Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 83
________________ ७७ गति नामकर्म प्रकृति गधारी गधारी-कुरुवश १.३३६ अ। गण-२.२१२ अ, सघ ४ १२४ अ। गंधिला-२२११ ब । विदेहस्थ देश-निर्देश ३ ४६० अ, गणग्रहणक्रिया-संस्कार ४१५२ ब । नामनिर्देश ३४७० ब, विस्तार ३४८६, ३४८०, गणधर-२२१२ अ, अग्निकुण्ड १३५ ब, इन्द्रभूति ३.४८१, अकन ३४४४, चित्र ३४६० अ। वक्षार- १.२६६ ब, तीर्थकर सघ २३८६, मोक्ष ३ ३२८ ब। गिरि का कूट तथा देवी-निर्देश ३ ४७२ ब, विस्तार गणधरकीति-इतिहास १३३१ ब । ३४८२, ३ ४८५, अकन ३.४४४ । गणधरवलययंत्र-३३५२ । गंधोदक वृष्टि-अर्हन्तातिशय ११३७ ब । गणना-२२१३ अ, प्रमाण ३.१४४ ब-१४५ अ । गंभीर-२२११ ब, चंत्य-चैत्यालय ३२६३ अ, यदुवंश । गणनानत-२.२१३ अ, अनन्त १५५ ब । १३३७ । गणना प्रमाण-३ १४४ ब-१४५ अ,२२१४ ब । गंभीर मालिनी-२२११ व, विभगा नदी-निर्देश गणना संख्यात-असख्यात १२०६ अ । ३.४६० अ, नामनिर्देश ३ ४७४ ब, विस्तार ३.४८६ गणपोषण काल-२८० ब। ४६०, अकन ३ ४४४, ३४६४ के सामने । गणिका-व्यन्तरेन्द्र-निर्देश ३६११ ब, भवन-विस्तार गंभीरा-२२११ ब, मनुष्यलोक ३ २७५ ब। ३६१५ । स्वर्गेन्द्र-निर्देश ४ ५१४ अ । गंभीरावर्त-चक्रवर्ती ४१५ ब । गणित--२२१३ अ । गगनखंड-ज्योतिषचक्र २३५० । गणितज्ञ..२ २३४ अ। गगनचरी-२२११ न, विद्याधर नगरी ३५४५ अ । गणितशास्त्र-२.२३४ अ । गगननंदन-२.२११ ब, विद्याधर नगरी ३.५४५ ब। गणितसारसग्रह-२.२३४ अ, इतिहास १३२६ ब, गगनमंडल-२२११ ब, विद्यार नगरी ३ ५४५ ब । १३३० अ, १ ३४२ अ। गगनवल्लभ-२२११ ब, विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब। गणी-२ २३४ अ. गगनानंद-वानरवश १३३८ ब । गणोपग्रहण क्रिया-सस्कार ४१५१ ब । गच्छ-२ २११ ब, गणित २२२६ ब, २ २३० अ, जैना गतभ्रम - राक्षसवश १३३८ अ । भासी सघ १३१६ अ, श्वेताम्बर ४ ७७ ब । गति---२ २२४ अ, काल द्रव्य २८४ ब, धर्म द्रव्य २.४८८ गच्छपद-२.२११ ब ।। ब, २४६०, परिस्पन्दन ३.३७६ अ । गच्छ प्रतिबद्ध-सल्लेखना १४६ अ। गति-अगति (सामान्य)-तिर्यच-कर्मभूमि भोगभूमि गच्छ विनिर्गति-सल्लेखना १४६ अ। २३१६, पर्याप्तापर्याप्त २३२०, पृथिवी आदि पच गज--२२११ ब, एकान्त १.४६३ ब, क्षेत्रप्रमाण २२१५ स्थावर विकलत्रय २३२०, सज्ञी असज्ञी २३१६, ब, चक्रवर्ती ४१३ अ, तीर्थकर अजितनाथ २.३७६, सरीसृप व पक्षी २.३१६, देवगति व नरकगतिसौधर्मेन्द्र व ईशानेन्द्र यान ४५११ ब । स्वर्ग पटल २३२० । मनुष्यगति-कर्मभूमि भोगभूमि २.३१६, ---निर्देश ४ ५१७, विस्तार ४ ५१७, अकन ४५१६ दश व चतुर्दश पूर्वी २३१६, साधु परिव्राजक व व, देव की आयु १२६७ । तापस २.३१६, स्त्री पुरुष २ ३१६ । षट्लेश्या व गजकुमार-२२११ ब । षट् सस्थान २ ३२१ । गजदंत-२२११ब, गजदन्त पवत-निदश ३४५६ ब, गति-अगति (गण प्राप्ति)---तिर्यचगति कर्मभमिज भोगनामनिर्देश ३४७१ ब, गणना ३४४५ अ, विस्तार भूमिज २३२२, देवगनि २३२२, नरकगति ३४८२, ४८५-४८६, वर्ण ३४७७, अकन ३४४४, २ ३२२, मनुष्यगति २.३२२ । पचज्ञान-प्राप्ति ४५७, ४६४ के सामने, चित्र ३४५२ ब । २३२२, तीर्थकरत्व मोक्ष व शलाकापुरुषत्व २३२२, गजपुर -२ २११ ब, मनुष्यलोक ३ २७६ अ। सयम-सयमासयम व सम्यक्त्व २३२२ । गजवती-२२११ व, मनुष्यलोक ३ २७५ ब, ३.२७६ अ। गति-अगति (गणस्थानप्राप्ति)- चतुर्गति सामान्य २३१८, गजवाहन - कुरुवश १.३३६ अ। मिथ्यादष्टि से प्रमत्तसयत २३१८-३२० । गजस्नान-सम्यग्दष्टि ४.३७७ ब । गति-अगति लिका--जन्म २३१८ ब । गजाधर लाल-२.२११ व, इतिहास १३३४ न । गति द्विक-३६६ ब। गड्डी-२.२१२ अ। गति नामकर्म प्रकृति-२.२३६ ब, आयुकर्म १.२५४ अ, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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