Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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छिन्नगति
छिन्नगति-२२३५ अ ।
छिन्न निमित्त ज्ञान - २.६१३ अ ऋद्धि १४४८ | क-कायक्लेश २ ४७ व २३०६ अ ।
छे छे सूच्यागुल की अर्द्धच्छेद राशि २२१९ व । के छ प्रतरांगुल की अर्द्धच्छेद राशि २२११ ब । घनांगुल की अर्द्धच्छेद राति २२१६ व । जगत्प्रतर की अर्द्धच्छेद राशि २२१६ ब । घनलोक की अर्द्धच्छेद राशि २ २१६ ब, जगत्
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-
श्रेणी की अर्द्धच्छेद राशि २२१६ ब । छेद--२ ३०६ अ, अहिंसा व्रतातिचार १.२१६ अ, गणित
प्रक्रिया २२२३ ब, पर्याय ३४५ ब, प्रायश्चित ३.१६१ अभग १२१६ व हिंसा ४५३३ ।
गणित - २.३०६ ब ।
संवना-२३०६ ब ।
छेदपिड - इतिहास १. ३४३ अ
-
प्रायश्चित - २३०७ अ आहार १.२५६ व
छेद भागाहार-अनुयोगद्वार ११०२ब
छेदविधि - २३०७ अ, छेदोपस्थापना २३०७ न ।
१२
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ज
जंगम प्रतिमा
२३०० अ-ब ।
अघा चारण ऋद्धि- १.४४७, १.४५१ ब । जंतु - २३०६ ब, जीव २.३३३ अ-ब । अंबुद्दीवपत्ति - २.३०६ ब, इतिहास १.३४२ न ।
३ ४५८ अ, वर्ण ३४७७, अकन ३४४४, ३.४५७, चित्र ३४५८ अ, देव प्रासादो का विस्तार ३६१५ । बौद्धाभिमत ३४३४ ब, वैदिकाभिमत ३ ४४१ ब । जबूवृक्ष -- विमलनाथ २३८३, वृक्ष ३५७८ ब । बक्षस्थल निर्देश ३४५८ अ विस्तार ३.४५० अ अकन ३४५५, चित्र ३४५८, ३४५१ ।
वोपस्थापक २३०७ अ ।
छेदोपस्थापना ( चारित्र) - २३०७, निर्याक २.६२५ ब
।
परिहारविशुद्धि ३३६ व भाव ४१३२ अ लब्धि- जबूशंकुकुर - २३१० अ विद्याधर नगरी ३५४५ व ब, स्थान अल्पबहुत्व ११६०, सिद्धो का अल्पबहुत्व
११५३ । प्ररूपणा --- बन्ध ३१०६, बन्धस्थान ३११३ उदय १३८३ स्थान १३९३, उदीरणा १४११ सत्व ४२८२, मोहस्थितिसत्त्व ४.३०६ अ सत्त्वस्थान ४३०१, ४३०६ त्रिसयोगी भग १.४०७ ब । सत् ४.२३७, संख्या ४१०६, क्षेत्र २२०५, स्पर्शन ४४८१, काल २११४, अन्तर ११६, भाव ३२२१ ब, अल्पबहुत्व ११५१ ।
जगतुंग
जंबूद्दीव संघावणी २२०१ व इतिहास १ ३४१ अ जंबूद्वीप- २३०९ व चातुर्वीपिक निर्देश ३.४३७ अ अकन ३४३७ व बौद्धाभिमत निर्देश ३४३४ व अकन ३४३५ । वैदिकाभिमत निर्देश ३४३१ व अकन ३४३२ ।
3
जंबूद्वीप (जैनाभिमत) निर्देश ३४४४ अ नामनिर्देश ३.४७० अ विस्तार ३४४२ अ २.४७८, अकन ३४४३, चित्र ३४४४, ज्योतिष चक २३४८, अधिपति देव ३६१४ | इस क्षेत्र के पर्वत नदी आदि-निर्देश ३ ४४४ व गणना ३.४४५ ।
जबूद्वीपप्रज्ञप्ति -- २३०६ ब, अमितगति
१.१३६ अ,
2
इतिहास १३४२ अ. १३४३ अ श्रुतज्ञान ४६८ व जंबूद्वीपसमास - २३१० अ इतिहास १३४० ब । जबूडीपसिद्ध अल्पबहुत्व ११५३ अ । जंबूमती -- २३१० अ मनुष्यलोक ३ २७५ व अंबूवृक्ष - २.३१० अ निर्देश ३४५८-४५६, विस्तार
m
जंबूसामिचरिउ इतिहास १३४३ व
।
-
जंबूस्वामी २.२१० अ मूलसच १३१६, इतिहास १३२८ अ श्वेतान्वर ४७८ अ ।
जंबूस्वामीचरित्र - २३१० अ इतिहास १.३४३ म १३४५, १३४७ अ । जंभाई कायवलेश २४७ ब ।
ज-जगश्रेणी २२११ व जघन्य २.२१८ व अ - जपत्य को आदि लेकर अन्य भी २२१८ व । ब-जगत्तर लोकप्रतर २२१९ ब । जघनलोक २२१६ व
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।
ज. जु अ- जघन्य युक्तानन्त २२१९ अ । ज. ज अ "उत्तम परीतानन्त, २२११ व जु ज. जु अ व -- जघन्य अनन्तानन्त २२१६ अ । जगच्चंद्र सूरि- इतिहास १३३२ अ जगजीवन- २२१० अ इतिहास १३३४ अ । जगती - निर्देश ३.४४४ ब, ३४६२ ब, ३.४६३ ब, विस्तार ३४८४, वर्ण ३७७, अकन ३.४४४, ३.४६४ के सामने |
जगतुंग- २.२१० अ राष्ट्रकूट वंश १.३१५ ब ।
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