Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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औदारिक चतुष्क
कदबीज
१४१२, सत्त्व ४२८३, सत्त्वस्थान ४२६६,४३०५, उदयस्थान १३६३ ब, उदीरणा १.४११ अ, सत्त्व त्रिसयोगी भंग १४०७ अ। सत् ४२१७, सख्या ४.२८४, सत्त्वस्थान ४३०२,४३०६, विसयोगी भग ४१०३, क्षेत्र २२०२, स्पर्शन ४४८५, काल २१०८, १४०८ अ। सत् ४ २५८, सख्या ४१०६, क्षेत्र अंतर ११३, भाव ३२२० ब, अल्पबहुत्व ११४८ ।
२१०६, स्पर्शन ४४६२, काल २११८, अन्तर औदारिक चतुष्क-१३७४ ब ।
१२० भाव ३२२२ अ, अल्पबहुत्व ११५२ । औदारिक द्विक- उदय १३७४ ब, १३७५ ब ।
औपश्लेषिक आधार--१२४६ अ । औदारिक-मिश्र-काययोग-१४७२ अ, काययोग २४६ ब, औलक्य-वैशेषिक आचार्य ३६०७ ब।
अवस्थान काल २६६ ब। प्ररूपणा-दे० औदारिक औषध - विदेहस्थ नगरी-निर्देश ३४६० अ, नाम काययोग।
३ ४७० ब, विस्तार ३४७६-४८०-४८१, अकन औदारिक शरीर-१४७१ अ अवगाहना का अल्पबहुत्व
३४४४, ३४६४ के सामने, चित्र ३४६० अ । ११५८, प्रदेशों का अल्पवहुत्व ११५७ ।
औषधवाहिनी--१४७३ ब, विभगा नदी-निर्देश औदारिक शरीर अंगोपांग- अगोपांग ११ ब ।
३ ४६० अ, नाम ३ ४७४ ब, विस्तार ३४८६-४६०, औदारिक शरीर अगोपांग नामकर्म प्रकृति-प्ररूपणा---- अंकन ३ ४४४, ३४६४ के सामने । दे० आगे औदारिक शरीर नाम कर्म प्रकृति ।
औषधि-१४७३ अ, आहार १२६३ अ, उदम्बर फल औदारिक शरीर नामकर्म प्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३८८,
१३६३ ब, ऋद्धि १४७३ ब, १४४७, १४५५ अ, २५८३ अ, स्थिति ४.४६३, अनुभाग १६५,
दान २ ४२३ अ, २ ४२५ अ-ब, भक्ष्याभश्य ३.२०१अ, प्रदेश ३१३६ । बन्ध ३६६-३६७, बन्धस्थान
___मधु ३ २६० अ, मंत्र ३ २४५ ब, बचन ३४०३ अ। ३११०, उदय १३७५, उदय की विशेषता १३७३ ब,
औषधि-विद्याधर वंश १३३६ अ। उदयस्थान १३६०, उदीरणा १४११ अ, उदीरणा
औषधि कल्प-१४७३ ब, इन्द्रनन्दि १२६६ ब । स्थान १४१२, सत्त्व ४२७८. सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिसयोगी भग १४०४। सक्रमण ४८५ अ । अल्प
औस्तुभास - १४७३ ब । बहुत्व १.१६६ अ। औदारिक शरीर-बंध-औदारिक औदारिक, औदारिक
कार्मण, औदारिक तेजस, औदारिक तैजस कार्मण
३१७० ब । औदारिक वैक्रियिक ३६०३ अ। औदारिक शरीर वर्गणा-वर्गणा ३५१४ अ। औदार्य चितामणि-१४७२ ब, इतिहास १३४६ अ । औदि व्यावाहन--पूरन कश्यप ३.८२ अ। औद्देशिक-१४७३ अ, आहार १२८७ ब, उद्दिष्ट १४१३ अ।
ककेलि-मल्लिनाथ २३८४।। औद्र-१४७३ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ ब ।
कंचन--२१ अ, सौधर्म स्वर्ग का पटल-निर्देश ४५१६, औपदेशिक-१४७३ अ, उद्दिष्ट १४१३ अ।
विस्तार ४५१६, अंकन ४५१६ ब, देत आयु औपपादिक-१.४७३ अ, जन्म २३१२ ब ।
१२६६ । औपमन्यु-१४७३ अ, विनयवादी १४६५ अ वैनयिक कंचनकामिनी-सम्यग्दृष्टि ४ ३७६ अ। ३६०५ अ।
कंचनप्रभा-व्यन्तरेन्द्र-वल्लभिका ३६११ ब। औपशमिक चारित्र-- उपशम १४३६ अ, चारिय कंजा - २.१ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ ब । २२८५ब।
कंजिक व्रत-२१ अ। औपशमिक भाव-१४७३ अ, अपूर्वकरण ११२५ ब, कटकर्ह तप-२१ अ, मनष्यलोक ३२७५ ब ।
उपशम १४४२ अ, क्षयोपशम २१८४ अ, पौगलिक कंठस्थ कमल-पदस्थ ध्यान ३ ६ ब । ३३१८ ब, सन्निपातिक भाव ४ ३१२ ब ।
कंडक-२१ अ, औदारिक शरीर १४७२ अ । औपशमिक सम्यक्त्व-सम्यग्दर्शन ४३६६ ब । प्ररूपणा~ कंडरा-२.१ अ, औदारिक शरीर १४७२ अ ।
बन्ध ३१०८, बन्धस्थान ३११३, उदय १३८५, कदक-२.१ अ ।
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