Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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द्रव्य-स्त्री
१२०
द्वितीयोपशम सम्यक्त्व
द्रव्य-स्त्री-४४५० अ।
आयतन (बौद्ध) १२५१ अ, आवर्त (कृतिकर्म) द्रव्यस्तव-भक्ति ३.२०० ब।
१२७६ अ, २ १३३ ब, चक्रवर्ती ४१० ब, तप द्रव्यस्पर्श-४ ४७५ ब ।
२.३५६ अ, भावना १७८ ब, भिक्षु प्रतिमा ४.३६२ द्रव्य-स्वभाव-तत्त्व २३५३ अ, परमाणु ३१३ अ । द्रव्यांश-उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य १.३६१ ब ।
द्वादशवर्षी दुर्भिक्ष -- १ परि०/२१-३ । द्रव्यानंत-१५५ ब ।
द्वादशांग-आगम १.२२८ ब, आत्मा १.२४४ अ, गणधर द्रव्यानुयोग-अनुयोगद्वार १६६ ब-१०१ ब, स्वाध्याय से उत्पति २२१२ ब, श्रुतवली ४.५६ अ, श्रुतज्ञान ४.५२३ ब।
४६७ अ-ब। द्रव्यारोप-उपचार १४१६ ब-१४२१ ब ।
द्वादशांगपूजा - इतिहास १३४७ अ। द्रव्यार्थता--कर्म २.२६ ब ।
द्वादशानुप्रेक्षा-शुभोपयोग १४३४ ब । द्रव्याथिक-निर्देश २.५१४ ब, २.५१५ अ, २५४२ अ, द्वादशी व्रत-२४६२ अ।
ऋजुसूत्र २५३४ ब, एकान्त (चक्षु) १४६२ ब, द्वापुरी-नारायण४१८ अ । द्रव्य २४६१ ब, निक्षेप २५६३ ब, निश्चय २५५४ द्वार-जगती के द्वार--निर्देश ३४४४ ब. विस्तार ब, पर्यायाधिक २५३५ ब, सम्यक मिथ्या २.५२६ ब,
३४८४, अकन ३.४४४, ३ ४६४ के सामने। स्याद्वाद ४.४६८ अ।
द्वारवंग-२४६२ अ।
द्वारावती-नारायण ४१८ अ, नेमिनाथ २३७६, बलदेव द्रव्याश्रय--द्रव्य २४६० अ।
४१७ अ। द्रव्योंद्रिय-१३०१ ब, १३०५ ब, केवली २१६२ अ।
द्विकावली व्रत-२४६२ अ। द्रव्योदय-उदय १३६५ ब ।
द्विगुण क्रम -२.४६२ अ । द्रव्योपचार-उपचार १४२१ अ, पर्यायारोप १४२१ ब।
द्विज्ञानसिद्ध-अल्पबहुत्व ११५४ । द्रव्योपशम-१.४३७ अ।
द्विचत्वारिंशत-बादाल सख्या की सहनानी २२१८ ब। द्रह-२४६१ ब, ह्रद ४ ५३८ अ, देवकुरु उत्तरकुरु
दिचरम देह-चरम २२७८ ब । निर्देश ३ ४५६ ब, नामनिर्देश ३.४७४ अ, विस्तार
द्विचरम देही-लौकान्तिक आदि देव ४.५१० ब । ३४६०, ३.४६१, अंकन ३४४४, ३४५७. ३ ४६४
द्विचरमावली-उपशम १४४१ ब । के सामने । वर्षधर पर्वत पर-निर्देश ३.४४६ ब,
द्विचारित्रसिद्ध-अल्पबहुत्व ११५३ । ३४५३ ब, ३४६३ अ-ब, विस्तार ३४६०-४९१,
द्विचूड-विद्याधर वश १३३६ अ। गणना ३४४५ अ, अंकन ३.४४४, ३४६४ के सामने
द्विज-ब्राह्मण ३.१६५ अ, वर्ण व्यवस्था ३५२३ अ-ब, इनके कूट ३ ४७४ ।
सस्कार ४.१५३ अ। द्रहवती-२४६१ ब, विभंगा नदी-निर्देश ३४६० अ, द्विजपति-हरिदेव ४५३० अ।
नामनिर्देश ३४७४ ब, विस्तार ३४८६-४६०, द्वितीयगण-गणाश २२४१ अ। अकन ३४४४, ३.४६४ के सामने ।
द्वितीय-गुण-हानि --- गणित २ २३१ व । द्रुमसेन-नारायण ४१८ ब ।
द्वितीय मूल-गणित २ २२३ अ। द्रोण-२४६१ ब, तौल का प्रमाण २.२१५ अ।
द्वितीय वर्ग-गणित २२२३ अ। द्रोणमुख-२४६१ ब, चक्रवर्ती ४१३ ब, बलदेव ४१७ ।
द्वितीय स्थिति-अन्तरकरण १२५ अ, १.२६ अ, गुण
श्रेणी सक्रमण ४८१ब, स्थिति ४.४५७ अ। द्रोणाचार्य-२४६१ ब ।
द्वितीयावली-आवली १.२७९ब। द्रौपदी-२.४६२ अ।
द्वितीयोपशम सम्यक्त्व-२.४६२ ब, अन्तरकरण १२५, द्वंद्व-२४६२ अ।
उपशम १.४३६ अ, करणत्रिक २६-१४, श्रेणी द्वयंग नमस्कार-२.५०६अ।
४७४ अ, सम्यग्दर्शन ४३६९ ब, सासादन ४४२६ द्वात्रिशतिका-२.४६२ अ, इतिहास १३४१ अ, १३४३ अ। प्ररूपणा--बंध ३.१०८, बधस्थान ३११२, अ, १३४४ अ।
उदय १३८५, उदयस्थान १३८७,१३८६,१३६२, द्वादश-अंग (श्रुतज्ञान) ४.६७ ब, अनुप्रेक्षा १७६ अ, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४.२८४, सत्त्वस्थान
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