Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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चित्रा पथिवी
जोरकया
चित्रा पथिवी-मध्यलोक ३४४२ अ, रत्नप्रभा-
निर्देश ३ ३८६ ब, विस्तार ३ ३६० अ, वैचित्र्य ३३८६ ब, अकन ३.३८६ ब, ३४३६, ३४४१,
चित्र ३२१० अ। चित्सुखाचार्य--वेदान्त ३ ५६५ ब । चित्सुखी-वेदान्त ३५६५ ब । चिदानंद-अनुभव १८५ ब । चिद्विलास-२२६६ अ । इतिहास १३४७ ब । चिरकाल स्थायी-पर्याय ३४८ अ । चिलात-२२६६ अ, मनुष्यलोक ३२७५ ब । चिलातपुत्र-२.२६६ अ, अनुत्तरोपपदक १७० ब । चिह्न-२.२६६ अ, प्रतिमा ३७८ अ, मातग विद्याधर
१३३६ ब, विद्याधर १.३३६ अ, वृत्तिपरिसख्यान
३५८० अ, स्वप्न ४५०४ अ। चिह्न (निमित्त ज्ञान)---२६१३ अ, ऋद्धि १४४८ । चुगलखोर-३.८५ अ। चुललित-२२६६ अ। चूड़ादेवी-चक्रवर्ती ४.११ ब । च डामणि--२.२६६ अ, चक्रवर्ती ४१३ अ, ४.१५ अ,
विद्याधर नगरी ३५४५ ब, ३५४६ अ, विद्याधर वश १३३६ अ, मूल सघ १३२२ ब, इतिहास
(तुम्बूलाचार्य) १३४७ ब। चूर्ण-२.२६६ अ, आहार का दोष १.२६१ ब, निक्षेप
२.६०२ ब, भेद ३.२३७ अ। चूर्णसूत्र--कषायपाहुड २ ४१ अ। - चूर्णसूत्रवृत्ति-उच्चारणाचार्य १.३५२ अ। चणि-२२६६ अ, कर्मप्रकृति १३४१ अ, कषायपाहुड
१३४० अ, मनुष्यलोक ३.२७६ अ, शतक १३४१
अ, सप्ततिका १३४२ अ, २ परि-/१ । चर्णिका-भेद ३२३७ अ। चूर्णोपजीवन-२२६६ अ। चुला-चक्रवर्ती ४११ ब । चूलिक-सुमेरु ४ ४३७ अ । . चूलिकांग -- कालप्रमाण २ २१६ ब । अलिका-२.२६६ अ, कालप्रमाण २२१६ ब, गणित
(क्षेत्रफल विधि) २२३३ अ, श्रुतज्ञान ४.६७ ब । सुमेरु-निर्देश ३.४४८ ब, विस्तार ३४८३, ३.४८५ ३.४८६, अकन ३ ४५० ब, चित्र ३.४४६, चार चैत्यालय ३४५० ब, पाण्डुक आदि चार शिलाएँ
३.४५० ब। चलित-काल प्रमाण २२१६ अ।
चूलितांग-काल प्रमाण २.२१६अ। चूली-कर्म (पञ्चसून) २.२६ ब । चेटक-२२६६ ब । चेटो-स्त्री ४.४५० ब । चेतन-२ २६६ ब, गुण २.२४४ ब, द्रव्य २.४५५ ब,
भाव ३ २१७ ब, सापेक्ष धर्म ४.३२३ ब । चेतनपुद्गल धमाल-इतिहास १३४७ अ। चेतना-२.२६६ ब, अनुभव १.८२ अ, उपलब्धि १.४४५
अ, ज्ञान १८२ अ, जीव २.३३२ अ। चेदि-२३०० अ, मनुष्यलोक ३ २७५ ब, ३.२७६ अ। चेर---२ ३०० अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । चेलना - २३०० अ। चेला-चेली-परिग्रह ३.२५ ब । चेष्टा - २.३०० ॥ चैतन्य -- अनेका-त (सापेक्ष धर्म) ११०१ अ, जीव (प्राण)
२३३२ अ, जीवत्व २.३४० ब, मोक्षमार्ग (दर्शन)
३ ३३८ । चैतन्यप्राणरक्षा-अहिंसा १२१७ ब । चैतन्यान विधायी-उपयोग १.४२६अ। चैत्य - अवर्णवाद १२०१ अ। चैत्यगृह-२३०२ ब। चैत्यचैत्यालय-२.३०० अ। चैत्यप्रासादभूमि--२३०४ ब, समवसरण ४.३३० ब। चैत्यभक्ति-३ ७८ अ। चैत्यभूमि-२.३०३ अ। चैत्यवन्दना-३ ४६५ ब । चैत्यवासी-४७७ ब। चैत्यवक्ष-२३०३ अ, भावनलोक ३२०८ .ब, वक्ष
३५८१ अ, वैमानिक लोक ४.५२१ अ। व्यन्तर
लोक ३ ६११ अ, समवसरण ४३३४ अ। चैत्यालय-२३०२ ब, कुण्डलवर पर्वत ३४६६ अ,
३ ४६७, त्रिभुवन-चूडामणि ३४५८ अ, नन्दीश्वर द्वीप ३ ४६५, ३ ४६६ अ, पद्म आदि द्रह ३ ४५४, ३ ४२४ अ, मानुषोत्तर पर्वत ३४६३ ब, ३४६४, रुचकवर पर्व ३ ४६६, ३ ४६८, ३ ४६६, सिद्धायत
-निर्देश ३ ४७१ ब, जम्बूद्वीप मे गणना ३.४४५ ब, अकन ३ ४४४, ३ ४४७, ३४६२, ३४६४,
३४६६ । सुमेरु पर्वत पर ३.४५०,३४५१ । चैत्र-नमिनाथ २३८३ । चैत्रोद्यान-नमिनाथ २३८३ । चोरकथा-२.३ ब
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