Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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अर्धपर्यकासन
२४
अवती
अर्धपर्यकासन-कायक्लेश २.४७ ब । अर्धफालक सघ--४७७ अ,१परिशिष्ट २२। अर्धमडलीक ३४०१ अ, राजा ३४०० ब, ३.४०१ । अर्धस्वर्गोत्कृष्ट-राक्षस वश १.३३८ अ । अर्धानशन -१६५ अ। अपित-१.१३६ ब। अर्थमा--उत्तराफाल्गुन २.५०४ ब। अर्वाचीन पुरुष-आगम १२३६ ब । अर्हत -११३६ ब, अवर्णवाद १२०१ अ, आप्त (१८
दोष रहित) १२४८ अ, ओम् १४६६ ब, केवलज्ञान २१५२ ब, गुरु २२५१ ब, ध्येय २५०१ अ, नमस्कार मत्र ३२४८ अ, निषद्यका (व्युत्सर्ग तप) ३६२१ अ, पिडस्थ ध्यान ३५७ ब, भक्ति ३१३८ ब, ३ १९८ ब, मोक्ष (बिद्ध) ३३२४ अ, बिहार
३५७५ अ, सामायिक ४४१७ ब। अह-११३८ ब, सल्लेखना ४३६० ब । अर्हत-अर्हत ११३६ ब, चैत्य-चैत्यालय २.३०१ अ। अर्हत्पासा केवली-११३८ ब, इतिहास १३४८ अ। अर्हत्प्रवचन-इतिहास १.३४२ ब । अर्हत्सेन-११३८ ब, सेनसघ १३२६ अ, इतिहास
१३२८ ब, १.३२६ ॥ अर्हदत्त-११३८ ब, मूलसघ (श्रुतकेवली) १३१७,
१परि०-२६, इतिहास १.३२८ ब । अर्हदत्त (सेठ)-१.१३८ ब । अर्हद्दास (कवि)-इतिहास १ ३३२ ब, १.३४५ अ। अहदली-१.१३८ ब, मूलसंघ १३१७, १.३२२ ब,
१ परि०-२८, नदिसघ १ परि०-४.२, पुनाट सध
१३२६ ब, इतिहास १३२८ ब । अर्हद्भक्ति-१,१३८ ब, ३ १९८ ब । अहंन्मंडलयंत्र-यंत्र ३ ३४६ । अलकारचितामणि -- इतिहास १.३४५ । अलंकारोदय-११३८ ब । अलंबुष-यदुवंश १.३३७ । अलंबसा-वैमानिक गणिका ४५१४ अ। अलंबू-वैमानिक महत्तरिका ४.५१३ ब । अलभषा-१.१३८ ब । रुचकवर पर्वत की दिक्कुमारी
निर्देश ३.४७६ अ, अकन ३ ४६८-४६६ । अलक-११३८ ब, ग्रह २२७४ अ। अलका-११३८ ब, प्रतिनारायण ४.२० ब, विद्याधर
नगरी ३५४५ब। अलकापुरी-सजात २.३६२ । अलाभ--१.१३६ अ, परीषह १.१३६ अ, ३.३३ ब, ३.३४
ब, लाभ ३.४१६ अ। अलीक वचन - असत्य १.२०८ ब । अलेवड-११३६ अ। अलेश्या-३४२३ ब। अलोक -११३६ अ, आकाश १२२० ब, विभाग २.४८८
ब, २४६० अ, हानि २४६० अ, वर्तना २.८५ ब, अलकाकाश-१.२३६ अ, आकाश १२२० ब, विभाग
२४८८ ब, २.४६० अ, वर्तना २८५ब, अल्पबहुत्व
११४३ अ । हानि २.४६० अ। अलौकिक-११३६ अ, लोकोत्तर ३४६२ ब। गणना
११३६ अ, ३ १४४ ब, सुख ४.४३१ अ, शुचि
१.१३६ अ, ४.४३८ । अल्पकालिक प्रत्याख्यान-३.१३३ अ । अल्पतर बंध:-१.१३६ अ, प्रकृतिबध३८६अ। अल्प-पूर्ण उपचार -१.४२० ब । अल्पबहुत्व-११३६ अ, अनुयोगद्वार १.१०२ अ,
प्ररूपणाये-जीवसामान्य ओध १.१४३, आदेश १.१४४-१५४, सिद्ध या मुक्तजीव १.१५३, पंच शरीरो के स्वामी ११५७ ब-१६० अ । स्थिति बध स्थान सामान्य १.१६४ ब, स्थिति सत्त्वस्थान मोहनीय ११६५, अनुभाग सत्त्वस्थान सामान्य १.१६६-१७०, प्रदेशबध सामान्य १.१७१-१७३, उदीरण व उदीरणास्थान ओघ १.४१२, आयु का अपकर्ष काल १.१७३-१७४, अष्टकर्म निर्जरा १,१७४ । अवगाहना १.१५४, ११५७, योगस्थान १.१६१ ब१-६४, विशुद्धि व संक्लेशस्थान १.१६० अ, ज्ञान व चारित्र के भेदो का अवस्थान काल ११६० ब । २३ वर्गणाएँ १.१५५, पंचशरीर वर्गणा ११५६ ब। स्वामित्व सन्निकर्ष---बंध ११८२, ४४७०,४.५२८, बंधस्थान ४५२७, उदय आदि
११७५ । अध प्रवृत्तकरण २.१० अ। अल्पद्धि देव-आयु के बध योग्यपरिणाम १.२५८ अ, ब । अल्पविद्या-३५४४ अ । अल्पसावध-१.१७६ अ, सावध ४४२१ अ। अल्पसावध कार्य-निर्देश ४.४२१ब, लक्षण ४.४२१ अ,
आर्य १.२७५ अ। अल्पावधिक-३१३३ अ। अल्लीवण बंध-३.१७०ब। अल्हू-(कवि) इतिहास १ ३३३ अ। अवंतिकामा-११७६ अ, मनुष्यलोक ३ २७५ ब । अवंतिवर्मा-११७६ ब। अवंती-११७६ ब, मनुष्यलोक ३२७५ ब, मागध वंग
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