Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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त्रिस्थानी
त्रिकरण
अ॥
त्रिकरण--२४०० अ, २.६ ब, दर्शनमोहक्षपण २.१७६ त्रिभुवनचंद्र-काष्ठासघ १३२७ ।
त्रिभुवनचूडामणि--२४०० अ, देवकुरु व उत्तरकुरु के त्रिकालग-२४०० अ, मनुष्यलोक ३ २७५ ब ।
चैत्यालय-निर्देश ३४५८ अ, अकन ३४५७ । त्रिकाल-२४०० अ।
त्रिभुवनस्वयंभू- इतिहास १ ३३० अ। त्रिकालज्ञता-२४०० अ, अवधिज्ञान ११६७, केवलज्ञान विमुख-२४०० अ, सभवनाथ का यक्षा २१४८ ब, २१४६ ब, २१५१ ब, मनःपर्ययज्ञान ।
त्रिलक्षण कवर्थन -२४०० अ । इतिहास १३४१ अ । ३ २६३ अ, श्रुतज्ञान ४.६० ब ।
त्रिलक्षणत्व-उत्पादादि १३६१ ब, परिणाम ३.३२ ब, त्रिकाल वंदना-३ ४६५ अ ।
सापेक्षधर्म ११०६अ। त्रिकाल सामायिक -४४१७ ब ।
त्रिलोक-ओम १.४७० अ, लोक ३ ४४० ब । -त्रिकाली पर्याय-२.४५४ अ, २४५५ अ।
त्रिलोकगुरु-गुरु २.२५१ व । त्रिकट---मनुष्यलोक ३२७५ ब, विद्याधर नगरी त्रिलोकतीज
३ ५४५ अ। विदेह वक्षार-निर्देश ३ ४६० अ, नाम- विलोकबिदुसार-२ ४०० ब । निर्देश ३ ४७१ अ, विस्तार ३.४८२, ३४८५, ३४८६, त्रिलोकमडन-२.४०० ब। वर्ण ३ ४७७, अकन ३ ४४४, ३.४६४ के सामने। त्रिलोकव्याप्त वली पर्वत का कूट तथा देव ३४७२ ब ।
त्रिलोकसार--२.४०० ब, इतिहास १३४२ ब । त्रिकति-२४०० अ, कर्म २२६ अ, कृतिकर्म २१३३ ब,
त्रिलोकसार टीका-इतिहास १३४२ अ । वदना ३४६५ अ।
त्रिलोकसार व्रत-२.४०० ब । त्रिकोणरचना-उदय १३६६, १ ३७१ अ, स्थिति
त्रिलोकीय-नेमिनाथ २.३७८ । ४४५८ अ।
त्रिवर्ग-२.४०० ब। त्रिखंड-२४०० अ।
त्रिवर्गगतवाद--एकान्त १४६५ ब । त्रिखंडाधिपति-३ ४०० ब ।
त्रिवर्ग महेंद्र-मातलि जल्प-२४०० ब, इतिहास १ ३४२ ब । त्रिगर्त--२.४०० अ । मनुष्यलोक ३ २७५ ब ।
त्रिवर्गवाद-२४०० ब। त्रिगणसार व्रत-२.४०० अ।
त्रिवर्ण-प्रव्रज्या २१४६ ब, वर्णव्यवस्था ३५२३ ब, त्रिगुप्ति-अनन्तनाथ २३७८, गुप्ति २२४८ अ।
३५२४ ब । त्रिगुप्तिगुप्त - २.२४८ अ।
त्रिवर्णाचार-२४०० व, इतिहास १३४७ ब । त्रिचारित्रसिद्ध- अल्पबहुत्व ११५३ ।
त्रिवलित-२४०१ अ, व्युत्सर्ग का दोष ३.६२३ अ । त्रिचड विद्याधरवश १.३३६ अ। त्रिजट-राक्षसवश १.३३८ अ।
त्रिविध-प्रतिक्रमण ३ २१६ अ। त्रिज्ञानसिद्ध-अल्पबहुत्व ११५४ ।
त्रिवेदसिद्ध-अल्पबहुत्ब १.१५३ । त्रिज्या-२४०० ।
त्रिशिरा-२४०१ अ, कुण्डलवर पर्वत का कूट तथा देव
निर्देश ३ ४७५ ब, अकन ३ ४६७ । रुचकवर पर्वत त्रिदशंजय-इक्ष्वाकुवश १३३५ अ । त्रिधाकरण-मिथ्यात्व १४३८ ब ।
का कूट तथा देव-निर्देश ३ ४७६ ब, अकन त्रिपंचाशत-श्रावक की त्रेपन क्रियाएं ४ ५१ ब ।
३४६८। त्रिपर्वा-२४०० अ । विद्या ३५४४ अ।
त्रिषष्ठि- शलाकापुरुष ४.६ ब । त्रिपातिनी-२,४०० अ, विद्या ३.५४४ अ ।
विषष्ठिशलाकापुरुष चरित्र-२४०१ । त्रिपुर-२४०० अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
त्रिषष्ठिस्मतिशास्त्र-आशाधर १२८१ अ, इतिहास त्रिपृष्ठ -२.४०० अ, नारायण ४.१८ अ, शलाकापुरुष १.३४४ ब, १३४५ अ। ४२६ अ, श्रेयांसनाथ २३६१ ।
त्रिसंयोगीस्थान प्ररूपणा-उदय १४०-४०८, आयु त्रिप्रदक्षिणा-कर्म २.२६ अ ।
१.४०१, नामकर्म १४०४ मूलोत्तरप्रकृति १४००, त्रिबार सामायिक--४४१८ अ।
मोहनीय १.४०१ब, नामकर्म ओघ १.४०५ ब, नामत्रिभंगीसार-२.४०० अ, इतिहास १.३४५ अ ।
कर्म आदेश १४०६ ब। त्रिभवनकोति-काष्ठासंघ १.३२७ अ, नंदिसघ १.३२४ अ। त्रिस्थानी-अनुभाग १६१ ब।
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