Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 134
________________ नयाधिपति नयाधिपति निश्चय नय २.५५६ अ । नयार्थ - आगमार्थ १२३० अ कर्ताकर्म २.२४ व नयुत - काल का प्रमाण २.२१६ अ । नयूतांग- काल का प्रमाण २२१६ अ नर-२५७० अ । नरकगति-निर्देश २५७१ ब २५७२ अ, अधःकर्म १४८ ब, अवगाहना १.१७८, अवधिज्ञान १ १६४, ११६८ अ, अमरकुमार १ २१० ब, आयु १२६३, आयुबन्ध १२६२ अ आयुबन्ध के अपकर्ष काल १२५९ ब ईथ कर्म १ ३४९ अ कषाय २३८ अ क्रोधादि की कालावधि का अल्पबहुत्य १.१६१, गति (जन्म-मरण तथा गुणप्राप्ति) २.३१३ अ २.३१९ व २ ३२१ ब, २.३२२ अ, गुणस्थान २५७४ ब, तीर्थंकर प्रकृति २.३७६ व, दुख २.४३४ व २५७२ अ भवधारण सीमा २३२१ ब मृत्यु अकाल ३.२८४ अ लेश्या ३४२८ ब, वनस्पति ३५०६ अ, शरीर २५७३, १६०२ व सम्यक्त्व २.५७१ ब । नरकगति (प्ररूपणा ) -- बन्ध ३.१००, बन्धस्थान ३११३, उदय १३७६, उदयसत्त्व १.३९२ ब उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व ४.२८१, सत्त्वस्थान ४२६८, ४३०५, जिसयोगी भग १४०६ व सत् ४१६५, सख्या ४.६५, क्षेत्र २ १६७, स्पर्शन ४.४७६, काल २.१०१, अन्तर १६, १८, भाव ३.२२० अ अल्पबहुत्व १ १४४ । नरकगति नामकर्म प्रकृति प्ररूपणा - प्रकृति ३८८, २५८२, स्थिति ४४६२, अनुभाग ११५, प्रदेश ३ १३६ । बन्ध ३ ९७, बन्धस्थान ३. ११०, उदय १.३७५, उदयस्थान १३९०, उदीरणा १.४११ अ उदीरणास्थान १.४१२, सस्व ४.२७८, उद्वेलना युक्त में सत्त्व ४२८१, सरवस्थान ४३०३, जिसयोगी भंग १४०४ । संक्रमण ४८५ अ अल्पबहुत्व ११६८ । नरकगत्यानुपूर्वी नामकर्म प्रकृति अनुपूर्वी १. २४७ अ, प्ररूपणा - प्रकृति ३.०० २.५६३, स्थिति ४.४६३, अनुभाग १९५, प्रदेश २.१३६ । बन्ध २.१७, बन्ध स्थान ३११०, उदय १.३७५, उदवस्थान १.३१०, उदीरणा १४११ अ उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२७८, सस्वस्थान ४.३०३, त्रिसंयोगी भग १.४०४ । सक्रमण ४ ८५ अ अल्पबहुत्व १.१६८ । नरकचतुष्क- १ ३७४ ब , नरकत्रिक - १.३७४ व । -- Jain Education International १२८ नरमद नरकडिक १.२७४ ब । नरकप्रस्तर निर्देश २.५७६ व नामनिर्देश २५७६ अ विस्तार २५७९ व अंकन ३.४४१ नरक बिल -- इन्द्रक श्रेणी वद्ध प्रकीर्णक २५७८-५७६, चित्र ३४४१ । नरकख २५८० नारद ४२१ अ । नरकलोक - निर्देश २५७६ अ अफन ३४३१, चित्र ३.४४१ । नरकलोक सिद्ध — अस्पबहुत्व १.१५३ । नरकांता कुड – निर्देश ३४५५ अ विस्तार ३.४६०, अकन ३ ४४७ । ----- नरकांता कूट- २५८० अ नरकान्ता कुंड में स्थित निर्देश ३ ४५६ अ, विस्तार ३४८४, वर्ण ३ ४७७, अंकन ३.४४४, नील पर्वत का निर्देश ३.४७२ भ विस्तार ३४८३ अंकन ३.४४४ । रुक्मि पर्वतका - निर्देश ३४०२ ब विस्तार ३.४६३ अंकन ३. ४४४ । नरकांता देवी - २५८० अ नरकान्ता नदी के कुछ की देवी ३.४५५ व, नील पर्वत के कूट की देवी ३. ४७२ अ, रुक्मि पर्वत के कूट की देवी ३ ४७२ ब नरकांता नदी - २५८० अ रम्यक क्षेत्र की महानदी - निर्देश ३ ४५५ अ, विस्तार ३४८६, ३४६०, अकन २.४४४, ३.४६४ के सामने, जल का वर्ण ३४७८ । नरका कर्म प्रकृति - प्ररूपणा प्रकृति ३८८ १२५३, स्थिति ४४६२, प्रदेश ३.१३६ । बन्ध ३६७, बन्ध योग्य परिणाम १२५४ ब, बन्धस्थान ३१०८, उदय १३७५, उदयस्थान १३८७ ब, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्व स्थान ४२९४, त्रिसयोगी भग १४०१ । अल्पबहुत्व १.१६८ । नरकेंद्रक — निर्देश २५७६ ब, नाम निर्देश २.५७६-५८०१ विस्तार २५७८-१८०, अकन ३.४४१, संख्या २.५७८-५८० । नरगीत - २५८० अ, विद्याधर ३.५४५ अ । नरचंद्र - नन्दिसघ १ ३२३ ब । नरतगति - २५७१ ब, विशेष दे० नरक गति । नरगीत -- विद्याधर नगरी ३.५४५ अ । नरदेव - प्रतिनारायण ४.२० व यदुवश १.३३७ ॥ नरधर्मा - भोजवश १.३१० अ । नरपति — २.५८० व चक्रवर्ती ४.१० अ, यदुवश १३३६ । नरमद - २.५०० व मनुष्यलोक ३.२७५ अ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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