Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
View full book text
________________
तेजस समुद्घात
१०८
त्रिकच्छेद -
जस समदघात-२३६५ ब, ४.३४३, क्षेत्र २ १६७- ४२८२, सत्त्वस्थान ४२६६, ४.३०५, त्रिसंयोगी
२०७, परिहारविशुद्धि ३३७ अ, सत्त्व ४३४३, भंग १४०६ ब। सत् ४२१०, सख्या ४ ६६, क्षेत्र स्पर्शन ४४७७-४६४ ।
२२०१, स्पर्शन ४४८४, काल २ १०६, अन्तर १ १२, तैतिल-२ ३६६ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ ब ।
भाव ३.२२० ब, अल्पबहुत्व ११४५ । तेरश्चिक-मनुष्यलोक ३ २७५ ब ।
सचतुष्क--१३७४ ब । तलमर्दन--अपवाद मार्ग ११२१ ब।
त्रसत्व--स्थावर ४४५४ ब । तेला-२३६६ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
सदशक-१३७४ ब। तैलिपदेव-२३६६ ब ।
सनामकर्मप्रकृति-प्ररूपणा--प्रकृति ३८८, २५८३, तोता-शुक्रेन्द्र का यान ४५११ ब, श्रोता ४ ४५२ ब । स्थिति ४४६६, अनुभाग १.६५, प्रदेश ३ १३६ । तोयधरा-२३६६ ब, सुमेरु के वनो की दिक्कुमारी- बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३ ११०, उदय १ ३७५, उदय- । निर्देश ३४७३ ब, अकन ३ ४५१ ।
स्थान १.३६०, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान तोय---राक्षसवश १३३८ ।
१४१२ ब, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४३०३ त्रिसतोरण-२३६६ ब।
योगी भग १४०४। सक्रमण ४८४ ब, अल्पबहुत्व तोरणद्वार -समवसरण ४ ३३० ब ।
१.१६८। तोरणाचार्य-२३६६ ब ।
त्रसनाडी-२ ३६६ ब । तोरमाण-२३६६ ब, हनवश १३११ ब, १३१५ । त्रसरेणु (बटरेणु)-२३६१ ब, क्षेत्रप्रमाण २ २१५ अ । तोलामलितेवर-इतिहास १३२६ अ।
सलोक-२ ३६६ अ । तौल-द्रव्यप्रमाण २२१५ अ ।
त्रसित -२ ३९६ ब। नरकपटल--निर्देश २५७८ ब, त्यषत-आहार का दोष १२६२ अ।
विस्तार २ ५७६ ब, अकन ३ ४४१ । नारकीत्यक्तज्ञायक शरीर-२५६६ अ, उपशम १४३७ अ।
अवगाहना ११७८, अवधिज्ञान १.१६८, आयु त्यक्तदोष-आहार १२६२ अ। त्यक्तशरीर २६०० अ।
त्रस्त २३६६ ब, ग्रह २२७४ अ । नरकपटल --निर्देश त्यक्तावास-अस्तेय १२१४ अ।
२५७८ ब, विस्तार २५७६ ब, अंकन ३४४१ । त्याग-२३६६ ब, अतीत-त्याग ३.३०५ ब, अपवाद नारकी-अवगाहना ११७८, अवधिज्ञान १.१६८,
मार्ग (एकदेश-त्याग) ११२० ब, उत्सर्ग मार्ग (पूर्ण आयु १२६३। त्याग) ११२० ब, आहारान्त राय १२५-२६, चारित्र त्रास्त्रिश-२३६६ ब, भवनवासी--भावन लोक मे २३८३ अ, दान २४२२ ब, परिग्रह-परिमाण ३.२०६ अ, जम्बू शाल्मली-वृक्ष स्थल ३ ४५८, ३ ६२८ ब, मिथ्यादृष्टि ३३०५ ब, वासुपूज्यनाथ ३.४५६, पद्म आदि हृदो मे ३४५३-४५४, श्री आदि आदि तीर्थकर २३८६ । व्युत्सर्ग ३ ६२४ ब ।
देवियो के परिवार मे ३६१२ अ, आयु १२६५, त्यागधर्म-२३६७ अ, व्युत्सर्ग तप ३.६२४ अ, शौच
वैमानिक-स्वगों मे ४.५१२, सुमेरु पर्वत की पुष्क४४३ अ।
रिणियो मे ३४५०-४५१, आयु १२६६। इनकी प्रयात्मक द्रव्य - उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य १.३६१ ब।।
देवियाँ ४५१२, आयु १२७० ।। त्रयोदश चारित्र के अग २२८२ अ, साधु की क्रियाएँ त्रास्त्रिश-बौद्धाभिमत स्वर्ग ३.४३५ ।
४४०४ ब । ससारी जीवराशि की सहनानी त्रि-२३७१ अ, अग्नि १.३५ अ, वरण २६ ब, काल २२१६ अ।
२१४८ ब, गुप्ति २२४८ ब, नति २ १३३ ब, योग बयोविशति वर्गणा ३५१३ अ ।
३ ३७५ ब, रत्नमय ३.३३३ अ, लिग ३.४१६ ब, उसकाय-२३६८ अ, अवगाहना ११७६, काय २ ४४,
लोक ३ ४४० ब, ३ ५७ ब, कर्म २४०० ब, विशुद्धि जीव २३३३ ब, जीवसमास २.३४३, प्राण ३.१५३ (सम्यग्दर्शन) ४ ३६३ अ, वेद ३.५८३ ब, शुद्धि अ, स्थावर (अग्निवायु) ४.४५४ ब। प्ररूपणा
४.३६ अ-ब । सहनानी-सिद्ध जीवराशि २२१९ अ, बन्ध ३१०४, बन्धस्थान ३.११३, उदय १३७६, अपर्याप्त जीवराशि २२१६ अ । सदयस्थान १.३६२ ब, उदीरणा १:४११ अ, सत्त्व त्रिकच्छेद-२.४०० अ, गणित २२२५ अ ।
१.२६३ ।
आय
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307