Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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पुरुषदशिनी
पुष्कलाक्त पुरुषदशिनी-व्यन्तरेद्र को गणका ३६११ ब।
पुरुषोत्तम--३.७१ब, कि पुरुष २ १२५ अ, तीर्थकर अनन्त पुरुषपुडरीक अनतनाथ २३६१, नारायण ४१८ अ । नाथ व विमलनाथ २३६१, नारायण ४१५ अ। पुरुषपुर -३७० अ।
पुरुहूत -विद्याधरवंश १ ३३६ अ। पुरुषप्रभ-३७० अ, विपुष २१२५ अ ।
पुरोत्तम-३७१ ब, विद्याधर नगरी ३ ५४५ अ। पुरुषर्षभ--बलदेव ४१६ अ।।
पुरोहित-३ ७१ ब, चक्रवर्ती ४१३ अ । पुरुषवाद - एकान १४६५ अ परत त्रवाद ३१२ अ, पुलवी-३७१ ब, वनस्पति ३.५०६, ३ ५०६, ब ३५१०
निपतिवार २ ६१८ अ, साख्यदर्शन १४६५ ब । पुरुषवेद कमप्रकृति--प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, ३ ३४४ अ, पलस्त्य-विद्याधरवश १३३६ अ। स्थिति ४ ४६२, अनुभाग १६१ ब, १६५, प्रदेश
पुलाक - ३७२ अ, श्रुतकेवलो ४५५ ब, साधु ४.४०८ ब। ३१३६ । बध ३ ६३, ३ ६४, ३ ६५ अ, ३ ६६ ब,
पुलोम-हरिवश १३३६ ब, १३४० अ । ३६७, बन्ध की कालावधि का अल्पबहुत्व ११६१ ब,
प्लुत अक्षर --१.३३ अ। बन्धस्थान ३ १०६, उदय १.३७४, ४६४ ब, उदय ।
पुष्कर ३७२ अ। की विशेषता १३७३ अ, उदयस्थान १३८६,
पुष्करद्वीप-३७२ अ, निर्देश ३ ४६३ ब, नामनिर्देश उदीरणा १४११, उदीरणा-स्थान १४१२ सत्त्व
३ ४७०, विस्तार ३४७८ अकन ३४४३, चित्र ४२७८, सत्यपान ४२६६, स्थिनिसत्त्व स्थान का
३४६४, ज्योतष चक्र २.२४८, अधिपतिदेव ३६१४ । अरपबहत्व ११६५ ब, त्रिसयोगी भग १४०१ व ।
तीर्थकर पुष्पदत, वासुपूज्य, शीतल तथा श्रेयासनाथ सक्रमण ४८५ अ, अल्सबहुत्व ११६८ ब ।
२३७८ । वैदिकाभिमत ३.०३१ ब । पुरुषवेद (मार्गणा)-कषाय २.३५ ब, नपुसकवेद ३५८६
पुष्करद्वीप सिद्ध-अल्पबहत्व ११५३ अ। अ, मनुष्य ३५८६ अ, राग कषाय २ ३६ अ, वेद ।
पुष्कर वृक्ष-निर्देश ३४६३ ब, पृथिवीकायिक (वृक्ष) ३५८३ ब, ३ ५-६ । प्ररूपगा-बन्ध ३ १०५, बन्ध
३ ५७८ ब, विस्तार ३४५८ अ, अकन ३४६४ के की कालावधि का अल्पबहुत्व ११६१ ब, बन्धस्थान ३११३, उदय १३८१, उदयस्थान १३६२ ब, सत्त्व
सामने, वर्ण ३४७७ । ४२८३, सत्त्वस्थान ४ ३००, त्रिसयोगी भग १.४०७
पुष्करवर सागर-निर्देश ३ ४७० अ, विस्तार ३४७८, अ। सत् ४.२२४, संख्या ४६४, ४६६, ४१०४,
अकन ३ ४४३, ज्योतिष चक २३४८, अधिपति देव क्षेत्र २२०३, स्पर्शन ४४८७, काल २ १११, अन्तर ३.६१४, जल का रस ३४७० अ । ११४, भाव ३ २२१ अ, अल्पबहुत्व ११४६ ।
पुष्करावती-चक्रवर्ती ४.१५ अ। पुरुषवेद सिद्ध - अल्पबहुत्व ११५३ ब ।
पुष्करावर्त - ३७२ अ। पुरुष-व्यभिचार-शब्दनय २५३६ ब ।
पुष्करिणी-जम्बू शाल्मली वृक्षस्थलो मे-निर्देश ३ ४५८ पुरुषसिंह-३.७० अ, धर्मनाथ २३६१, नारायण ४१२ ब, अकन ३४५६ । सुमेरु के वनो मे-निर्देश अ।
३.४५३ ब, नामनिर्देश ३ ४७३ ब । विस्तार ३४६० पुरुषाकांता-व्यन्तरेद्र की गणिका ३६११ ब ।
३४६१, अकन ३ ४५०, ३४५१, चित्र ३ ४५१ । पुरुषाकार --मोक्ष ३.३२६ ब ।
पुष्कल--३७२ अ।। पुरुषाकार नय --नय २५२३ ब ।
पुष्कला–विदेहस्य क्षेत्र-निर्देश ३.४६० अ, नामनिर्देश पुरुषाद्वैत-अद्वैतवाद १४७ अ।
३ ४७० ब, विस्तार ३४७६, ३४८०, ३४८१, पुरुषार्थ-३७० अ, करणलब्धि ३४१३ ब, दैव २६१७ अकन ३.४४४, २४६४ (चित्र स ३७), चित्र ३४६० अ, नियति २ ६१८ अ ।
अ। वक्षार पर्वत का कूट तथा देव ३ ४७२ ब ।। पुरुषार्थ नय-३७१ ब ।
पुष्कलावती-३७२ अ, विदेहस्य क्षेत्र-निर्देश ३४६० पुरुषार्थवाद-३७१ ब, एकात १४६५ अ-ब, दैववाद अ, नामनिर्देश ३.४७० ब, विस्तार ३४७६, ३.४८०
२६१७ अ, नियतिवाद २६१८ अ, परतंत्रवाद ३१२ ३.४८१, अंकन ३४४४, ३४६४ (चित्र ३७), चित्र अ।
३.४६० अ। वक्षार गिरिका कट तथा देव ३४७२ पुरुषार्थसिद्ध्युपाय -३ ७१ ब, अमृतचद्र १.१३३ अ, ब। इतिहास १३४२ अ।
पुष्कलावर्त-३.७२ अ।
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