Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 36
________________ असयतसम्यग्दृष्टि असिकर्म समुद्रात ४३४३ अ, साधु ४४०७ अ । असयतसम्यग्दृष्टि-१२०७ ब, आरो'ण अवरोहण २२४७, करण दशक २६, गर्हण २२३८ ब, दर्शन प्रतिमा २४१८ अ, निर्जरा का अल्पबहुत्व ११४१ ब, परिषह ३३४, वेदकसम्यक्त्व २१८५व, बिशेष दे० 'सम्यग्दष्टि'। असंयतसम्यग्दृष्टि (प्ररूपणा)---वध ३.६७, बधरान ३१०६, उदय १३७५, उदयस्थान १३६२, उदीरणा १४११अ, उदीरणा स्थान १४१२, सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४२८८, त्रिसयोगी भग १४०६ अ। सत ४१६२, सख्या ४ ६४, क्षेत्र २ १९७, स्पर्शन ४४७७, काल २६६, अन्तर १७, भाव ३ २२२ ब, अल्प बहुत्व ११४३ । असयम-१.२०७ ब, आहारक शरीर १२६६ अ। प्ररूपणाये-बंध ३१०६, बधस्थान ३ ११३, उदय १३८३, उदयस्थान १.३६३ अ, उदीरणा १.४११, सत्त्व ४२८४, सत्त्वस्थान ४.३०१, ४३०५, त्रिसयोगी भग १. १०७ ब । सत् ४२३८, संख्या ४.१०६, क्षेत्र २.२०५, पर्शन ४४८६, काल २,११४, अन्तर १.१७, भाव ३.२२१ अ, अल्पबहुत्व १.१५१ । अससार--१२०७ ब, अनुप्रेक्षा १७८ अ, संसार ४.१४६ ब । असग--१.२०७ ब । इतिहास १३३० ब, १.३४३ अ। असतोपोषकर्म-१२०८ अ, सावध ४४२१ अ। असत्-१२०७ ब, अनेकान्त ११०६. उत्पाद १.३५७ ब, १३५८ ब,४१५६ ब, उत्पादादि १३५८, १.३६०, कार्य १३६२, द्रव्यगुणपर्याय १३६१ ब-३६२ ब। असत्ता-सापेक्षधर्म ११०६अ। असत्य-१२०८ अ, अनुभय ३३८० ब, असज्ञो ३३८० ब, उपदेश १ ४२५ अ, कर्ता कर्म २२२ अ, मनोयोग (अप्रमत्त) ३ ३८० अ, मनोयोग (ध्यानस्थ) ३३८० अ, बचनयोग १२०९ अ, ३४६७ ब, ४२७३ अ, स्वप्न ४५०४ अ, हिंसा १२१७ अ,४५३२ अ । असत्ययोग (प्ररूपणा)--बध ३१०४, बधस्थान ३११३, उदय १३७६, उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा १४११ अ, सत्त्व ४.२८३, सत्त्वस्थान ४२६६, ४३०५, त्रिसंयोगी भंग १.४०६ ब । सत् ४,२१२, सख्या ४.१०२ क्षेत्र २.२०२, स्पर्शन ४.४८४, काल २.१०८, अन्तर १.१२, भाव ३.२२० ब, अल्पबहुत्व १.१४६। असत्यार्थ उपचरित-१.४२० अ। असत्यासत्य-सत्य ४.२७१ अ । असत्योपचार-१.२०६ अ । असत्व-विभाव ३५६२ अ, सापेक्षधर्म १.१०६ । असदृश उत्पाद-३ ३२ अ । असद्भावस्थापना--१२०६, अन्तर १३ ब. उपशम १.४३७ अ, कर्म २ २६ अ, काल २.८१ब, निक्षेप २५१७ ब। असद्भुत -१.२०६ अ, उपचार १.४१६ अ-ब, व्यवहार १४२३ अ, नय २५६१ अ । असद्रूप-~अनेकान्त ११०६ । असदेव-वेदनीय ३५९२ अ। असन---अभिनन्दन नाथ २३८३। असभ्य-~-४.३४० अ। असमपर्यकासन तप-कायक्लेश २,४७ ब। असमय फलोत्पत्ति---अर्हन्तातिशय १.१३७ ब। असमवायो-१.२०६ अ, कारण ४.३३५ ब । असमान जातीय द्रव्य पर्याय-३.४६ अ । असमाधि (दोष)-सल्लेखना ४.३९१ब। असमीक्ष्याधिकरण-~१.२०६अ, अधिकरण १५० अ। असम्यक्-उदाहरण १.२०६अ। असर्वगतत्व-१२०६ अ, सर्वगतत्व ४३७६ ब, द्रव्य २४५७ अ, नय २५२३ अ, स्कन्ध ४.४४७ अ। असवाल-इतिहास १३३३ अ, १.३४६ अ। असहाय-केवलज्ञान २१५१ अ। असही-१.२०६ अ, साधु ४.४०४ ब। असाता..--दुख २४३४ ब । अमाता वेदनीय प्रकृति-१.२०६अ, केवली २१ द्विस्थान बंधक ३.५६६ ब, बधयोग्य परिणाम ३५६८ ब, वेदनीय ३५६२ अ। प्ररूपणा-प्रकृति ३८८, ३५६१, स्थिति ४.४६०, ४४६६, अनुभाग १६५, ४५२७, प्रदेश ३१३६ । बध ३.६७, बंध वेदना अल्पबहुत्व ११७६, बधस्थान ३.१०८, उदय १३७५, उदयस्थान १३८७, उदीरणा १४११ अ, उदीरणा स्थान १.४१२. सत्त्व ४२७८, सत्त्वस्थान ४२५७, त्रिसंयोगी भग १३५९ । सक्रमण ४८५ अ। अल्पबहुत्व १.१६८ । असाधारण १.२०६ब, गण २.२४० ब, २.२४३ ब. पारिणामिक ३ ५५ अ, साधारण ४४०२ अ, हेतु ४.५३६ अ, हेत्वाभास ४.४०२ अ। असाम्प्रायादिक-बन्धक ३.१७६ अ। असाम्यता-१.२०६ ब । असारगल्ल--३.३६१ अ । असावध कार्य-आर्य १.२७५ अ । असिकर्म---१.२०६ब। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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