Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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उतपा
२ १७७ अ प २३६३, त्याग २३९७ब, धर्मवश २४७६ अ पात्र ३५२ ब प्रोषधोपवास ३१६४ अ बाला २२१५ व ब्रह्मचर्यं ३१९० ब. मार्दव बालाग्र ब, ३२६८ अ, वर्ण १३५५ ब ३२७५ ब शौच
४४२ ब सहनन ४१५५ व स्त्री सहनन ३ ५६० अ । उत्तमा व्यतर बल्लभका ३६११ व । उत्तमार्थ - काल १३५६ अ, २८० ब, त्याग ( सल्लेखना ) ४३८८ अ, प्रतिक्रमण ३ ११६ अ
उत्तर - अयन २९१ ब, क्षण २५५ अ, अ, २२२९ ब ज्ञान २४०६ व ३६१४, दिशा १३५६ अ, २१३६
गणित १३५६ देव ( भावन) ब, ( भावन)
ब, २४३४ अ,
३६२० ब, ४३८६ ब ।
उत्तरकल्प - स्वर्गो का उत्तर भाग ४ ५२० ब ।
उत्तरकुमार - १३५६ अ ।
उत्तरकुरु ( कूट) – १३५६ अ । गजदत का कूट तथा देव - निर्देश ३ ४७३ ब विस्तार ३४८३, ३४८५, ३४८६, अकन ३४४४, ३४५७ ।
उत्तरक्त (देश) - १३५६ अ, चातुर्वीपिक भूगोल ३४३७ अ । जैनाभिमत-निर्देश ३४३१ ब, ३४५६ ब, ३ ४६२ ब, ३४६३ ब विस्तार ३४७६, ३४८०, ३४८१, अफन ३४४४, ३.४६४ के सामने, चित्र ३ ४५७, गणना ३ ४४५ अ । काल-व्यवस्था २६३, जीवो की अवगाहना ११८०, जीवो की आयु १.२६३, १२६४ | बौद्धाभिमत ३४३६ अ, वैदिकाभिमत ३४३१ म ।
उत्तरकुरु (ग्रह) १३५६ अ, उत्तरकुरु मे स्थित निर्देश ३ ४५६ ब नाम निर्देश. ३४७४ अ, विस्तार ४४६०, ३४६१, अकन ३.४४४, ३.४५७, ३४६४ के सामने |
उत्तरगुण - १.३५६ अ प्रत्याख्यान ३१३३ अ श्रावक ४. ५० ब, ४५१ अ, साधु ४४०४ अ । उत्तरचर हेतु - १३५६ अ कारण कार्य २५६ ब । उत्तरधूलिका-१३५६ अ ब्युत्सर्ग दोष ३६२३ अ । उत्तरदिशा- १३५६ अ कृतिकर्म २१३६ व कायोत्सर्ग
३. ६२० व शुभकार्य २४३४ अ, सल्लेखना ४३८६ ब, सामायिक ४४१६ ब । उत्तर--१३५६अ, श्रेढी व्यवहार गणित २२२९ ब २.२३० ब । उत्तरपुराण- १३५६ अ इतिहास १३४२ अ १३४५ ब तरप्रकृति (कमंप्रकृति ) - प्ररूपणाये - प्रकृति ३८८,
३ ६७, स्थिति ४४६०, अनुभाग १६५, प्रदेश ३.१३६ । बन्ध १.२७, बन्धस्थान ३.१०८, उदय
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१.३७५, उदयस्थान १३८७, उदीरणा १४११ अ, उदीरणास्थान १.४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४२८७, त्रिसयोगी भग १३९९ । अल्पबहुत्व ११६४ ब-१६६, ११७६, सक्रमण ४८५ व स्वामित्व सन्निकर्ष प्रकृति ३११४, सत्व ४३१०, स्वामित्व (प्रकृति- स्थिति अनुभाग-प्रदेश) ४५२७-५२८ । सख्या ४११७, क्षेत्र २२०८ स्पर्शन ४४९४, काल २१२१-१२२, अन्तर १२३, भाव ३२२३, अल्पबहुत्व ११७५४४६६, ४५२७ भागाभाग ४ ११७ । उत्तरप्रकृति विपरिणमना - ३५५५ ब । उत्तरप्रतिपत्ति-१ ३५६ अ
उत्तरभाद्रपदा नक्षत्र ३५०४ ब, विमलनाथ २३८० । उत्तरमीमांसा - १२५६ व दर्शन २४०२ व मीमांसा दर्शन ३३११ अ । उत्तरमुख–कृतिकर्म २१३६ ब, कायोत्सगं ३६२० ब, शुभ कर्म २४३४ अ, सल्लेखना ४.३८६ व सामायिक ४४१६ व केवलीस मुद्धात २१६७ ब । उत्तराध्ययन- १.३५६ व, श्रुतज्ञान ४.६६ व । उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र - १३५६ ब, नक्षत्र २५०४ ब तीर्थंकर २३८१ ।
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उत्पल
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उत्तराभाद्रपद नक्षत्र - १३५६ ब, नक्षत्र २५०४ ब । उत्तराभिमुख कृतिकर्म २१३६ व कायोत्सर्ग ३६२० ब, शुभकार्य २४३४ अ, सल्लेखना ४४८६ व सामायिक ४४१६ व केवलीसमुद्धात २१६७ ब । उत्तरायन - २३५१ ।
उत्तरार्ध ( कूट) - भरत ऐरावत विदेह देशो के विजयार्थीपर स्थित निर्देश ३४७१ ब विस्तार ३४८३, वर्ण ३४७७, अकन ३ ४४४ ।
उत्तराषाढ नक्षत्र ४१५६ व नक्षत्र २.५०४ व ऋषभ नेमिनाथ तथा वर्द्धमान २.३५० ।
उसरित - १३५६ म व्युत्सर्ग दोष ३.६१२ ब उत्तरेद्रव्यन्तर देव ३.६११ अ स्वर्ग ४.५११ अ । उत्तानशय्यासन तय - कायक्लेश २.४७ ब । उत्पितनिविष्टम्युत्सर्ग दोष ३६१९ व उत्थितोत्थित-- व्युत्सर्ग दोष ३.६१९ व ।
।
उत्पत्ति - १३५६ व, उत्पाद १३५७ अ, जन्म २.३१३ ब । उत्पन्न - व्यन्तर देव -- अत्यु १.२६४ न ।
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उत्पन्न स्थान सस्य-१३५६ ब, सत्त्व ४.२७५ भ । उत्पल - १३५६ ब काल प्रमाण २२१६ अ, नीलकमल ( नमिनाथ ) २३७८ ।
उत्पन्न (फूट) - पद्म आदि हदो के कूट-निर्देश ३.४७४ अ, विस्तार ३.४०३ अकन ३.४५४ ।
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