Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
View full book text
________________
नागरमण
अंकन ३.४४४, ३४६४ के सामने, वर्ण ३.४७७ ॥ नागरमण -- भद्रशाल वन का खण्ड निर्देश ३.४५० अ विस्तार ३.४८८, अंकन ३४४४, ३४५७, ३४६४ के सामने ।
नागवर - २५८१ ब, षष्ठ द्वीप सागर - निर्देश ३४७० अ, विस्तार ३.४७८ अंकन ३४४३, जल का रस २.४७० अ ज्योतिष २.३४८ व अधिपति देव ३.६१४ । भागवमं (कवि ) - इतिहास द्वितीय १३३१ व नागधी - २५८१ व
नागसेन - २.५८२ अ मूलसघ १.३१६, इतिहास - प्रथम १३२८ अद्वितीय १३३१ अ
नागहस्ती - २५८२ अ मूलसच १३२२ब १ परि०/ २.१, १ परि० / ३१, ३, पुन्नाट सच १३२७ अ । इतिहास १३२८ ब । नागार्जुन - २.५८२ अ ।
नागोजी भट्ट - ३३८४ अ ।
नागौर - आशाधर १.२५० ब ।
नाटक - पूजा ३.८१ अ ।
नाटक समयसार - इतिहास १.३३४ अ, टीका १३३४ ब । नाट्यशाला-समवसरण ४ ३३० ब ।
नाडी -- २५८२ अ, उच्छ्वास १.३५२ ब क्षेत्र का प्रमाण
२२१५ अ ।
नाथ- वर्द्धमान २३८०, २३६३ ।
नाथवंश - १.३३५ अ, १.३३६ ब ।
नावग्रह - भवनवासी देवो के भवनो मे ३.२१० ब । नाना - अजीव - कर्म २.२६ अ, कषाय २३५ ब । नाना - गुणहानि -- गणित २२३१ ब ।
नाना- जीव- अनुयोगद्वार १.१०२ अ कर्म २.२६ अ,
कषाय २३५ ब ।
१३१
१३३० ब, १३४३ अ,
नाना - जीव एक अजीव - कर्म २२६ अ, कषाय २. ३५ ब । नानाजीव नानाअजीव कर्म २.२६ अ कषाय २३५ ब । नानाश्रेणी- प्रदेश अल्पबहुत्व ११५५ ब वर्गणा अल्पबहुत्व ११५५ ब ।
नामांत --- २५०२ अ विद्याधर नगरी ३.५४५ अ । नाभिकमल --- पदस्य ध्यान ३.६ व ।
नाभिकीति नन्दिसंघ १.३२३व । नाभिगिरि क्षेत्रों के मध्यवर्ती गोल पर्वत -- निर्देश ३४५२ ब, व नामनिर्देश ३.४७१ व विस्तार ३.४८२, ३४८५, ३.४८६, अंकन ३.४४४, ३४६४ के सामने चित्र ३.४५२ व वर्ण ३.४७७ ।
-
Jain Education International
-
नाभिराज - २५८२ अ, ऋषभनाथ २३८०, कुलकर ४२३ । नाभ्यधोनिर्गमन - आहारान्तराय १.२६ अ ।
नाम - २५८२ अ ।
नाम अग्रायणीपूर्व श्रुतज्ञान १.६७ व
-१ ५५ ब ।
नाम-अनन्तनाम-अंतर--१३ ब
नाम उपक्रम - १ ४१६ ब ।
नाम - उपशम- १.४३७ अ । नाम-कर्म - २५०३ अ कर्म २२६ अ
--
-
नामकर्म प्रकृति - प्ररूपणा - प्रकृति ३८८,
२५८३ अ स्थिति ४४६३, अनुभाग ११५, अनुभाग का अल्पबहुत्व ११६६, प्रदेश ३१३६ सबंधी नियम ३२३, ३६५
बन्ध ३.९०, बध
स्थान ३.११० अ,
उदय १३७५, उदय की विशेषता १३७२ व १३७०३,
,
उदय के निमित्त १३६७ व आवाधा १२५१ व उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४.३०३, त्रिसंयोगी भग १.४०४-४०८ । संक्रमण ४८५ अ,
अल्पबहुत्व १.१६८
नामकर्म किया संस्कार ४१५१ अ मन्त्र ३ २४७ अ । नाम कषाय- २३५-ब ।
नाम - काल - २८१ ब ।
नाम छेदना - २३०६ ब ।
नारत
नामध्येय – २५०० अ ।
नामनय - २५२२ ब ।
नामनिक्षेप २.५६४ व द्रव्यार्थिक नय २५९४ अ
स्थापना निक्षेप २५६८ ब ।
नामनिबंधन - २५८२ अ ।
नामपद - उपक्रम १४१६ ब, पद ३.५ अ । नामप्रतिक्रमण - ३.११६ ब ।
नामप्रत्याख्यान - ३.१३२ अ ।
नाममंगल - ३.२४१ अ ।
नाममाला - २५८५ अ, इतिहास १३४७ ब ।
नामसत्य - ४.२७१ व
नामसम-२६०२ अ ।
नामस्तव - भक्ति ३२०० अ ।
For Private & Personal Use Only
नारक-जीव २३३३ ब, नरक गति २.५७१ ब, विशेष दे, नरक गति नरक पटल-निर्देश २५७६ व विस्तार २५७१ व अकन ३ ४४१ ।
नारकी - नरक गति २५७१ व विशेष दे. नरक गति । नारत - नरक गति २.५७१ ब । विशेष दे. नरक गति ।
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307