Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 49
________________ उत्तम उन-अभिनंदन नाथ २३८३, पार्श्वनाथ २३८० । पर्याप्तिकाल १३९३-३६७ । उग्रतप-१३५२ अ, ऋद्धि १४४७, १४५३ ब । उज्ज्वलित-१३५३ अ, नरकपटल-निर्देश २ ५७६ अ, उप्रवंश-१३५२ अ, भोजवंश १३३६ ब, विद्याधर विस्तार २५८० अ, अकन ३४४१, अवगाहना दश १३३८ ब। ११७८, आयु १२६३ । उग्रश्री-राक्षसवश १३३८ अ । उज्जिति-१३५३ अ । नरक पटल-निर्देश २ ५७६ ब, उग्रसेन---१३५२ अ, नेमिनाथ २३६१, यदुवश १३३६, विस्तार २ ५७६ ब, अकन ३ ४४१ । हरिवश १३४० अ। उज्जनी-इतिहास १३१० अ, मगधदेश १३१० ब, मूल उग्रादित्य--१ ३५२ अ, इतिहास १ ३३० अ, १.३४२ अ । राघ १ परि०/२१-३, श्वेताम्बर संघ ४७७ ब । अग्रोग्रतप- -वृद्धि १४४७, १४५३ ब । उज्झनशुद्धि- १३५३ अ, शुद्धि ४४० ब । उच्च --मोक्ष ३ ३२६ अ, मार्दव ३२६८ ब । उडण्डदशमो व्रत--१३५३ अ । उच्चकुल-१३५२ अ, वर्ण-व्यवस्था ३.५२० ब । उडुपालन--विद्याधर वश १ ३३६ अ। उच्चगोत्र---१ ३५२ अ, वर्ण-व्यवस्था ३ ५२० ब, उत्कट.. राक्षस वश १३३८ अ । ३.१२२ ब। उत्कर-भेद ३ २३७ अ । उच्चगोत्र कर्मप्रकृति-प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, ३ ५२०, उत्करण काल-काण्डक २४२ अ। स्थिति ४४६७, अनुभाग १६५, प्रदेश ३१३७। उत्करिकासन तप --कायक्लेश २४७ब। बंध ३६७, बंधस्थान ३११०, उदय १३७५. उत्कर्षण-१३५३ अ, अतरकरण १२६ अ-ब, आयु उदय की विशेषता १.३७३ ब, उदयस्थान १.३८७, १२६० ब, गुणस्थान २ ६ अ, दशकरण २६ । उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व उत्कषण (दोष)-आहार १२६० ब, उद्दिष्ट १.४१३ अ। ४.२७८, सत्त्वस्थान ४.२६४, त्रिसयोगी भग १३६६, उत्कर्षणप्राभूत (दोष)- आहार १२६० ब । सक्रमण ४.८५ अ, अल्पबहुत्व ११६८ । उत्कर्ष समा-१३५५ ब । उच्चत्व-मार्दव ३२६८ ब । उत्कल-१३५५ ब । उच्च-नीच व्यवहार से अतीत-मोक्ष ३३२६ अ, वर्ण उत्कलिका-१३५५ ब, श्रुतज्ञान ४६७ ब । व्यवस्था ३ ५२४ अ । उत्कीरण काल-१३५५ ब, अतरकरण १२५ ब, उच्च पद--धर्म २४६६ ब । १२६ अ, काल २८१ अ । उच्चाटन-ध्यान २४६७ अ, मत्र ३२४५ ब । उत्कीर्ण -- अतरकरण १२६ अ । उच्चार-१३५२ अ, आहारातराय १२६ अ , औदारिक, उत्कृष्ट-अनत २२१४ ब, २.२२६ अ, अनतानत २.२१८ शरीर १४७२ अ। ब, अनुत्कृष्ट ३११४, अनुभाग (क्षयोपशम) २.१८६ उच्चारण वृत्ति -१ ३५२ अ, कषायपाहुड २.४१ अ। अ, अनुभाग (स्थितिबध) ४४५८ ब, ४,४५६ ब, उच्चारणाचार्य-१३५२ अ, तत्त्व ४.२७६ ब । अतरात्मा १३७ अ-ब, अवगाहना (सख्या) ४.६४ अ, उच्छादन--१.३५३ अ । अतख्यात २.२१४ ब, २.२१६ अ, असख्यातासंख्यात उच्छिष्टावली -१.३५३ अ, आवली १.२७६ ब। २.२१८ अ, २२१६ अ, आराधना (सल्लेखना) उच्छ्वास-१.३५२ अ, काल प्रमाण २.२१६ अ, ब। ४३८७ अ, कृष्टि २१४३ अ, धर्मध्यान २.४७६ अ, उच्छवास नामकर्म प्रकृति-प्ररूपणा- प्रकृति ३८८, पद (अनुयोग) ११०२ ब, ११०३ ब, परमाणु ३.१४ २५८३ अ, स्थिति ४४६५, अनुभाग १.६५ ब, अ, परितानंत २२१८ ब, २२१६ अ, परितासख्यात प्रदेश ३ १३६ । बंध ३.६.६ अ, ३.६७, बधस्थान २.२१८ ब-२१६अ, युक्तानन्त २२१८ब, २.२१६ अ, ३.११०, उदय १३७५, उदयस्थान १३६०, युक्तासख्यात २२१८ ब, २२१६ अ, लब्धि ३४१५अ, १.३६७, उदीरणा १.४११ अ, उदीरणास्थान विभक्ति (अनुयोगद्वार) १.१०३ अ ब, श्रावक(क्षुल्लक) १४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४३०३, त्रिस- २ १८८ ब, सख्यात २.२१४ ब, २.२१८ अ, समययोगी भंग १४०४ । सक्रमण ४.८४ ब, अल्पबहुत्व प्रबद्ध २२१६ अ, सहनानी २.२१६ अ, स्थिति ४४५६ ब,४४५८ ब, ४.२७६ ब । उच्छ्वास-पर्याप्ति-१.३५२ ब, पर्याप्ति ३.४४ अ, उत्तम-आकिचन्य १.२३४ ब, आर्जब १२७२ अ, क्षमा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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