Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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कांचनपुर
६१
३४७० अ, ज्योतिषचक २३४८ ब अधिपति देव
३.६१४ ।
मनुष्यलोक ३२७६ म
कांचनपुर २४१ व कांचना ( कानना)
- चरुवर पर्वत की दिक्कुमारी -- निर्देण ३४७६अ, अकन ३४६८, ३४६९ । कांचीपुर – २४१ ब ।
कांजी आहार - २.४१ ब, भक्ष्याभक्ष्य ३ २०३ ब, सल्लेखना ४ ३६३ ब ।
कांजी बारस व्रत - २.४१ ब । कांजीर- अनुभाग ११० ब । कांटा कायक्लेश २ ४७ ब ।
कांडक - २४१ ब, अपकर्षण
१.११७ अ
१.२४८ ब द्रव्य २४१ व सक्रमण ४ ८४ अ ।
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कांडक आयाम - २४१ ब । कांडक घात— अनिवृत्तिकरण
२१३ व, अपकर्षण १११६ व अपवर्तन १. ११७ व अपसरण १११७ म अल्पबहुत्व ११७६, बन्धापसरण १.११७ अ ।
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कांडक द्रव्य - २४१ ब ।
कांडक सक्रमण – सक्रमण ४ ८४ अ ।
कांडकोरकरण काल - २४२ अ ।
कतिमालाकुलकर ४२३ । कांपिल्य - विमलनाथ २३७६ । कांबोज २४२ अ मनुष्यलोक ३.२७५ अ-ब । काकंदी-सुविधिनाथ २.३७१ ।
काक - आहारान्तराय १.२६ अ ।
काकतालीय न्याय- २.४२ अ नियति २६१५ ब । काकवर्ण-मगधदेश १.३१२ ।
काकादिपिडहरण आहारान्तराय १.२९ अ । काकावलोकन - २.४२ अ म्युत्सर्ग ३६२१ व । काकिणी - २४२ अ चक्रवर्ती का रत्न ४१३ अ,
·
भाबाधा
-
४ १५ ब ।
काकुस्य चारित्र २.४२ अ ।
काक्षी - २४२ अ, मनुष्यलोक ३.२७५ अ ।
काणभिक्षु - इतिहास १.३२६ ब ।
काणोविद्ध-२४२ अ एकान्त मती १.४६५ अ किया
वादी २ १७५ ब ।
-
कान्ह - २४२ अ ।
कातन्त्ररूपमाला - इतिहास १३४४ ब ।
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कानना- २४२ अ, रुचक पर्वत की दिक्कुमारी निर्देश २.४७६ अ अकन ३४६६ ।
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कान्यकुब्ज – २४२ ब ।
कापिष्ठ— यदुवंश १३३७ । स्वर्ग - २४२, निर्देश ४५१४ न पटल इन्द्रक व श्रेणीबद्ध ४५१८-५२०, उत्तर विभाग ४.५२१ अ, अवस्थान ४५१४ ब अंकन ४५१५ । इन्द्र –निर्देश ४५१० व उत्तरेन्द्र ४५११ अ परिवार ४.५१२-५१३, अवस्थान ४५२० ब चिह्न आदि ४५११ व विमान नगर व भवन ४५२०-५२१ ।
कापिष्ठ (देव) - अवगाहना ११५० ब अवधिज्ञान १.१९८ व आयु १२६७, आयुबन्ध के योग्य परि नाम १२५८ ब । प्ररूपणा -बन्ध ३१०२, बन्ध स्थान ३११३, उदय १३७८, उदयस्थान १.३१२ ब उदीरणा १.४११ अ सत्व ४२८२, सत्त्वस्थान ४.२८, ४३०५, जिसयोगी भग १.४०६ ब । सत् ४१६२, सख्या ४६८, क्षेत्र २.२००, स्पर्शन ४.४८१, काल २.१०४, अन्तर ११०, भाव ३.२२० व अल्पबहुत्व १.१४५ ।
कापोत लेश्या - २४२ ब लेश्या ३४२३ अ, आयुबन्ध
१.२५६ अ । प्ररूपणा बन्ध ३.१०७, बन्धस्थान ३ ११३, उदय १३८४, उदयस्थान १.३६३ ब, उदीरणा १.४११ अ सत्त्व ४२६४, सत्त्वस्थान ४.३०१, ४.३०६, त्रिसयोगी भग १४०७ व सत् ४२४४ संख्या ४१०७, क्षेत्र २२०५ स्पर्शन ४.४१०, काल २११५ अंतर ११८, भाव ३२२१ ब अल्पबहुत्व ११५१ ।
काम --- २४२ व इन्द्रिय १३०६ अ ध्यान २४६६ अ,
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पुरुषार्थ ३.७० अ, भोग ३.२३८ अ. विवाह ३५६५ ब शलाकापुरुष ४.२६ अ, हिंसा ४५३३ ब ।
कामकथा - २.३ ब ।
कामचर — लौकान्तिक ३.४९३ व । कामचांडाली कल्प - [इतिहास] १ ३४३ ब । कामतंत्र - विनय ३.५४६ व
कामरूप
कामतस्व ---- २४२ ब, काम २.४२ ब ।
कामद-शलाका पुरुष ४२६ अ ।
कामदेव - गणधर २२१३ अ प्रतिमा २३०३ ब नारद
४.२२ ब ।
कामना दे० अभिलाषा, इच्छा, आकांक्षा, राग । कामपुरखार्थकथा २.३ व पुरुषार्थ ३.७० अ । कामपुष्प - २.४३ अ विद्याधर नगरी ३.५४५ अ । कामराज --- २.४३ अ ।
कामरूप – मनुष्यलोक ३.२७५ ब ।
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