Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 144
________________ नीचगोत्र १३८ नेमिनाथ नीचगोत्र-वर्णव्यवस्था ३.५२० ब । १.४११ अ,सत्त्व ४२८४, सत्त्वस्थान ४.३०१,४३०६, नीचगोत्र कर्मप्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३.८८, ३ ५२०% त्रिसंयोगी भग १४०७ ब । सत् ४२४४, संख्या स्थिति ४ ४६७, अनुभाग १६५, प्रदेश ३ १३७ । बध ४१०७ क्षेत्र २२०५, सर्शन ४४६०, काल २.११५, ३६७, बधस्थान ३ ११०, उदय १३७५, उदयस्थान अन्तर १.१८, भाव ३ २२१ ब, अल्पबहुत्व ११५१ । १३८७, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्यान १४१२, नीलांजना-ऋषभदेव २३८२ । सत्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४२६८, त्रिसयोगी भग नीलाभास-ग्रह २२७४ अ । १३६६ । संक्रमण ४८५ अ, अल्पबहुत्व ११६८ । नीलोत्पला-उतरेन्द्रो की वल्लभिका ४५१३ ब । नीचत्व-मार्दव ३२६८ ब । नीलोद्यान-मुनिसुव्रतनाथ २३८३ । नीचदेव-आयुबन्ध के योग्य परिणाम १२५७ ब । नीहार-तीर्थकर २.३७३ ब । देवगति २.४४६ । नीचपद से उद्धार-धर्म २४६६ व । नीहारप्रायोपगमन - सल्लेखना ४.३६० अ । नीचैर्वृत्ति--२६२६ ब। नृत्यगान--पूजा ३८० ब। नीचोपपाद देव-व्यन्तरजातीय देव-आयु १.२६४ ब । नृत्यमडप-चैत्यालय २.३०३ अ । नीति-नय २५१३ ब। नत्यमाल-२.६२६ ब, विजयार्धखण्ड प्रपातकूट का देव नीतिक्रिया-न्याय २.६३१ अ । ३.४७१ ब। नीतिवाक्यामत-२६२६ ब, इतिहास १.३४२ ब। नृपतग-२.६२६ ब । नीतिसार-२६२६ ब, इन्द्र नन्दि १.२६९ ब, इतिहास नपदत-२.६२६ ब, यदुवश १.३३७ । १३४२ अ। नपनदि-२ ६३० अ। नीरस-आहार-आहार १२८८ अ । नेत्र (चक्षु इद्रिय)-२ २७७, अप्राप्यकारी १३०३ अ, नीरा- मनुष्यलोक (नदी) ३.२७६ अ । अवगाहना का अल्पबहुत्व ११५८, आहारान्तराय नील-२६२६ ब, ग्रह २.२७४ अ। दिग्गजेन्द्र पर्वत- १२८ ब, इन्द्रिय १३०२ अ, ज्ञान की कालावधि का निर्देश ३ ४७१ ब, विस्तार ३.४८३, ३ ४८५,३४८६, अल्प बहुत्व ११६०, ज्ञानार्थक १.३०६ ब, पर्यायाथिक अंकन ३.४४४ । द्रह-निर्देश ३.४५६ ब, नामनिर्देश नय २५४२ ब, २५४६ ब, सूक्ष्मग्रहण ४४३६ ब । ३४७४ अ, विस्तार ३४६०,३४६१, अकन ३.४४४, नेत्रोन्मीलन-२६३० अ प्रतिष्ठा विधान ३.१२० ब। ३४५७ ३.४६४ के सामने । वर्षधर पर्वत-निर्देश नेमिचंद्र-२.६३० अ, अभयनन्दि १.१२७ अ, इन्द्रनन्दि ३.४४६ ब, विस्तार ३४८२, ३४८५, ३४८६, १२६९ ब, नन्दिसघ १ ३२३ अ, देशीय गण १ ३२५, अकन ३४४४ के सामने, ३४६४ के सामने (चित्र इतिहास १३२६ अ । इतिहास -द्वितीय १३३० ब, सं ३७), वणं ३ ४७७ ।। १३४२ ब, १३४३ ब । तृतीय १३३१ अ, १.३४३ नील (कूट)-उत्तरकुरु व देवकुरु का कूट-निर्देश ब। चतुर्थ १३३२ अ,१३४४ ब । पचम १३३२ ३ ४७४ अ, अकन ३.४५७ । केसरी द्रह का-निर्देश अ, १३४६ ब । षष्ठ १.३३२ ब। सप्तम १३३३ ३४७४ अ, विस्तार ३४८३, अकन ३४५४ । नील पर्वत का-निर्देश ३.४७२ अ, विस्तार ३.४८३, नेमिचंद्र भट्टारक-काष्ठासघ १.३२७ अ, नंदिसघ अंकन ३ ४४४ । रुचकवर पर्वत का-निर्देश ३ ४७६ १.३२४ अ। ब, विस्तार ३.४८७ । नेमिचद्र श्वेतांबर-१३३१ अ, १३४३ ब। नील (नाम)-मुनिसुव्रतनाथ २ ३८३, वानरवश १.३३८ नेमिचंद्रिका-२६३० अ। नेमिदत्त-२६३० अ, नन्दिसघ १३२४ अ, इतिहास नीलकंठ भावि शलाकापुरुष ४२६ अ । १३३३ ब, १३४६ ब । नीलकुमारी-मध्यलोकवासिनी देवी ३ ६१४ । नेमिदेव-२६३० अ, इतिहास १३३० अ। नीलयशा-यदुवंश १३३७ । . नेमिनंदि-नन्दिसघ भट्टारक १३२३ ब । नीललेश्या-निर्देश ३४२३ अ, प्ररूपणा-बन्ध ३ १०७, नेमिनाथ-२.६३० अ, हरिवंश १३४० अ, कुटुम्ब १३० बन्धस्थान ३ ११३, आयुबन्ध के स्थान १२५६-अ, ब, पूर्वमव १.१२२ ब, २३७६-३६१, राजुल उदय १३८४, उदयस्थान १३६३ ब, उदीरणा (भोजवंश) १३३६ ब । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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