Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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कडलक
कुभोगभूमि
कडलक-रुचकवर पर्वत का कुट-निर्देश ३.४७६ अ, कटक-२.१२८ ब। विस्तार ३४८७, अकन ३ ३६८ ।
कुडइ.-२१२८ ब। कुडलगिरि-२१२६ अ ।
कुडव-तौल का प्रमाण २.२१५ अ । कुडलपुर-तीर्थ कर वर्द्धमान २३७६ ।
कुडयाश्रित-२१२८ ब, व्युत्सर्ग दोष ३.६२१ ब । कडलवर द्वीप सागर--२१२६ अ । निर्देश ३४६६ अ -णिक-२१२८ ब, मगधदेश १.३१० ब, १३१२ । नामनिर्देश ३ ४७० अ, विस्तार ३४७८, अकन ।
कुणिम-हरिवंश १.३३६ ब, १३४० अ । ३४४३, चित्र ३४६७। जल का रस ३४७० अ, कणीयान-२१२८ ब, मनुष्यलोक ३२७५ अ। ज्योतिषचक्र २३४८ ब, अधिपति देव ३.६१४ ।
कुत्ता - श्वान ४.५०५ अ । चैत्य-चैत्यालय २३०३ ।
कुत्सा-२३४४ अ। कडलवर पर्वत-नामनिर्देश ३ ४६६ अ, विस्तार ३४८७,
कुत्सित-देव ३५५३ ब, धर्म ३५५३ ब, लिग ३ ५५३ ब । कुट तथा देवो के नाम ३.४७५ ब, कूदों का विस्तार
कुथित-३२०२ ब। ३४८७, वर्ण ३४७८, चित्र ३४६७ ।
कुथुमि-२ १२६ अ, अज्ञानवादी १.३८ ब, एकान्ती कुडला --२ २१६ अ। विदेह नगरी-निर्देश ३.४६० अ,
१४६५ अ। नाम ४३७० ब, विस्तार ३.४७६-४८१, अक्रन
कुदेव-२.१२६ अ, अमूढदृष्टि ११३३ अ, निन्दा ३४४४, ३४६४ के सामने, चित्र ३.४६० अ ।
२५८८ ब, मूढता ३३१५ ब, विनय ३ ५५३ अ । कुंडिनपुर-२१२६ अ, मनुष्यलोक ३.२७६ अ ।
कुधर्म-२१२६ अ, अमूढदृष्टि १.१३३ अ । कुंतल-२१२६ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ अ।
कुधर्माकांक्षा-२५८५ ब । कुंती-२१२६ अ, कुटुम्ब १३० अ, कुरुवंश १३३६ अ,
कुध्यान-~२४६७ अ। यदुवग १३३७ ।
कुनाल-मगधदेश १३१० ब, १३१३ । शान्तिनाथ कुथनाथ-२ १२६ अ, कुरुवंश-तीर्थकर १.३३५ ब,
२३६१। पूर्वभव २ ३७६-३६१ ।
कुपात्र--पात्र २५२ व, दान २४२६ अ। कंथु --- चक्रवर्ती ४१० अ, अरनाथ आदि तीर्थकर २३८७।
कुष्य-२१२६ अ। कंथ भक्ति-इक्ष्वाकुवश १.३३५व ।
कुबेर-२१२६ अ। अरनाथ का यक्ष २३७६, लोकपाल कुंथु सेना-अरनाथ २३८८ ।।
देव ३४६१ ब, स्वर्गलोक मे ४.५१३ अ, मध्यलोक कुंद-२१२६ अ, विद्याधर नगरी ३५४५ ब ।
मे ३.६१३ अ, सुमेरु पर्वत के वनो मे ३ ४५० अ-ब, कुंदकीति -काष्ठा सघ १३२७ अ ।
ऋद्धि शक्ति आदि ४५१३ अ, आयु १२६६ । कंदकंद-२१२६ अ-ब । देशीय गण १.३२४, इतिहास
कुबेरकान्त -४ १५ अ। १३२८ ब, १३४० ब, मूलसघ १३२२ ब ।
कुबेरदत्त - इक्ष्वाकुवश १.३३५ ब । कंदा-व्यन्तरेन्द्र वल्लभिका २६११ व।
कुब्जक-संस्थान नामकर्म - प्रकृति ३.८८, २५८३, स्थिति कुंभ--२१२८ ब, गणधर २.२१२ ब, तीर्थ फर मल्लिनाथ
४ ४६४, अनुभाग १६५, प्रदेश ३१३६ । बन्ध २३८०, तीर्थकर अरनाथ २३८७ ।
३६८, बन्धस्थान ३११०, उदय १३७५, उदयकुंभक-२१२८ ब, प्राणायाम ३ १५५ अ।
स्थान १ ३६०, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४.२७८, कुंभकटक द्वीप-२ १२८ ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिसयोगी भग १४०४ । संक्रमण कुभकर्ण-२१२८ ब, राक्षसवश १३३८ ब ।
४८५ अ, अल्पबहुत्व ११६८ । कुंमुज-२१२८ ब।
कुब्जा-२.१२६ अ, मनुष्यलोक ३.२७६ अ, अजितनाथ कुवरपाल-इतिहास १३३४ अ।
तीर्थंकर २३८८। कुगुरु-२ १२८ ब, विनय ३ ५५३ ब, अमूढदृष्टि १ १३३ कुभानु-हरिवंश १,३४० अ। अ, मूढता ३.३१५ ब ।
कभाषा--दिव्यध्वनि २.४३२ ब, भाषा ३.२२६ ब । कटिल अवलोकन-चैत्य-चैत्यालय २.३०२ ब ।
कभोगभूमि--निर्देश ३ २७३, अवगाहना १.१८०, आयु कुटिलता- माया ३ २६६ अ ।
१ २६३, १२६४, आयु के बन्धयोग्य परिणाम कुटीवर --वेदान्त ३५६५ ब ।
१२५६ ब, षट्काल व्यवस्था २ ६३, सम्यक्त्व आदि
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