Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 123
________________ देवमत्री देशजिन आयु देवमंत्री-पुष्य नक्षत्र २५०४ ब । स्थिति ४४६२, अनुभाग १६५, प्रदेश ३ १३६ । देवमाल-२४४६ ब । वक्षार-गिरि---निर्देश ३४६० अ, बन्ध ३ ६७, बन्धस्थान ३.१०८, उदय १३७५, उदय नामनिर्देश ३ ४७१ अ, विस्तार ३४८२, ३४८५, स्थान १३८७, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान ३४८६, वर्ण ३४७७, अंकन ३४४४, ३४६४ के १४१२, सत्व ४२७८, नत्वस्थान ४२६४,-िसयोगी सामने । इस पर्वत का कूट तथा देव ३ ४७२ ब। भग १४०१ । अल्पबहुत्व ११६८, विस्तार ३.४८७, देवमूढता -अमूढदृष्टि ११३३ ब, मूढता ३३१५ अ, ३४८८, अंकन ३४४४, ३४६४ के सामने । ३३१५ ब सम्यग्दर्शन ४३६१ ब। देवी-मध्यलोक मे आवास ३६१४, उदय प्ररूपणा देवयज्ञ-३३६६ ब। १३७८, अल्पबहुत्व ११४४ अ, ११४७ अ । देवयश-२३६२। परिवार-अनीक १.६८ ब, आत्मरक्ष १२४३ ब । देवरमण --भद्र शाल वन का भाग--निर्देश ३४५० अ, इन्द्रो की प्रधान देवियाँ ---- विस्तार ३४८८, अकन ३ ४४४, ३४५७, ३४६४ के विषय | भवनवासी | :न्तर | ज्योतिषी वैमानिक साभने (चित्र स० ३७)। देवरम्या-चक्रवर्ती ४१५ अ। कोश खण्ड - खण्ड ३ | खण्ड ३ | खण्ड २ खण्ड ४ देवराज-तीर्थकर २३६२ । देवराय-२४४६ ब । नाम निर्देश २०६ अ ६११ ब , ३४६ अ ५१३ ब देवद्धिगणी क्षमाश्रमग-श्वेताम्बराचार्य ४७८ अ, इतिहास विक्रिया । २०६ अ 1 ५१२ सख्या २०६ अ । ६११ ब ३४६ अ५१२-५१३ १३२६ अ। परिवार २०६ब ६१२ अ ३४६ अ ५१२ देवर्षि -ऋषि १४५७ ब, लौकान्तिक ३४६३ अ । विकास । ६१२ अ ३४६ अ| ५१३ देवल-साख्यदर्शन ४.३६८ ब । १२६५१.२६४ १२६६ १२६६ देवलोक-२४४६ब, धर्म (क्लेश का कारण) २ ४७० अ। नोट -वैमानिक देवियाँ सौधर्म ऐशान मे ही होती है देववदना-कृतिकर्म २१३७ ब, वदना ३४६५ ब । ४.५१४ अ। दववर (द्वीप, सागर)---२४४६ ब, नामनिर्देश ३ ४७० अ, देवीदयाल-इतिहास १३४८ । विस्तार ३४७८, जल का रस ३ ४७० अ, अकन देवीदास-२.४५० अ। ३.४४३, ज्योतिष चक्र २३४८ ब, अधिपति देव देवेंद्रकीति-२४५० अ। प्रथम--नन्दिसघ १३२३ ब, ३.६१४ । १३२४ अ, इतिहास १.३३३ अ, १३४७ ब । द्वितीय-- देवविमान-२.४५० अ, स्वप्न ४५०४ ब । इतिहास १३३३ ब । तृतीय-काष्ठासघ १.३२७ अ, देवशर्मा-२२१२ ब । इतिहास १३३४ ब, भट्टारक १.३३२ ब । देवसंघ-१३१६अ। देवेद्रमुनि-सेनसघ १.३२६ अ, इतिहास १.३३२ अ । देवसत्य--२२१२ । देवेद्र सूरि-इतिहास १३३२ ब, १३४५ अ। देवसमिति-स्वर्गपटल-निर्देश ४५१८, विस्तार ४५१८, देवेंद्र सैद्धांतिक-२४५० अ, देशीयगण १३२४ ब, अकन ४५१५, देव-आयु १२६७ । इतिहास १.३३० ब। देवसुत -- २४५० अ, तीर्थकर २.३७७ । देश-२.४५० ब, आहार दोष, १.२६० ब, अतिचार देवसेन २४५० अ, सजात तीर्थकर २३६२, यदुवंश १.४२ ब, १४३ ब, स्कन्ध ४४४६ अ । १३३६, हरिवश १.३४० अ। देशकरण--उपशम १४३७ अ। देवसेन-प्रथम-पस्तूप सघ १३२६ ब, इतिहास १ ३३० देशकाल-आगमार्थ १.२३४ अ, उपदेश १.४२६ अ। अ, १.३४३ अ। द्वितीय- माथुरसंघ १३२७ब, देशक्रम-२.१७१ ब, २१७२ अ । इतिहास १.३३० अ, १.३४२ ब । तृतीय-सेनसंघ देशघाती प्रकृति--निर्देश १.६१-६३, उदय १.३७१ ब, १.३२६ अ, इतिहास १.३३१ अ । __ अल्पबहुत्व १.१७१ अ । देवागम स्तोत्र-४.४४६ अ। वेशधाती स्पर्धक-४.४७३ अ, चारित्रमोह क्षाणा २.१८० देवाग्नि -२.२१२ ब। देवायु कर्मप्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, १.२५३, देशजिन-३.७७ अ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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