Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 133
________________ नधुष नयातरविधि ३४४७ । विदेह क्षेत्रो की राजधानी-निर्देश ३४६० नभ-२.५०५ ब, ग्रह २ २७४ अ, निमित्त ज्ञान २.६१२ ब। अ. नामनिर्देश ३४७० ब, अकन ३ ४४४, ३४६०, नभचर जीव-निदेश २३६७, अवगाहना १.१७६, आयु ३.४६४ के सामने (चि. स. ३७) । १.२६३, इन्द्रिय १.३०६ ब, जीव समास २.३४३ । नभसेन-हरिवश१३४०, अ । नघुष-२.५०५ अ, इक्ष्वाकुवंश १३३५ ब । नति-नमस्कार २.५०६ अ। नभस्तिलक-२५०५ ब, विद्याधर नगरी ३५४५ अ। नतित्रय-कर्म २२६ अ, कृतिकर्म २.१३३ ब, सामायिक नमस्कार-२.५०५ ब, चैत्य-चैत्यालय २.३०१ ब, मत्र ४४१६ ब । ३२४८ अ, विनय ३५५२ अ, ३५५४ अ, शुभोपनथमल विलाल (कवि)-- इतिहास १३३४ ब । योग १.४३३ अ। नदी-२.५०५ अ, चातुद्धीपिक भूगोल मे ३४३७ ब, बौद्धा- नमस्क्रिया--२.५०६ ब। भिमत ३.४३४ ब, विहार काल में नदी का उल्लघन नमि-२.५०७ अ, अन्तकृत् केवली १२ ब, उग्रवंश ३ ५७४ ब । जैनाभिमत भूगोल के अनुसार प्रत्येक १३३५ ब, गणधर २.२१३ अ, भोजवश १३३६ ब. क्षेत्र की महानदी, विदेह की महानदी तथा विभंगा विद्याधरवश १३३८ ब, १३३६ अ। नमिनाथ-२.५०७ब । नदी-निर्देश ३४५५ अ, ३४६० अ, विभगा नाम नमिष-२५०७ब । निर्देश ३ ४७४ ब, विस्तार ४४८६, ३४६०, अकन नमुचि-२.५०७ ब । ३४४४, ३४४७, ३४६४ के सामने जल का वर्ण नमोऽस्तु-विनय ३५४६अ। ३ ४७८, गणना ३४४५ ब। नय-२.५०७ ब, अनुभव १.८१ ब, १८३ ब, अनेकान्त नदीस्रोतन्याय-२५०५ अ । नन्तराज-२५०५ अ। ११०६-१०८ ब, आगम १२३४ अ, १.२३७ ब, उपक्रम १४१६ ब, उपचार १.४२३ अ, एकान्त नपुसकवेद-२५०५ अ, आहारक काययोग १२६७ ब, ११०७ ब, निक्षेप २.५६२ अ, २.५६३ ब, पक्ष निषेध कषाय २.३५ ब, नरकगति ३.५८६ ब, पुरुषवेद १८१ ब, १८२ अ-ब, २५१८ अ, प्रतिपक्ष का संग्रह ३.५८६ अ, राग कषाय २३६ अ, सगति ४.११६ब, १२३७ ब, मिथ्यादृष्टि ३३१६ अ, लोप ४.४६४ अ, कालावधि का अल्पबहुत्व ११६१ ब । शब्द प्रामाण्य १२३४ अ, सप्तभंगी ४.३१५ ब, नपुंसक-वेद-कर्मप्रकृति-निर्देश ३३४४ ब । प्ररूपणा - सम्यग्दृष्टि ४३७८ अ, स्याद्वाद ४.४६६अ। प्रकृति ३ ८८, ३.३४४ अ, स्थिति ४.४६१, स्थिति यात नयकीति-२.५७० अ, नन्दिसघ देशीय गण १३२४ ब, सत्त्व ४.३०८, स्थितिसत्त्व का अल्पहुत्व ११६५ ब, इतिहास १.३३१ ब। अनुभाग १६५ अ, प्रदेश ३.१३६ । बन्ध३६७, बन्ध नयचक्र-२.५७० अ, इतिहास-द्वादशार १३२६ अ, स्थान ३१०६, उदय १.३७५, उदय की विशेषता १३४० अ, लघु १३४२ ब । १३७३ ब, उदयस्थान १३८९, उदीरणा १.४११ अ, नयष्टि -सम्यग्दर्शन ४.३५८ ब । उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४.२७८, सत्त्वस्थान नयनदि-२५७० अ, नन्दिसंघ १.३२३ ब, देशीयगण ४२६५, त्रिसयोगी भग १.४०१ब । सक्रमण ४८५अ, १.३२५, इतिहास १.३३१ अ, १.३४३ ब । अल्पबहुत्व ११६८। नयनसुख (कवि)-२.५७० अ, इतिहास १.३३४ ब । नपुसक-वेद-मार्गणा-प्ररूपणा-बन्ध ३.१०५, बन्धस्थान नयनोन्मीलनयंत्र-३.३५४। ३११३, उदय १.३८२,उदय की विशेषता १३७३ ब, नयप्रमाण-प्रमाण ३.१४५ अ। उदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा १.४११ अ, सत्व नयवाद-एकान्त १४६५ अ, परतन्त्रवाद ३.१२ म, ४.२८३, सत्वस्थान ४.३००,४३०५, त्रिसयोगी भग श्रुतज्ञान ४.६० अ।। १४०७ अ, सत ४.२२६, सख्या ४.६४ ब, ४.१०४, नयविधि-श्रुतज्ञान, ४.६० अ। क्षेत्र २.२०३, स्पर्शन ४४८७, काल २.१११, अन्तर नयविवरण-२५७० अ, इतिहास १.३४१ ब । १.१४, भाव ३ २२० ब, अल्पबहुत्व १.१४६ । नयसेन-२.५७० अ, काष्ठासंघ १.३२७ अ, इतिहास नपुसक-वेद-सिद्ध-अल्पबहुत्व १.१५३ ब । १.३३१ ब, १३४४ अ। नभःसेन -शकवश १३१४, नरवाहन २.५८०, ब। नयांतरविधि-श्रुतज्ञान ४.६० अ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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