Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 74
________________ कृतसूर्य कुलयंत्र ६८ कुलयंत्र-३ ३५१। कुसुमवती-३.२७५ ब, ३.२७६ अ। कुलविद्या-३ ५४४ अ । कुहा-२ १३१ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । कुलसुत-२.१३० ब, तीर्थकर २३७७ । कूट-२.१३१ अ-ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ब । कलाचल-पर्वत-निर्देश ३४४६ ब, ३.४६२ब,३४६३ फट--कुण्डलवर पर्वत-निर्देश ३.४७५ ब. विस्तार ब, गणना ३४४५ अ, विस्तार ३.४८२, ३४८६, ३४८७ अकन ३.४६७ । कूलाचल पर्वत-निर्देश अकन ३ ४४४, ३.४६४ के सामने, वर्ण ३ ४७७ । ३.४७२ अ, विस्तार ३.४८३, ३.४८५, ३४८६, कुलावधि--३ १६६ अ। अकन ३ ४४४ । गंगा कुण्ड आदि-निर्देश ३.४५५ अ, विस्तार ३.४८४, ३४८५, ३.४८६, अंकन २ ४५७ । कलिंग-मूढता ३.३१५ ब, विजय ३५५३ अ । गजदन्त पर्वत-निर्देश ३.४७२ ब, विस्तार ३४८३, कुलोत्तुग चोल-२१३० ब। ३.४८५, ३.४८६, अकन ३.४४४, ३.४४७ । जम्बू कुवलयमाला-२.१३० ब, उद्योतन सूरि १.४१४ ब । शाल्मली वृक्षस्थल-निर्देश ३.४५८ ब, अकन कुविचार-अशुभोपयोग १ ४३३ ब । ३.४५६ । पद्मादि ह्रद–निर्देश ३.४७४ अ, विस्तार कुश-२१३० ब, मनुष्यलोक ३ २७५ ब । ३.४८३, अकन ३ ४५४ । मानुषोत्तर पर्वत-निर्देश कुशद्यदेश- मनुष्यलोक ३ २७५ ब । ३ ४७५ अ, विस्तार ३.४८६, अकन ३ ४६४ । कुशपुर-२ १३० ब। रुचकवर पर्वत-निर्देश ३४७६ अ-ब, विस्तार कुशलमूला निर्जरा--१७५ ब, २६२२ ब । ३.४८७, अकन ३.४६८-४-६६ । विजयार्धकशवर द्वीप सागर-नामनिर्देश ३ ४७० अ, विस्तार निर्देश ३.४७१ ब, विस्तार ३.४८३, अंकन ३.४४४ । ३.४७८, जल का रस ३ ४७० अ, अधिपति देव सुमेरु पर्वत के वन-निर्देश ३४७३ ब, विस्तार ३. ६१४, ज्योतिषचक्र २३४८ ब, अकन ३ ४४३ । ३ ४८३, अकन ३.४५१ । कशसेन-४१० ब। कूट मातंगपुर-~२१३१ ब, विद्याधर नगरी ३.५४५ ब । कुशाग्रपुर-मनुष्यलोक ३२७५ अ, मुनिसुव्रतनाथ कूटलेख क्रिया-२.१७४ ब । २ ३७६, बलदेव ४१८ अ। कूटस्थ अलीक-४.२७३ ब । कशान वश-२.१३० ब, इतिहास १३१० ब, १३१४। कटाचल-मनुष्यलोक ३ २७५ ब । कशास्त्र-विनय ३.५५३ ब, सम्यग्ज्ञान २ २६५ ब । कूर्च-~-चैत्य-चैत्यालय २ ३०२ अ। कुशील-हिंसा ४.५३२ ब । कूर्म-इन्द्रिय प्रत्याहार ३.१३४ अ, मुनिसुव्रतनाथ कशीलसगति--२१३१ अ, सगति ४११६ अ-ब । २.३७६। कुशील साधु-२१३१ अ, श्रुतकेवली ४५५ ब, सगति कर्मचक्र यंत्र-३.३५१ । ४११६ अ-ब, साधु ४८०८ अ-ब । कर्मोन्नत योनि-३.३८७ अ। कुश्रुतज्ञान-प्ररूपणा-वध ३१०५, बधस्थान ३.११३, कूष्माण्डी देवी----नेमिनाथ २३७६ । उदय १३८३, उदयस्थान १३६३, उदीरणा कृत-२.१३१ ब। १४११ अ, सत्त्व ४२८३, सत्त्वस्थान ४ ३००, कृतक-२.१३१ ब । ४३०५, त्रिसयोगी भग १.४०७ अ। सत् ४२३३, कृतकृत्य--२.१३१ ब, पुरुषार्थ ३७० ब, मिथ्यादष्टि सख्या ४१०६, क्षेत्र २ २०४, स्पर्शन ४४८८, काल ३ ३०५ ब । २११३, अन्तर ११५, भाव ३२२१ अ, अल्पबहुत्व कृतकत्य छद्मस्थ-२.३०५ ब। १.१५०। कृतकृत्यवेदक-जन्म २ १३४ ब, दर्शनमोह क्षपण कश्रति-अशुभोपयोग १.४३३ ब। २.१७६ अ, मरण ३२८३ ब, सम्यग्दर्शन ४३७० कुष्मांड --२१३१ अ, पिशाच जातीय व्यन्तर देव- ब, ४.३७२ अ। निर्देश ३ ५८ ब, आयु १२६४ ब । कृतनाश हेत्वाभास--२.१३१ ब । कुष्मांड गणमाता-विद्या ३.५४४ अ। कृतमाल-२.१३१ ब, विजयाध का देव ३.४७१ ब। कुसंगति-अशुभोपयोग १.४३३ ब,४११८ ब। कृतमाला -२.१३१ ब, मनुष्यलोक ३.२७५ ब। कुसंसर्ग-संगति ४११८ ब । कतवर्मा-विमलनाथ २.३८०। कुसुम--२.१३१ अ। कृतसूय-सर्वायुध तीर्थकर २३७७ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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