Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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उपबेल्लन
४६
उपादान
उपवेल्लन-१.४३५ ब, निक्षेप २.६०२ ब।
उपशांतकषाय (प्ररूपणा)-बंध ३६८, बंधस्थान ३११०उपवेशन-आहारान्त राय १२६ ब
१११, उदय १.३७५, उदयस्थान १.३६२ अ, उदीरणा उपशम--१४३५ ब, करण (अन्तर) १.२५-२६, करण १४११ अ, सस्व ४.२७८, सत्त्वस्थान ४२८६
(दश) २६, अपक श्रेणी ४७२ ब, ४६२ ब, गुण- ३०४, प्रदेश निर्जरा का अल्पबहुत्व १.१७४, विसंगी स्थान २६ अ, यत्नायत्न २६७ अ, सख्या ४६२ ब,
भंग १४०६अ। सत् ४१६४, संख्या ४.६४, क्षेत्र सम्यग्दर्शन ४३५१ अ।
२१६७, स्पर्शन ४४७७, काल २.१००, कालावधि उपशमकरण-उपशम १४३८ ब, निषेक १३७१ ब।
का अल्पबहुत्व ११६१ अ, अंतर १७, भाव ३.२२२ ब उपशमकाल-अल्पबहत्व ११६१ अ, काल २८१ अ।
अल्पबहुत्व ११४३ । उपशमचारित्र-१४४२ ब, उपशम १४३६ ब ।
उपशांतद्रव्य-उपशम १४४१ अ। उपशमना-अल्पबहुत्व ११७५।
उपशांतमोह-कषाय २४० ब, काय २.४५ ब, दशकरण उपशमश्रेणी-१४४२ ब, कालावधि का अल्पबहत्व ११६१ अ, परिहार विशुद्धि ३३७ अ, प्रवेशको की
उपशामक-१४४३ अ, अपूर्वकरण १.१२५ अ, कषाय सख्या ४६४, बद्धायुष्क १२६२ ब, मरण ३ २८३ अ,
२४० ब, काय २४५ ब, दशकरण २.६ अ, परिहार श्रेणी ४७३ अ, समुद्रात ४३४३ अ, सम्यग्दर्शन
विशुद्धि ३३७ अ, बधक ३१७६ अ, ब द्वायुष्क ४३६६अ।
१२६२ब, मरण ३२८३ अ, श्रेणी ४.७३ अ, समुदधात उपशमश्रेणी (प्ररूपणा)-बध २१००,बंध स्थान ३११०,
४ ३४३ अ, सम्यग्दर्शन ४.३६६ अ। ३१११, उदय १३७५, उदय स्थान १३६२, उदीरणा
उपशामक (प्ररूपणा)-बध ३.६७, वधस्थान ३११०. १४११ अ, सत्त्व ४२७७ ब, सत्त्वस्थान ४.२८६,
१११, उदय १३७५, उदयस्थान १.३९२, उदीरणा ४३०४, त्रिसंयोगी भंग १४०६ अ। सत् ४१६३,
१४११ अ, सत्त्व ४.२७८ व, सत्त्वस्थान सख्या ४१४, क्षेत्र २१६७, स्पर्शन ४४७७, काल
४.२८६, त्रिमलेगी भंग १.४०६ अ। सत् ४.१६३, २१००, अतर १७, भाव ३ २२२ ब, अल्पबहुत्व
संख्या ४.६४ क्षेत्र २१६७, स्पर्शन ४.४७७, काल उपशमसम्यग्दर्शन-उपशम १४३७-४३६, करण त्रिक
२१००, अतर १.७, भाव ३२२२ ब, अल्पबहुत्व २६-१४, देव (अपर्याप्त) २४४७ ब, पचलब्धि
१.१४३। ३४१२ अ, परिहारविशद्धि ३३७ अ, मन पर्यय उपसंयत-१४४ ५, समाचार ४.३३६ ब, ३३७ अ । ३२६६ब, सम्यग्दर्शन ४३६६ ब। प्ररूपणा-बंध उपसंपदा-१४४. ५, सल्लेखना ४.३६० ब । ३१०७, बधस्थान ३११३, उदय १३८५, उदय उपसमुद्र-१४४३ । स्यान १३९३, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४२७१. उपसर्ग-१४४३ ब, न्तातिशयर १३७ ब, आहारान्तराय ४२८४, सस्वस्थान ४२८६ ४३०४, विसयोगी १२६ अ, केवली २१५७ अ, तीर्थंकर २.३७२ ब, भग १४०८ अ। सत् ४२५५. सख्या ४.१०८ क्षेत्र सामायिक ४.४१ ब । २२०६, स्पर्शन ४४६२, काल २११७, अंतर १२०१, उपसौमनस-सौमना न का खड ३४५० अ। भाव ३२२१ ब, अल्पबहुत्व ११५२, भागाभाग उपस्था (इन्द्रिया)---१ ४३ ब, प्रधानता ४.१३६ अ, सयम ४११४।
४१३६ अ । उपशमसम्यग्दृष्टि-उपशातकषाय ४३१२ ब, जीव उपस्थापना-१४४० ब, प्रायश्चित्त ३१५८ ब, ४३१२ ब, सख्या ४८७ अ।
३१६२ अ। उपशांतकर्म-१४४२ ब।
उपांग-शरीर १. ,१२ अ। उपशांतकषाय-१४४२ ब, अवधिज्ञानी ४३१२ ब, आरोह उपात -१.४४३० आकिंचन्य धर्म १.२२४ ब ।
अवरोहण २२४७ अ, अवरोहण का कारण ४७३ अ, उपादान-१४४३ च, असमर्थता २ ६२ ब, २.६६ ब, उपशम १४३६ ब, करण (दश) २.६ अ, क्षायिक २७३ ब, कार २.५४ अ, २६०,अ, २६१, २.६२, सम्यग्दष्टि ४३१२ ब, परिषह ३.३४ अ, मनुष्य निमित्त २.६ अ, २७२ अ, परतंत्रता २६२ ब, ४३१२ ब, वीतराग छंधस्थ १४४२ ब, संक्लेश २.६६ ब, २ ब, प्रधानता २.६२ अ, स्वतन्त्रता विशुद्धि ४७३ अ।
२.६० अ।
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