४.२६ अ मल्लिनाथ २३९१ शान्तिनाय २.३८४ । नंदीश्वर कथा - २५०२व ।
नंदीश्वर द्वीप २.५०४ अ चैत्यचैत्यालय २.३०३ अ निर्देश ३.४६३ व नामनिर्देश ३.४७० अ विस्तार ३४७८, अकन ३४४३, चित्र ३.४६५, ज्योतिषचक्र २.३४८ व अधिपति देव २.६१४ । मंदीश्वरपंक्ति व्रत २५०४ अ नंदीश्वर पूजा - ३७५ ब । नंदीश्वर सागर - २५०४ अ
नामनिर्देश ३.४७० ब विस्तार ३४७८ जल का रस ३४७० अ, अरुन ३.४४३, ज्योतिषच २३४८ व अधिपति देव २६१४ ।
नदीसूत्र - २५०४ अ । नंदोत्तर- मानुषोत्तर पर्वत के कूट का देव निर्दोष ३ ४७५ अ अकन ३४६४ । रुचकवर पर्वत की दिकुमारीनिर्देश २४७६, अकन ३.४६८, ३,४६८ ।
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नंदोत्तरा - २५०४ अ । नन्दीश्वर द्वीप की वापी - निर्देश
३.४६३ ब, नामनिर्देश ३४७५ अ, विस्तार ३.४६१ । अंकन ३४६५ र पर्वत के कूट की दिक्कुमारी अंकन ३४६८, ३४६९
निर्देश ३४७६ नंद्यावर्त - चक्रवर्ती ४१५ अ,
शान्तिनाथ २३८३,
सुपार्श्वनाथ २३७१।
निर्देश
नंद्यावर्त - २५०४ अ, रुचकवर पर्वत का कूट ३४७६ व विस्तार ३४६७, अन ३,४६९ । सौधर्म
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नगरी
स्वर्ग का पटल निर्देश ४५१७, विस्तार ४.५१७, अंकन ४.५१२ व देव-आयु १२६७ ।
1
नक्षत्र - २५०४ अ, मूलसघ १ ३१६, इतिहास १.३२८ अ । नक्षत्र ( ज्योतिषलोक) निर्देश २३४१ व २.३५० ब विमानों का विस्तार २३५१ किरणे तथा वाहक देव २३४७, गगनखड २३५० ब वीथियाँ २३४६, गतिविधि २.३५०, चार क्षेत्र २३४ अ अकन २३४८, २८ मे २५०४ व उत्कृष्ट नक्षत्र (सल्लेखना) ४३६७ व वैदिकाभिमत ३.४३३ ।
नक्षत्र ( ज्योतिषदेव ) - नामनिर्देश २३४५ ब, २८ भेद २५०४ ब इन्द्र नामनिर्देश २.३४५ ब, किरणे तथा शक्ति २.३४७, अवस्थान २.३४६ ब, परिवार २.३४६ अ विमान सख्या २३४८ अ देव-अबगाना १.१८० अवधिज्ञान ११९८ आयु १.२६६ । नक्षत्रदेव (प्ररूपणा ) --- बन्ध ३.१०२, बन्धस्थान ३११३, उदय १.३७८ उदवस्थान १.३९२ व उदीरणा १.४११. अ सत्य ४२६२, सरवस्थान ४२१८, ४.३०५, जिसयोगी भग १४०६ व सत् ४१५८ संख्या ४९७, क्षेत्र २.१९९ स्पर्शन ४४८१, काल २.१०४, अन्तर १.१०, भाव ३.२२० अ, अल्पबहुत्व १.१४५ ।
नक्षत्रदम - राक्षसवंश १३३८ ब ।
नक्षत्रमाला व्रत - २५०५ अ ।
नस प्रदारिक शरीर १.४७२ अ । नख समानता अहंतातिशय] ११३७ न नग - यदुवंश १३३७
नगनरथ--अचेलकत्व १४० व निर्बंध २६२१ व लिंग ३.४१७, ३.४१९ अ परिषह १३१ व २२३ ब २३४४.४०८ अ ४.४०
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नगर -- २.५०५ अ । भवनवासी देवो के निर्देश ३. २०७ ब ३२१० अभ्यन्तर देवो के निर्देश ३.६१२ म बनावट ३६१२ ब, विस्तार ३६१५ अ, सख्या ३६१२ व विजयदेव की नगरी ३.६१२ व ज्योतिष देवो की निर्देश २३५१ । वैमानिक देवो कीनिर्देश ४.५२१ ब, विस्तार ४५२१ ब । लवणसागर में ३४६२, अकन ३.४६१ । नगरनायिका ब्रह्मचये ३११२ अ ।
नगरी --- चैत्य चैत्यालय २.३०३ अ, प्रत्येक महाक्षेत्र की राजधानी -- निर्देश ३.४४६ अ, अंकन ३.४४४,
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