Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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चारित्रसिद्ध
८६
चित्रा
चारित्रसिद्ध-~-अल्पबहुत्व १.१५३ ।
चित्तप्रसाद--उपयोग (शुभ) १४३३ अ, १.४३४ ब । चारित्राचरण-मिथ्यादृष्टि ३३०३ ब ।
चित्तविकार--३२१७ ब। चारित्राचार--२.२८६ ब, आचार १२४० ब, विजय चित्तवृत्ति-एकाग्रता १४६६ अ, ध्यान २४६५ अ-ब, ३ ५५० ब।
सामायिक ४ ४१५ ब । बारिताराधना-आराधना १२७१ ब,चारित्र २.२८६ अ। चित्तरक्ष-धर्मनाथ २३७८ । चारित्रार्य-१२७५ अ।
चित्प्रकाश २२६५ ब, दर्शनोपयोग २४०६ ब । चारु-कुरुवश १३३५ ब ।
चित्र-२२६५ ब, नमिनाथ ३३८४, यमकगिरि का चारु कीति-नन्दिसघ १.३२३ ब, इतिहास १३३३ ब, रक्षक देव ३ ४५३ अ, सुमेरु के वन मे कुबेर भवन१.३४७ अ।
निर्देश ३४५० अ, अका ३४५१ । चारुकृष्ण--यदुवश १३३७ ।
चित्रक-सुमेरु के वनो मे कूट - निर्देश ३.४७३ ब, चारदत्त-२२६४ ब, यदुवश १.३३७, सम्भवनाथ विस्तार ३४८३, अंकन ३ ४५१ । २३८७।
चित्रकर्म-कर्म २२६ अ, कषाय २.३५ ब, निक्षेप चारुदत्त चरित्र-२२६४ ब, इतिहास १.३४६ अ ।
२५६८ अ। चारुपम-कुरुवश १३३५ ब ।
चित्रकारपुर-२२६५ ब, मनुष्यलोक ३२७६ अ। चारुपाद-विमलनाथ २३७७ ।
चित्रकूट -२२६५ ब, यमकगिरि-निर्देश ३.४५३ अ, चाररूप-कुरुवश १३३५ ब ।
नामनिर्देश ३ ४७१ अ, विस्तार ३४८३, ३.४८५, चारुसेन- सम्भवनाथ २३८७ ।
३४८६, वर्ण ३ ४७७, अकन ३ ४४४, ३ ४५७, ४६४ चार्वाक-२.२६४ ब, एकान्त १४६५ ब, जीव २३३६ ब,
के सामने, चित्र ३४५३ अ। वक्षार पर्वत--निर्देश परवाद ३.२३ अ।
३४६० अ, नामनिर्देश ३ ४७६, विस्तार ३.४८२० बालनी-श्रोता १.४२५ ब।
३४८५, ३४८६, अकन ३.४४४, ४६४ के सामने । चालिसिय-२२६५ अ।
इस पर्वत का कूट तथा देव ३.४७२ ब। विद्याधर चालुक्य जयसिंह-२२६५ अ ।
नगरी ३ ५४५ अ। चालुक्य वंश- अरिकेसरी ११३४ अ। चित-चक्रवर्ती ४ १० अ।
चित्रगुप्त-२.२६६ अ, तीर्थकर २ ३७७ । चितवन-वासुपूज्यनाथ २३८२ ।
चित्रगुप्ता-२२६६ अ, रुचकवर पर्वत की दिक्कुमारी
निर्देश ३४७६ अ, अकन ३ ४६८ । चिता -२२६५ अ, एकाग्रता १४६६ अ, धर्मध्यान २४८२ अ, २४८४ ब, मन.पर्याय ज्ञान ३.२६२ अ,
चित्रगुप्ति-तीर्थकर २३७७ । शुक्लध्यान ४३३ अ।
चित्रगृह-भवनवासी देव-भवनो मे ३२१० ब। चितागति-२.२६५ ब, राक्षस वश १३३८ अ ।
चित्रप्रभा--सौधर्म स्वर्ग पटल-निर्देश ४५१७, विस्तार चिताजननी-चक्रवर्ती ४ १३ अ, ४१५ अ ।
४.५१७, अकन ४५१६ ब । देवायु ४२७८ । चितानिरोध-२४६५ ब।
चित्रभवन-२.२६६ अ। चितामणि - मूलसघ १.३२२ ब ।
चित्रमती-चक्रवर्ती ४११ ब । चित्तामणि यात्र-३.३५३ ।
चित्ररथ-कुरुवश १ ३३५ ब । चितारक्ष-शान्तिनाथ २.३७८ ।
चित्रलाचरण-४ १२६ ब । चिकित्सादोष-२.२६५ ब, आहार १२६१ अ, वसतिका चित्रवती-२.२६६ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ ब । ३.५२६ ब।
चित्रवसु-हरिवश १.३४० अ। चितिकर्म-२२६५ ब।
चित्रवाहन-कुलकर ४.२५ अ । चितकर्म-२२६५ ब, कर्म २.२६ ब, कृतिकर्म २.१३३ ब। चित्रविचित्र-कुरुवश १३३५ ब । वित्त -२ २६५ ब, अध्यवसान १५२ अ, परद्रव्य ३ १२ । चित्रांगदा-२२६६ अ। चित्तनिरोध-उपयोग (शद्ध) १.४३१ अ, एकाग्रता चित्रा-२२६६ अ, त्वष्टानक्षत्र २५०४ ब, पद्मप्रभ
१४६६ अ, ध्यान २.४६५ अ-ब, सामायिक २३८०, रुचकवर पर्वत की देवी--निर्देश ३.४७६ ४.४१५ब।
ब, अकन ३.४६६।
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