Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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प्रकृतिबध वेदना १५८
प्रतिघात करण दशक २५ ब, देश व सर्वघाती १.६०-६४, प्रच्युति-उत्पादादि (धय) १३५८ अ। बंध ३६७, बन्धस्थान ३१०८, त्रिसयोगी भग प्रजापति - गणधर २२१३ अ, बलदेव ४१७ अ, नारायण १.४०४, सक्रम ग४८४ अ, अल्पबहुत्व १.१६८ ।
४१८ अ, रोहिणी नक्षत्र का देवता २५०४ ब । प्रकृतिबंध वेदना-अल्पबहुत्व १ १७६ । .
प्रजापाल----३ ११४ ब, चक्रवर्ती ४.१० अ, बलदेव प्रकृतिवाद -एकान्त 'साख्य दर्शन) १४६५ व ।
४१६ ब। प्रकृति-विपरिणमना-विपर्य7 ३ ५५५ अ-ब ।
प्रजावती-तीर्थकर मल्लिनाथ २३८०। प्रक्रम-उपक्रम १४१६ ब।
प्रज्वलित-३११४ ब । नरकपटल-निर्देश २५७६ ब । प्रक्रिया-३.११४ अ।
विस्तार २५७९ ब, अकन ३४४१, नारकी---- प्रक्षेपक-३११४ अ ।
अवगाहना ११७८, आयु १२६३ । प्रख्यात-नारायग ४१८ ब।
प्रणय---३११५ अ! प्रख्यात कीति-नन्दिसघ १३२३ ब, १३२४ अ।
प्रणव-पदस्थ व्यान ३७ अ-ब।
प्रणाम-नमस्कार २५०६ अ। कृतिकर्म २१३३ ब, प्रगणना -३११४ अ। प्रज्ञप्ति-३११४ अ, तीर्थकर सम्भवनाथ की यक्षिणी सामायिक ४४१६ ब । २३७६, विद्या ३ ५४४ अ ।
प्रणाली--हिमवान पर गंगाद्वार ३४५५ अ ।
प्रणिधान-~-३ ११५ अ, उपयोग १४२६ अ, योग ३ ३७५ प्रज्ञा-३११४ अ, अनुभव १.८७ अ, परिपह ३ ३३ ब।
अ। प्रज्ञाकर गुप्त-३ ११४ अ ।
प्रणिधि-३ ११५ अ, माया ३ २९६ ब । प्रज्ञापना-प्ररूपणा ३.१४७ अ।
प्रणियोग-योग ३.३७५ अ। प्रज्ञापनी-भाषा ३२२७ अ।
प्रतर-३ ११५ अ, भेद ३.२३७ अ। रज्जू, लोक व तिर्यक प्रज्ञापनीय----आगम १२२८ ब, श्रुतकेवली ४५६ अ ।
प्रतर ३११५ अ। प्रजापरिषह-३ ११४ अ, परिषह ३३३ ब, ३३४
प्रतरसमुद्घात २१६६ ब । अब ।
प्रतरांगुल-क्षेत्रप्रमाण २२१५ ब, सहनानी २.२१६ ब । प्रज्ञाभाव छेदना- छेदना २३०६ ब, २३०७ अ।
प्रतरात्मक आकाश-३.११५ अ। प्रज्ञाश्रमण ऋद्धि---- ऋद्धि १४४८, १.४५० अ-ब ।
प्रताप-इक्ष्वाकुवश १ ३३५ ब । प्रचय-३११४ ब, पर्याप्ति ३४४ अ ।
प्रतापवान्-इक्ष्वाकुवश १.३३५ अ । प्रचला-निद्रा २६०८ ब।
प्रतापसेन काण्ठासघ १३२७ अ । प्रचला (कर्मप्रकृति)-प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, २४२०
प्रतिकुंचन-३ ११५ अ, माया ३ २६६ ब । अ, स्थिति ४.४६०, अनुभाग १.६४ ब, प्रदेश ३.१३६ ।
प्रतिक्रमण-३ ११५ अ, उपयोग १४३४ अ, कृतिकर्म बध ३६७, बंधस्थान ३१०६, उदय १३७५,
२१३७ ब, २१३६ ब, चारित्र २.२८८ ब, प्रतिक्रमण उदयस्थान १३८७ ब, उदीरणा १४११ अ, उदीरणा
(प्रायश्चित) ३ ११७ अ, विषकुम्भ (उपयोग) १४३४ स्थान १४१२, सत्त्व ४२७६, सत्त्वस्थान ४२६४,
अ, श्रुत ज्ञान ४ ६६ ब, सयम (उपयोग) १.४३४ अ, त्रिसयोगी भग १३६६, सक्रमण ४८५ अ, अल्पबहुत्व
प्रायश्चित ३१६० ब । १.१६८ ब।
प्रतिज्ञा-३११८ ब, अनुमानावयव १६८ व, न्याय प्रचला-प्रचला-निद्रा २६०८ ब।
२६३३ ब । प्रचलाप्रचला (कर्मप्रकृति -प्ररूपणा--प्रकृति ३.८८ प्रतिज्ञांतर-३११८ अ ।
२४२०, स्थिति ४४६० अनुभाग १.६४ ब, प्रदेश प्रतिज्ञाविरोध-निग्रहस्थान-३११८ ब । ३.१३६। बन्ध ३.९७, बधस्थान ३१०६, उदय प्रतिज्ञासंन्यास निग्रहस्थान-३११८ ब । १३७५, उदय की विशेषता १.३७३ ब, उदयस्थान प्रतिज्ञा-हानि निग्रहस्थान-३११६ अ। १.३५७ ब, उदीरणा १.४११ अ. उदीरणास्थान प्रतिग्रह -- भक्ति ३ ११६ अ । १.४१२, सत्त्व ४२७८ सत्त्वस्थान ४.२४६, त्रिसंयोगी प्रतिघकर्म-अनुयोग १.१०२ अ
भग १३६६, सक्रमण ४.८५ अ, अल्पबहुत्व १.१६८। प्रतिघात-३.११६ अ, कर्मोदय २.७१ ब, सूक्ष्म ४४३८ प्रच्छन्न-३.११४ ब, आलोचना १-२७७ ब।
अ, ४.४३६ अ-ब।
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