Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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कर्कराज
कर्कराज - २.१५ व राष्ट्रकूटवश १३१५ व
कर्मस्थ-२२६ ब ।
कर्कोटक -- २१५ ब. मनुष्यलोक ३२७५ ब, यदुवश कर्मदहन यत्र - ३.३५० ।
१ ३२७ ।
कर्मनारकी - १५७२ अ ।
कर्मनिर्जरा व्रत - २.२६ ब ।
कर्मनोआगम उनलम १.४३७ ।
कर्मप्रकृति - अनेक रूप से परिणमन ३६१ ब, करण दशक २५ व प्ररूपणा - प्रकृति ३.८८ स्थिति ४.४६०, अनुभाग १६५, अनुभाग का अल्पत्व ११६६, प्रदेश ३१३६ । बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३१०८, उदय १३७५. उदयस्थान १३८७. आबाधा १.२४६ अ उदीरणा १.४११ अ उदीरणा स्थान १४१२, सस्य ४ २७८ सत्त्वस्थान ४२५७ त्रिसंयोगी भग १३६६ । मक्रमण ४८५ अ, अतर १२३, अगबहुत्व १.१६८ चूर्णी २६३८ अ ।
कर्मप्रकृति ( शास्त्र ) -- इतिहास १.३२६ अ, १.३३२ अ । १ ३४५ अ ।
कर्मप्रकृति टीका इतिहास १३३३ व । कर्मप्रकृतिरहस्य - २२९ व
इतिहास १३४२ ब । कर्मप्रकृतिविधान --- २२६ ब ।
कर्मप्रकृतिसंग्रहिणी - इतिहास १ ३४१ अ ।
कर्मप्रवाद - २२६ ब, श्रुतज्ञान ४६६ ब ! कर्मप्राभूतटीका - २.२९ व इतिहास १.३४० अ । कर्मफल – उदय १३६७ अ, कर्म २२७ ब, जीव परिणाम २ ७४ अ । कर्मफलचेतना - चेतना २२६७ ब, सम्यग्दृष्टि ४३७६ अ, ४ ३७७ ब ।
कर्मबन्ध उपयोग १४३१ ब जीवकर्म कारण कार्य सम्बन्ध २६७ अ, २७० अ, २७१ब, २.७२ अ, २ ७४ अ, बन्ध ३ १७० अ, ३.१७२ ब, ३१७७ अ, विभाव ३५५६ ब, ३५६१ अ, शुद्ध परिणाम १.४३४ ब, समयप्रबद्ध ४.३२८ ब ।
कर्मबधक -- बन्ध ३.१७९ अ, संख्या तथा भागाभाग
४ ११७ अ ।
कर्ण - २१५ ब, कुरुवश १३३६ अ ।
कर्णगोभि २१५ ब ।
कर्णवार्य इतिहास १३३१ ।
कर्णविधि - २१५ ब । कर्णसुवर्ण २.१५ व ।
कर्तव्य - २१५ ब धर्म २४७१ ब, श्रावक ४५१ अ । कर्ता २१५ब आत्मा १४३४ ज्ञान २२६१ब, चेतना २२६८ अ-३००, द्रव्य २४५७ अ सत् ४१६० अ कर्ताकारक कर्ता कर्म २१६-२४, कर्म २ १७ब, कारक २४८ ब ।
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कर्ताबुद्धि - अज्ञानी (चेतना) २२१६ ब ।
कर्तावाद २२४ व परमात्मा (ईश्वर) ३२० ब
,
कर्तृत्व- २२४ व उपकार १४१५ अ
ज्ञान २२६१ व ।
कर्तुत्वनय- २५.२३ ब २५२४ अ । कर्तृसमवायिनी किया क्रिया २१७३ अ कर्मन्वादि किया सस्कार ४१५२ ब ।
•
कर्नाटक – २२५ अ ।
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1
कर्बुक - २२५ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ अ ।
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कर्म - २२५ अ, ईश्वरत्व ३२१ ब ईश्वर - कर्तृत्व ३.२१ ब, गमन ३७३ अ, ज्ञानी २६८ अ, नय १५५१ व नियति-पुरुषार्थ २.६१९ अ, पौद्गनिकत्व ३ ३१७ अ, बन्ध ३ १७३ अ, मिथ्यादृष्टि २ २६७ ब, मूर्तत्व ३३१७ अ, यत्न २६८ अ, वर्ण-व्यवस्था ३ ५२४ ब, आवक ४.५१ व सम्यग्दृष्टि ४३७७ ब स्कन्ध ४४४७ ब ।
कर्ता २२४ अ,
कर्मकांड इतिहास १३३३ व
कर्मकारक - कर्ता-कर्म २१६-२४, करण कारक २१७ ब,
कारक २४८ ब ।
हेतु
कर्मक्षपणा -- मिध्यादृष्टि तथा सम्यग्दृष्टि ३.३०७ अ हेतु (मोक्षमार्ग) ३३३६ अ ।
-
कर्मक्षयव्रत - २२६ ब ।
कर्मज्ञान मंत्री - उपयोग १.४३२ अ ज्ञान २२६१ । कर्मचूर व्रत - २.२९ ब ।
कर्मचेतना - चेतना २२१७ब, सम्यग्दृष्टि ४.३७६ अ । कर्मजस्वभाव स्वभाव ४.५०६ व ।
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कर्मजा ऋद्धि- १४५० अ
कर्म तद्व्यतिरिक्त नोआगम - अनन्त १.५५ ब, द्रव्यनिक्षेप २.६०० ब ।
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વર્ણભૂમિ
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अभयनन्दि ११२७ अ, अभवनन्दि
कर्मभाव - कारण २ ६७ अ-ब ।
कर्मभूमि - निर्देश ३.२३५ अ, गणना ३.४४५ अ, जीवसमास २३४३ अ, मनुष्य ३.२७३ ब, म्लेच्छ ३.३४५ व षट्काल व्यवस्था २१३ । अवगाहना १.१५० आयु १२६१, २६२ अ २.६३-२६४ ब, आयुबन्ध के योग्य परिणाम १.२५५ अन्य, आहार प्रमाण १२५५ व कर्म का उदय १.३७६ १.३७७, कर्म की स्थिति ४४६२, वेदभाव ३.५८० अ सत
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