Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 51
________________ उत्पलगुल्मा उदयकाल उत्पलगत्मा-सौमनस तथा नन्दन वन की पुष्करिणी- उत्साह- १.३६३ अ, तीर्थकर २३७७ ! निर्देश ३.४५३ ब, विस्तार ३४६०-४६१, नाम उत्सेध-१३६३ अ। ३४७३ ब अकम ३४५१, चित्र ३४५१ । उत्सेधांगुल-१३६३ अ, उपमा प्रमाण २२१८ अ, क्षेत्र उत्पला-१३५६ ब, व्यन्तर बल्लभिका ३६११ ब, सुमेरु का प्रमाण २२१५ ब । पुष्करिणी-निर्देश ३ ४५३ ब, नाम ३४७३ ब, उदंडचर्या - १,४५ अ, अतिथि १४४ ब । विस्तार ३४६०,३४६१, अक ३४५१, चित्र उदंबरफल -१३६३ अ, भक्ष्याभक्ष्य ३ २०३ ब, श्रावक ४४६६। ३ ४५१ । उत्पलांग-कालप्रमाण २२१६अ। उदक-१ १३६३ अ, तीर्थकर २३७७ । उत्पलोज्ज्वला-१३५६ ब, सुमेरू पुष्करिणी-निर्देश उदक-१३६३ ब, राक्षस जातीय व्यन्तर देव ३ ३६३ ब, लवणसागर का पर्वत-निर्देश ३४६२ अ, नाम निर्देश ३४५३ ब, नाम ३.४७३ ब, विस्तार ३४६०-४६१, ३४७४ ब, विस्तार ३४७६, अकन ३४६१, वर्ण अकन ३४५१, चित्र ३.४५१ । ३४७८, इस पर्वत का देव ३ ४७४ ब । उत्पात-१३५६ ब, ग्रह २.२७४ अ, छेदना २३०६ ब, उदकवर्ण-१३६३ ब, ग्रह २ २७४ अ। २३०७ अ। उदकावास-१३६३ ब, लवणसागर का पर्वत-निर्देश उत्पातिनी--१३५६ ब, विद्या ३.५४४ अ । ३ ४६२ अ, नामनिर्देश ३४७४ ब, विस्तार ३४७६, उत्पाद-१.३५७ अ, गुण २.२४२ अ, द्रव्य २४५३ ब, अकन ३४६१, वर्ण ३४७८ । इस पर्वत का देव निर्हेतुक २५५१ अ, सयमलब्धिस्थान ३.४१४ अ, ३ ४७४ ब। स्व-पर-निमित्तक १.२२१ ब, पूर्व ४६८ ब। उदधि-यदुवश १३३७ । उत्पाद अनुच्छेद–१३६१ अ। उदधिकुमार-१३६३ ब, भावन देव-निर्देश ३ २०८ अ, उत्पादक- कर्ता-कर्म २.२१ अ, कारण-कार्य २५६ ब । अवस्थान २ २०६ ब, ३६१२-६१४, ३४७१, भवनो उत्पादन (दोष)-१३५६ ब, आहार १२८६ ब, वसतिका की सख्या ३ २१० ब, अवगाहना ११८०, अवधिज्ञान ३५२६ अ। ११६८ब, आयु १२६५ । इंद्र - निर्देश ३२०८ ब, उत्पाद-पूर्व-१३५६ ब, श्रुतज्ञान ४६८ ब । शक्तिचिह्न आदि ३ २०८ ब, अवस्थान २२०६ब । उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य-१३५६ ब, अस्तित्व १२१२ ब, भिRTUREबन्ध ३१.२.बन्ध स्थान ३११३. द्रव्य २४५३ ब। उदय १३७८, उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा उत्पाद-व्यय-सापेक्ष अशुद्ध-द्रव्याथिक नय-२५४५ अ। १४११ अ, सत्त्व ४२८२, सत्त्व स्थान, ४२६८, उत्पादानुच्छेद-१३६१ अ, व्युच्छित्ति ३६१८ ब। त्रिसयोगी भग १४०६ ब । सत ४१८८, सख्या उत्पीलक-अवपीडक १२०० अ । ४.६७, क्षेत्र २१६६, स्पर्शन ४४८१, काल २१०४, उत्प्रेक्षा-१३६३ अ । अन्तर ११०, भाव २२३१ ब, अल्पबहुत्व ११४५ । उत्संज्ञासंज्ञ-१३६३ अ । उदधिरक्ष-राक्षसवश १३३८ अ । उत्सरण-१३६३ अ, उत्कर्षण १३५३ ब । उबय १३६३ ब, आयुकर्म १२६२ ब, ईर्यापथ कर्म उत्सर्ग-१३६३ अ, अपवाद ११२२ अ, उपयोग १३५० अ, उदीरणा १४०६ ब, १४१० अ, दशकरण १४३१ अ, कृतिकर्म २-१३७ अ, तप (व्युत्सर्ग) २६ अ, गुणस्थान २६ अ, निमित्त १३६७, (जीव) ३६१६, समिति ४३४१ ब । परिणाम २.६७ ब, २७२ अ, २७४ अ, यत्नायत्न उत्सर्गपद्धति-पद्धति ३६ ब। २.६७ अ, सक्रमण ४८६ ब। प्ररूपणा-उदय उत्सर्गमार्ग-अपवाद मार्ग ११२०-१२३ । १३७५, १३८६, उदय-व्युच्छित्ति १ ३७५-३८६, उत्सर्गलिंग -लिग ३ ४१७ अ । उदय-व्युच्छित्ति प्रत्यय ३१२७ ब, उदयस्थान उत्सर्पिणी–१ ३६३ अ, अवगाहना १.१८०, आयु १ २६४, १३८७ ब, त्रिसयोगी भग १४००-४०८। स्थिति आर्यखण्ड १.२७५ अ, काल २८८, काल परिवर्तन १.३८६, अनुभाग १३८६, प्रदेश १३८६। काल २६०, काल का प्रमाण २२१७ ब, क्षेत्र २.६२, वृद्धि २१२२, अन्तर १२३, अल्पबहुत्व १.१७५-१७६ । हानि २.६१, सुख ४३३१ ब, सिद्धो का अल्पबहत्व उदयकाल-उदयस्थान १३६७, कषाय २.३८, काल १.१५३ ब। २.१भा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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